जीनोम अनुक्रमण से विलुप्ति की कगार पर पहुंचे गैंडों को बचाया जा सकता है : अध्ययन

अध्ययनकर्ताओं का मानना है कि वर्तमान गैंडों में तुलनात्मक रूप से कम सजातीय प्रजनन (इनब्रीडिंग) का स्तर इनकी आबादी में गिरावट का मुख्य कारण है, जो हाल ही में हुआ भी है।
Photo :Wikimedia Commons, Sumatran Rhinoceros
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गैंडों की छोटी और बिखरी हुई आबादी को कई बाहरी और आंतरिक खतरे होते हैं, पर्यावरणीय खतरे जैसे, बीमारी लगना, इनके आवासों का नष्ट होने के साथ-साथ हानिकारक आनुवंशिक प्रभाव पड़ना आदि। पिछले कुछ दशकों से, इनकी छोटी आबादी में आनुवंशिक कारकों ने अहम भूमिका निभाई है। गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों पर अध्ययन से पता चलता है कि छोटी आबादी अक्सर जीनोमिक रूप से अलग होती है।

अब स्टॉकहोम के सेंटर फॉर पैलोजेनेटिक्स के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि दक्षिण - पूर्व एशिया में स्थित सुमात्रा के गैंडों की अंतिम शेष आबादी सजातीय प्रजनन (इनब्रीडिंग) नहीं करती है। शोधकर्ताओं ने 21 आधुनिक और ऐतिहासिक गैंडों के नमूनों से जीनोम का अनुक्रम किया, जिसने उन्हें आज जीवित गैंडों के आनुवंशिक स्वास्थ्य की जांच करने में सक्षम बनाया, गैंडों की यह प्रजाति हाल ही में विलुप्त हो गई है।

आज 100 से कम गैंडे बचे होने का अनुमान है, सुमात्रा के गैंडे दुनिया में सबसे लुप्तप्राय स्तनपायी प्रजातियों में से एक है। हाल ही में स्वास्थ्य के मुद्दों और कम प्रजनन क्षमता की आशंकाओं के चलते शेष आबादी सजातीय प्रजनन (इनब्रीडिंग) की समस्याओं से पीड़ित पाई गई हैं। हालांकि, इन अनूठे गैंडों की आनुवंशिक स्थिति के बारे में बहुत कम जानकारी है।

यह जांचने के लिए कि क्या सुमात्रा के गैंडों को अनुवांशिक कारकों से खतरा है, शोधकर्ताओं ने बोर्नियो और सुमात्रा में वर्तमान आबादी और हाल ही में लुप्त हो चुकी आबादी पर मलेशियाई प्रायद्वीप में 16 गैंडो का जीनोम का अनुक्रम किया। इससे उन्हें इनब्रीडिंग के स्तर, आनुवंशिक भिन्नता और आबादी में संभावित हानिकारक हेर-फेर के बारे में अनुमान लगाने में सफलता हासिल की। इसके अलावा, पांच ऐतिहासिक नमूनों से जीनोम का अनुक्रमण करके, शोधकर्ता पिछले 100 वर्षों की आबादी में आने वाली गंभीर  गिरावट के आनुवंशिक परिणामों की जांच कर सकते हैं।

सेंटर फॉर पलेओगेनेटिक्स के सह-प्रमुख अध्ययनकर्ता जोहान वॉन सेठ कहते है कि हमने बोर्नियो और सुमात्रा में वर्तमान आबादी के अपेक्षाकृत कम सजातीय प्रजनन (इनब्रीडिंग) स्तर और उच्च आनुवंशिक विविधता पाई है।

शोधकर्ताओं का मानना है कि वर्तमान गैंडों में तुलनात्मक रूप से कम सजातीय प्रजनन (इनब्रीडिंग) का स्तर इनकी आबादी में गिरावट का मुख्य कारण है, जो हाल ही में हुआ भी है। इसका मतलब है कि सजातीय प्रजनन (इनब्रीडिंग) अभी तक वर्तमान की छोटी सी आबादी में नहीं हुआ है। शेष आबादी के संरक्षण प्रबंधन के लिए यह अच्छी खबर है, क्योंकि इसका तात्पर्य है कि प्रजातियों की आनुवंशिक विविधता को संरक्षित करने के लिए अभी भी समय है। हालांकि, शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि इन गैंडों के जीनोम में कई संभावित हानिकारक हेर-फेर (म्यूटेशन) छिपे हुए हैं, जो भविष्य के लिए खतरनाक हो सकते हैं।

