दुनिया में जीवित गैंडों की पांच प्रजातियों के बीच संबंधों को लेकर सदियों पुराना सवाल आज भी चला आ रहा है। इस सवाल का जवाब देना इसलिए भी कठिन है क्योंकि प्लेइस्टोसिन युग से पहले अधिकांश गैंडे विलुप्त हो गए थे। अब शोधकर्ताओं ने तीन प्राचीन और विलुप्त प्रजातियों के जीनोम के साथ सभी पांच जीवित प्रजातियों के जीनोम का विश्लेषण किया है। जिसने गैंडों के विकासवादी वंश वृक्ष (फैमिली ट्री) की कमी को पूरा करने में मदद की है।
निष्कर्ष बताते हैं कि सबसे पुराना विभाजन लगभग 1.6 करोड़ वर्ष पहले अफ्रीकी और यूरेशियन वंश को अलग करता था। उन्होंने यह भी पता लगाया हैं कि आज गैंडों की घटती आबादी में आनुवंशिक विविधता कम पाई गई है। अतीत की तुलना में इनमें अधिक सजाति प्रजनन पाया गया है। अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि गैंडों में ऐतिहासिक रूप से आनुवंशिक विविधता का निम्न स्तर था।
सेंटर फॉर पैलियोजेनेटिक्स और स्वीडिश संग्रहालय के लव डेलन कहते हैं कि अब हम देख सकते हैं कि गैंडों का अधिकतर जीवन भौगोलिक क्षेत्रों के आधार पर, अफ्रीका बनाम यूरेशिया के बीच है, न कि उन गैंडों के बीच जिनके एक के अलावा दो सींग है। दूसरी महत्वपूर्ण खोज यह है कि सभी गैंडों, यहां तक कि विलुप्त हो चुके गैंडों में तुलनात्मक रूप से कम आनुवंशिक विविधता होती है। कुछ हद तक, इसका मतलब है कि आज के गैंडों में जो कम आनुवंशिक विविधता दिखाई देती हैं, जो सभी लुप्तप्राय हैं, आंशिक रूप से उनके जीव विज्ञान का परिणाम है।
डेनमार्क के कोपेनहेगन विश्वविद्यालय के मिक वेस्टबरी ने कहा सभी आठ प्रजातियों ने आम तौर पर पिछले 20 लाख वर्षों में जनसंख्या के आकार में निरंतर लेकिन धीरे-धीरे कमी आई है। निरंतर कम आबादी के चलते गैंडे सामान्य रूप से विविधता के निम्न स्तर के अनुकूल होते हैं।
वैज्ञानिक कोपेनहेगन विश्वविद्यालय के डेलन और टॉम गिल्बर्ट अलग-अलग गैंडों की प्रजातियों पर अलग-अलग काम कर रहे थे। वैज्ञानिकों ने कहा वे अब एक साथ दुनिया भर के पिछले हिमयुग के दौरान विलुप्त हो चुकी तीन प्रजातियों के साथ सभी जीवित गैंडों का तुलनात्मक अध्ययन कर सकते हैं।
चीन में कृषि विश्वविद्यालय, बीजिंग के शानलिन लियू कहते हैं कि जब हमने सभी गैंडों के आंकड़ों को एक साथ रखने और तुलनात्मक जीनोमिक्स अध्ययन करने का फैसला किया, तो हमें 'बड़े आंकड़ों' की समस्या का भी सामना करना पड़ा।
आधुनिक और प्राचीन डीएनए दोनों को शामिल करने के कारण, जीनोम के आंकड़े को विभिन्न अलग-अलग तरह के आंकड़ों से जोड़ा गया। उन अंतरों को ध्यान में रखने के लिए टीम को नए विश्लेषण के आधार पर उपकरण बनाने पड़े। उनके द्वारा विकसित नए दृष्टिकोण और उपकरण अब अन्य टैक्सोनॉमिक समूहों में अध्ययन के लिए उपयोग किए जा सकते हैं।
डेलेन का कहना है कि ऐसा प्रतीत होता है कि गैंडों में आनुवंशिक विविधता का निम्न स्तर उनके लंबे इतिहास का हिस्सा है और इससे सजाति प्रजनन (इनब्रीडिंग) और रोग पैदा करने वाले बदलावों से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं में वृद्धि नहीं हुई है।
हालांकि अध्ययन से यह भी पता चलता हैं कि हमारे ऐतिहासिक और प्रागैतिहासिक गैंडों के जीनोम की तुलना में वर्तमान समय के गैंडों में आनुवंशिक विविधता कम है, सजाति प्रजनन का स्तर अधिक है। इससे पता चलता है कि शिकार और निवास स्थान के विनाश के कारण इनकी आबादी में गिरावट आई है। जीनोम पर इस तरह का प्रभाव अच्छा नहीं है, क्योंकि कम आनुवंशिक विविधता और उच्च सजाति प्रजनन से वर्तमान प्रजातियों में विलुप्त होने का खतरा बढ़ सकता है।
जर्नल सेल में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं का कहना है कि गैंडों के संरक्षण के लिए कदम उठाए जाने चाहिए। अब हम जानते हैं कि समकालीन गैंडों में आनुवंशिक विविधता के बजाय आबादी के आकार को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने, इन्हें फिर से बहाल करने के कार्यक्रमों के लिए बेहतर रास्ता दिखाया जा सकता है।
टीम ने कहा उन्हें उम्मीद है कि अध्ययन से निकले नए निष्कर्ष गैंडों के निरंतर अध्ययन और उनके संरक्षण के लिए उपयोगी होंगे। डेलन ने कहा कि उनकी टीम अब विलुप्त ऊनी गैंडों पर अधिक गहन अध्ययन करने पर काम कर रही है। वेस्टबरी ने कहा कि अफ्रीकी काले गैंडों के जीनोम की तुलना समकालीन गैंडों की आबादी के आकार में हालिया कमी से पहले की गई है।
वेस्टबरी ने कहा हमें उम्मीद है कि यह बेहतर ढंग से समझने के लिए यह अध्ययन एक ढांचा प्रदान करेगा। आबादी कहां से उत्पन्न हो सकती है, अनुवांशिक विविधता में प्रत्यक्ष परिवर्तन कैसे आएगा, क्या लोगों की वजह से कुछ प्रजातियां हमेशा के लिए गायब हो गई है आदि।