गैंडों के अवैध शिकार, सींग के व्यापार में गिरावट लेकिन खतरा अभी भी बरकरार: आईयूसीएन

आईयूसीएन के अनुसार भारत और नेपाल में पाए जाने वाले एक सींग वाले गैंडों की संख्या 2018 में लगभग 3,588 से बढ़कर 2021 के अंत में 4,014 हो गई
फोटो:आईयूसीएन
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अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) - प्रजाति जीवनरक्षा आयोग (एसएससी) के अफ्रीकी और एशियाई गैंडा विशेषज्ञ समूहों और ट्रैफिक की 19वीं बैठक में जारी की गई एक नई रिपोर्ट के अनुसार, 2018 के बाद से गैंडों के शिकार की दरों में गिरावट आई है। व्यापार के आंकड़ों के मुताबिक 2013 के बाद से अवैध व्यापार बाजारों में गैंडों के सींगों (राइनो हॉर्न) के सबसे कम सालाना मामले सामने आए हैं।

यहां बताते चलें कि वन्य जीवों और वनस्पतियों (सीआईटीईएस) की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन के लिए पार्टियों का सम्मेलन, इस साल नवंबर में पनामा में आयोजित किया जाएगा।

इस सबके बावजूद संरक्षणकर्ताओं ने कहा है कि गैंडों अवैध शिकार और उनके सींगों के अवैध व्यापार में कोविड से संबंधित पाबंदियों के बावजूद इनका अस्तित्व गंभीर खतरे में है। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) की रिपोर्ट में कहा गया है कि अवैध शिकार अभी भी प्रजातियों के अस्तित्व के लिए एक बड़ा गंभीर खतरा बना हुआ है।

आईयूसीएन की रिपोर्ट अनुसार, 2018 से 2021 के बीच अफ्रीका में कुल 2,707 गैंडों का शिकार किया गया था, जिनमें से अधिकांश दक्षिण अफ्रीका में मारे गए थे, मुख्य रूप से क्रूगर नेशनल पार्क में। दक्षिण अफ्रीका दुनिया के लगभग 80 प्रतिशत गैंडों का घर है।

स्विस-आधारित संगठन ने कहा कि अफ्रीका में गैंडों के शिकार की दर 2015 में कुल आबादी के 5.3 प्रतिशत से घटकर 2021 में 2.3 प्रतिशत हो गई है।

आईयूसीएन अफ्रीकी गैंडों के विशेषज्ञ टीम के वैज्ञानिक अधिकारी सैम फरेरा ने कहा कि गैंडों के अवैध शिकार में कुल गिरावट उत्साहजनक है, फिर भी यह इन प्रतिष्ठित जानवरों के अस्तित्व के लिए एक गंभीर खतरा बना हुआ है।

उन्होंने बताया कि इस बात का कोई औपचारिक विश्लेषण नहीं हुआ है कि अवैध शिकार की दर क्यों घट रही है। फरेरा ने कहा, कई कारक इस धीमी गति का कारण हो सकते हैं, जिसमें कानून को लागू करने में बेहतर स्थानीय सहयोग, सीमावर्ती और उपभोक्ता राज्यों के बीच अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, साथ ही गैंडों के सींगों (राइनो हॉर्न) की मांग में बदलाव शामिल हैं।

आईयूसीएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 एक असामान्य वर्ष था, जिसमें कोविड महामारी के कारण कई अफ्रीकी देशों में अवैध शिकार दर में कमी देखी गई थी। दक्षिण अफ्रीका में 2020 में अवैध शिकार के कारण 394 गैंडों को खो दिया था, जबकि केन्या में उस वर्ष एक भी गैंडे का शिकार नहीं किया गया।

हालांकि, जैसे ही कोविड-19 के दौरान लगे यात्रा प्रतिबंध हटा दिए गए, कुछ देशों से अवैध शिकार की गतिविधियों में नई वृद्धि की जानकारी मिली है, दक्षिण अफ्रीका में 451 गैंडों और केन्या में 6 का शिकार किया गया।

