शिकार रोकने के लिए गैंडों के काटे सींग, 78 फीसदी आई कमी

शोध के मुताबिक, गैंडों का अवैध शिकार रोकने के लिए आठ अभयारण्यों में 2,284 गैंडों के सींग काटे गए और गैंडा संरक्षण के कुल बजट का केवल 1.2 फीसदी खर्च कर अवैध शिकार में 78 फीसदी की कमी पाई गई।
ग्रेटर क्रूगर क्षेत्र में सींग रहित सफेद गैंडे की मां और उसका बच्चा
ग्रेटर क्रूगर क्षेत्र में सींग रहित सफेद गैंडे की मां और उसका बच्चा फोटो साभार: ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय, टिम कुइपर
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एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में पाया गया कि गैंडों के सींग काटने से इन लुप्तप्राय जानवरों के अवैध शिकार में भारी कमी आई है। यह 2017 से 2023 के बीच दक्षिण अफ्रीका के ग्रेटर क्रूगर क्षेत्र में 11 अभयारण्यों के आंकड़ों के विश्लेषण पर आधारित है। उनके सींग के लिए अवैध शिकार दुनिया की पांच गैंडों की प्रजातियों के लिए एक बड़ा खतरा है।

अध्ययन के मुताबिक, यह परियोजना ग्रेटर क्रूगर पर्यावरण संरक्षण फाउंडेशन (जीकेईपीएफ) के बैनर तले अभयारण्यों प्रबंधकों और केप टाउन विश्वविद्यालय (यूसीटी), नेल्सन मंडेला विश्वविद्यालय, स्टेलेनबॉश विश्वविद्यालय और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के सहयोग से किया गया था। अध्ययन में दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रीय उद्यान, विश्व वन्यजीव कोष दक्षिण अफ्रीका और राइनो रिकवरी फंड शामिल रहे हैं।

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शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि सात सालों में 11 ग्रेटर क्रूगर अभयारण्यों में 1,985 गैंडों, सालाना आबादी का लगभग 6.5 फीसदी के अवैध शिकार का दस्तावेजीकरण किया है। यह नजरिया अहम है जो अफ्रीका के सभी गैंडों के लगभग 25 फीसदी को संरक्षित करता है।

शोध में कहा गया है कि अवैध शिकार को कम करने के लिए आठ अभयारण्यों में 2,284 गैंडों के सींग काटे गए। जो कुल गैंडा संरक्षण बजट के केवल 1.2 फीसदी का उपयोग करके अवैध शिकार में 78 फीसदी की कमी पाई गई। यह सींग काटे जाने वाले और सींग काटे जाने वाली जगहों के बीच तुलना के साथ-साथ सींग काटे जाने से पहले और बाद में अवैध शिकार में हुए बदलावों पर आधारित था।

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अध्ययन से यह भी पता चला कि सींग के ठूंठ और फिर से उगने के लिए सींग रहित कुछ गैंडों का अवैध शिकार जारी रहा, जबकि 2023 में अध्ययन के समापन के बाद से हाल ही में मिले साक्ष्य (2024-2025) बताते हैं कि यह एक बढ़ती हुई चुनौती है। सींगों को हटाने से शिकारियों का ध्यान कहीं और सींग वाले गैंडों की आबादी पर भी जा सकता है।

साइंस पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के तहत अभयारण्य में 2017 से 2021 तक अवैध शिकार विरोधी हस्तक्षेपों में 74 मिलियन डॉलर का निवेश किया। अधिकांश निवेश प्रतिक्रियाशील कानून प्रवर्तन - रेंजर्स, ट्रैकिंग डॉग्स, हेलीकॉप्टर, एक्सेस कंट्रोल और डिटेक्शन कैमरों पर आधारित था, जिससे 700 से अधिक शिकारियों को गिरफ्तार करने में मदद मिली।

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शोध में कहा गया है कि ऐसे काम जो शिकारियों का पता लगाने और उन्हें गिरफ्तार करने में सहायता करते हैं, जबकि वे शिकार विरोधी टूलकिट का एक जरूरी हिस्सा हैं, लेकिन स्थानीय गरीबी और भ्रष्टाचार जैसे प्रणालीगत कारणों से समझौता किया जाता है।

अंत में अप्रभावी आपराधिक न्याय प्रणाली का मतलब है कि गिरफ्तार किए गए अपराधी अक्सर सजा से बच जाते हैं, अध्ययन क्षेत्र से कई बार सजा पाए अपराधियों के फिर से सबूत मिले हैं।

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इस परियोजना की कल्पना सबसे पहले गैंडे संरक्षण के अग्रिम मोर्चे पर अभयारण्य प्रबंधकों द्वारा की गई थी, जिन्होंने शिकार विरोधी कार्यों जैसे कुत्तों के ट्रैक करने से लेकर एआई कैमरों तक में अपने निवेश का मूल्यांकन करने की आवश्यकता की पहचान की।

शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि दानकर्ता के नजरिए से, इस अध्ययन से इस बारे में उत्कृष्ट जानकारी मिली है कि संरक्षण के लिए दानकर्ता द्वारा दी गई धनराशि कहां खर्च की जा सकती है और कहां नहीं।

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शोध के परिणाम सरकार, वित्तपोषकों, निजी क्षेत्र और गैर सरकारी संगठनों के लिए सामान्य रूप से वन्यजीव अपराध और विशेष रूप से गैंडे के अवैध शिकार के प्रति अपने रणनीतिक नजरिए का फिर से मूल्यांकन करने का अवसर प्रस्तुत करते हैं।

शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि यह सहयोग इस बात का एक शानदार उदाहरण है कि चुनौतीपूर्ण और जटिल परिस्थितियों में भी संरक्षण कार्यों की प्रभावशीलता का सही मूल्यांकन कैसे किया जा सकता है। इस तरह के शोध को शुरू करने और व्याख्या करने में जमीनी स्तर पर काम करने वाले लोगों की भागीदारी अहम है।

इस बात का पता लगाना जरूरी है कि संरक्षण कार्य अपेक्षित रूप से काम करते हैं और उसी तरह काम करते रहते हैं। इस परियोजना ने एक बार फिर विस्तृत आंकड़ों को एकत्र करने के महत्व को उजागर किया है, जो लागू किए गए कार्यों और परिणाम दोनों पर है। यह ऐसा आंकड़ा है जो मजबूत संख्यात्मक विश्लेषण को संभव बनाता है।

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