साल के अंत में : तहस-नहस होती जैवविविधता की गवाही बना 2025

डाउन टू अर्थ हिंदी की टीम ने पूरे वर्ष पर्यावरण के विविध आयाम और पहलुओं पर प्रकाशन के जरिए आपका ध्यान दिलाया है, यहां एक छोटी कोशिश की है उसे एक झलकी में समझ पाएं। हमने खबरों का यह संकलन पांच हिस्सों में तोड़ा है। हर दिन एक विषय। इसे पढ़िए और लोगों से साझा करिए। उम्मीद है यह आपके विमर्श का हिस्सा होगा...
सदियों से जैसे-जैसे मनुष्य की आबादी बढ़ी है, ज्यादातर दूसरे जानवरों की आबादी कम होती गई है, यह खास तौर पर पक्षियों के मामले में बहुत स्पष्ट देखा जा रहा है।
सदियों से जैसे-जैसे मनुष्य की आबादी बढ़ी है, ज्यादातर दूसरे जानवरों की आबादी कम होती गई है, यह खास तौर पर पक्षियों के मामले में बहुत स्पष्ट देखा जा रहा है। टो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स
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साल 2025 पर्यावरण, वन्यजीव और जैव विविधता के लिहाज से बेहद अहम और चेतावनी देने वाला रहा। इस वर्ष दुनियाभर में जंगलों पर अतिक्रमण, अवैध और वैध वन्यजीव व्यापार, मानव-वन्यजीव संघर्ष, जलवायु परिवर्तन के बढ़ते असर और विकास परियोजनाओं से प्रभावित प्राकृतिक आवास लगातार सुर्खियों में रहे। वहीं, कुछ सकारात्मक पहलें और संरक्षण से जुड़े आंकड़े उम्मीद भी जगाते दिखे। दिल्ली के दक्षिणी रिज से लेकर हिमालय, समुद्र से लेकर घास के मैदानों तक देश और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से आई यह खबरें बताती हैं कि जैव विविधता किस तरह दबाव में है और इसे बचाने के लिए तात्कालिक व दीर्घकालिक कदम कितने जरूरी हैं।

जनवरी 2025 :

दिल्ली के दक्षिणी रिज में 307.46 हेक्टेयर आरक्षित वन भूमि पर अभी भी अतिक्रमण जारी है, एनजीटी को प्रस्तुत रिपोर्ट में बताया गया। ऐसे संवेदनशील पारिस्थितिक क्षेत्र में वन क्षेत्र की कमी जैव विविधता और वाइल्डलाइफ के लिए चिंता का विषय है।

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फरवरी 2025

पिछले 22 सालों में अमेरिका ने लगभग 30,000 प्रजातियों के 2.85 अरब जंगली जानवरों का कानूनी रूप से आयात किया है, जिससे वैश्विक वन्यजीव व्यापार और जैव विविधता पर दबाव बढ़ा है।

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हर वर्ष आयोजित होने वाले अनिल अग्रवाल डायलॉग में बताया गया कि शहरीकरण और विकास के कारण मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ा है और वाइल्डलाइफ कॉरिडोर की सुरक्षा आखिर क्यों बेहद जरूरी है?

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मार्च, 2025

3 मार्च को मनाए गए विश्व वन्यजीव दिवस में 50,000+ जंगली प्रजातियों की भूमिका और संरक्षण के लिए वित्तीय निवेश की आवश्यकता पर जोर दिया गया

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अमेरिका में 20 वर्षों में तितलियों की आबादी में 22 फीसदी गिरावट आई है, जिससे परागण और पारिस्थितिकी तंत्र को खतरा है।

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अप्रैल 2025

स्तूरी मृग (मस्क डियर) के लिए भारत में अब तक कोई मान्यता प्राप्त संरक्षण-प्रजनन कार्यक्रम शुरू नहीं हुआ है, जिससे संकटग्रस्त प्रजाति की स्थिति गंभीर बनी हुई है।

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मई 2025

अंतरराष्ट्रीय अवैध व्यापार में बाघ के अंगों की मांग के कारण तेंदुए के अंगों का विकल्प के रूप में उपयोग बढ़ा है, जिससे तेंदुए को खतरा बढ़ा है।

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हिमाचल प्रदेश के स्पीति घाटी में देश का सबसे बड़ा वन्यजीव संरक्षण रिजर्व बनाया गया, जो हिम तेंदुए आदि प्रजातियों के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है।

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विश्व प्रवासी पक्षी दिवस में बताया गया कि लगभग 1 में से 8 प्रजातियां विलुप्ति के जोखिम में हैं और शहरों को पक्षी-अनुकूल बनाना जरूरी है।

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जून 2025

वैज्ञानिकों ने चेताया है कि अगले 100 वर्षों में 500+ पक्षी प्रजातियां विलुप्ति की ओर बढ़ सकती हैं, जिससे प्राकृतिक आवाज़ और पारिस्थितिकी संतुलन प्रभावित होगा।

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16 जून को विश्व समुद्री कछुआ दिवस मनाया गया, जिसमें समुद्री कछुओं के लिए प्लास्टिक प्रदूषण और तापमान वृद्धि को सबसे बड़े खतरों के रूप में उजागर किया गया।

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शोध में पाया गया कि गैंडों के सींग काटने से अवैध शिकार में 78% कमी आई है, जो संरक्षण रणनीति के रूप में प्रभावी साबित हुआ है।

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जुलाई 2025

महाराष्ट्र के टाइगर कॉरिडोर में 80.77 हेक्टेयर भूमि पर कोयला खनन को कई शर्तों के साथ मंजूरी मिली, जिससे बाघों के आवागमन पर प्रभाव की चिंता उठी।

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शरावती घाटी में लायन-टेल्ड मकाक अभयारण्य में 142 हेक्टेयर वन भूमि के डायवर्जन को सैद्धांतिक मंजूरी दी गई, जिससे संकटग्रस्त प्रजाति के आवास को खतरा है।

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अगस्त 2025


19 अगस्त को अंतरराष्ट्रीय ओरांगुटान दिवस मनाया गया, जिसमें कहा गया कि बोर्नियो और सुमात्रा के जंगल कटने से ओरांगुटान संकट में हैं। यह दिन लोगों को इन जीवों की कठिन स्थिति और संरक्षण की ज़रूरत के बारे में जागरूक करने के लिए समर्पित है।

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सितंबर 2025

हिमाचल प्रदेश में दूसरी राज्य-व्यापी सर्वे में हिम तेंदुए की संख्या 83 पाई गई, जो संरक्षण के लिए सकारात्मक संकेत है

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गंगा-ब्रह्मपुत्र बेसिन में लगभग 6,324 गंगा डॉल्फिन पाई गईं, यह व्यापक सर्वे रिपोर्ट है जिसके माध्यम से इनके संरक्षण की आवश्यक दिशा निर्धारित होती है।

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अक्टूबर 2025


आईयूसीएन ने भारतीय भेड़िये को कैनिस वंश की अलग प्रजाति मानने की सिफारिश की है, जो संरक्षण के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण निर्णय है।

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नवंबर 2025


इंसानी दखल और तापमान उतार-चढ़ाव की वजह से पूर्वी हिमालय के पक्षियों के जीवित रहने पर खतरा मंडरा रहा है, जैव विविधता प्रभावित हो रही है।

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दिसंबर 2025

गिद्धों की आबादी देश के 72% क्षेत्रों से गायब हो चुकी है, इसके कारण एनजीटी ने पर्यावरण मंत्रालय से विस्तृत जवाब मांगा है।

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