आईयूसीएन की रिपोर्ट अनुसार ये संख्या अभी भी 2015 की तुलना में काफी कम है, जब मात्र दक्षिण अफ्रीका में 1,175 गैंडों का अवैध शिकार हुआ था। अफ्रीका में गैंडों की आबादी सालाना 1.6 प्रतिशत गिर गई है, जो 2018 में 23,562 से पिछले साल के अंत में 22,137 हो गई है।

आईयूसीएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि सफेद गैंडों की संख्या, जिसे खतरे की प्रजातियों की लाल सूची में कमजोर के रूप में वर्गीकृत किया गया है, इस अवधि के दौरान 18,067 से 15,942 हो गई जिसमें लगभग 12 प्रतिशत की गिरावट आई है।

हालांकि, गंभीर रूप से संकटग्रस्त माने जाने वाले काले गैंडों की संख्या 12 प्रतिशत बढ़कर 6,195 हो गई।

आईयूसीएन ने कहा विभिन्न सीमावर्ती राज्यों में सभी उप-प्रजातियों के लिए सक्रिय आबादी का प्रबंधन और अवैध शिकार विरोधी गतिविधियों को जारी रखना आवश्यक है।

आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि, औसतन 575 और 923 के बीच गैंडे के सींग 2018 और 2020 के बीच हर साल अवैध व्यापार बाजारों में प्रवेश करते रहे हैं, जबकि 2016 और 2017 में यह प्रति वर्ष लगभग 2,378 रही।

हालांकि, 2019 में, महामारी से पहले, अवैध गैंडों  के नमूनों का कथित रूप से जब्त वजन दशक के अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया, हो सकता है बढ़े हुए नियमों और कानून प्रवर्तन प्रयासों के कारण ऐसा हुआ हो।

भारत और नेपाल में गैंडे

आईयूसीएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि मुख्य रूप से भारत और नेपाल में पाए जाने वाले एक सींग वाले गैंडों और गंभीर रूप से संकटग्रस्त जावा के गैंडों की संख्या 2017 के बाद से बढ़ी है। भारत और नेपाल में उनकी संख्या 2018 में अनुमानित 3,588 से बढ़कर 2021 के अंत में 4,014 हो गई। यह कानून को मजबूती से लागू करने सहित संरक्षण प्रयासों से संभव हुआ।

जावा में गैंडों की आबादी 2018 में 65 से 68 के बीच बढ़कर 2021 के अंत में 76 हो गई।

लेकिन 2018 में 40 से 78 गैंडों की तुलना में 2021 में सुमात्रा गैंडों में  इनकी संख्या गिरकर लगभग 34 से 47 के बीच रह गई। आईयूसीएन ने सभी गैंडों की प्रजातियों में सबसे छोटे सुमात्रा के गैंडों को गंभीर रूप से संकटग्रस्त के रूप में वर्गीकृत किया है।

वर्ल्ड वाइल्ड फंड फॉर नेचर का अनुमान है कि दुनिया में 80 से कम सुमात्राई गैंडे रहते हैं, जो मुख्यतः इंडोनेशिया में सुमात्रा और बोर्नियो के द्वीपों पर रहते हैं।

आईयूसीएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018 की शुरुआत से एशिया में गैंडों के शिकार की 11 घटनाएं दर्ज की गई जिनमें से 10 भारत में और एक नेपाल में दर्ज की गई, जिनमें सभी एक-सींग वाले गैंडे थे।

घने वर्षावनों में गैंडे के शवों का पता लगाना एक चुनौती बनी हुई है और पर्याप्त आबादी में गिरावट दर्ज होने के बावजूद सुमात्रा के गैंडों की अवैध शिकार की कोई जानकारी नहीं थी। रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि एशियाई गैंडों के अवैध शिकार में 2018 से 2022 के बीच गिरावट आई है, जो 2013 से जारी थी।

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