सेंटर फॉर पेलोड जेनेटिक्स के पोस्टडॉक्टोरल रिसर्चर निकोलस ड्युसेक्स कहते हैं कि जब आबादी बढ़ने लगती है, तब इस दौरान अधिक खतरा होता है कि सजातीय प्रजनन (इनब्रीडिंग) का स्तर बढ़ने लगेगा और इसके परिणामस्वरूप आनुवांशिक बीमारियां अधिक सामान्य हो जाएंगी।

मलेशियाई प्रायद्वीप में हाल ही में विलुप्त आबादी पर शोध टीम के निष्कर्ष से पता चलता है कि बोर्नियो और सुमात्रा में शेष आबादी के लिए जल्द ही कुछ न कुछ करना होगा, अन्यथा ये भी लुप्त हो जाएंगे। ऐतिहासिक और आधुनिक जीनोम की तुलना से पता चला है कि मलेशियाई प्रायद्वीप की आबादी के विलुप्त होने से पहले सजातीय प्रजनन (इनब्रीडिंग) के स्तरों में तेजी से वृद्धि हुई है।

इसके अलावा, शोधकर्ताओं ने बार-बार हानिकारक म्यूटेशन होने में परिवर्तन देखा, जो इनब्रीडिंग के अनुरूप हैं, एक ऐसी घटना जहां निकट संबंधी माता-पिता के रूप में संतान पैदा करते हैं वहां आनुवंशिक बीमारी से पीड़ित होने के अधिक आसार होते हैं। इन परिणामों का मतलब यह है कि दो शेष आबादी को एक समान नियति का सामना करना पड़ सकता है यदि उनके इनब्रीडिंग स्तर में वृद्धि शुरू हो जाती है तो।

सेंटर फॉर पेलोजेनेटिक्स में विकासवादी आनुवंशिकी के प्रोफेसर लव डेलन कहते हैं कि, सुमात्रा के गैंडे फिर कभी जंगलों में नहीं दिखेंगे। लेकिन कम से कम हमारे निष्कर्ष एक रास्ता बताते हैं कि, जहां हम अभी भी प्रजातियों के आनुवंशिक विविधता के एक बड़े हिस्से को बचाने में सफल हो सकते हैं।

विलुप्त होने के खतरे को कम करने के लिए, शोधकर्ताओं का कहना है कि यह जरूरी है कि इनकी आबादी बढ़े। वे यह भी सुझाव देते हैं कि बोर्नियो और सुमात्रा के बीच जीनों के आदान-प्रदान को सफल बनाने के लिए कार्रवाई की जा सकती है, उदाहरण के लिए, गैंडों में कृत्रिम गर्भाधान द्वारा यह संभव है। इन दो द्वीपों के जीनोम की तुलना ने इस बात का कोई सबूत नहीं दिया कि इस तरह के आनुवंशिक आदान-प्रदान से ऐसे जीनों की शुरुआत हो सकती है, जो स्थानीय वातावरण के अनुकूल कम होते हैं। 

शोधकर्ता यह भी बताते हैं कि जीनोम अनुक्रमण का उपयोग एक उपकरण के रूप में किया जा सकता है, जो विशेष रूप से हानिकारक म्यूटेशनों की कम मात्रा वाले गैंडो की पहचान करता है और इस प्रकार के आनुवंशिक आदान-प्रदान के लिए ऐसे गैंडे विशेष रूप से अच्छी तरह से एक दूसरे के अनुकूल होते हैं।

नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित यह अध्ययन एक व्यापक परिप्रेक्ष्य में, दुनिया भर में लुप्तप्राय प्रजातियों के लिए संरक्षण के प्रयासों के मार्गदर्शन में आधुनिक जीनोम अनुक्रमण तकनीक की क्षमता पर प्रकाश डालता है।

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