अंतरराष्ट्रीय वन्यजीव व्यापार में तेंदुए के अंग बने बाघों का नया विकल्प

अस्तित्व के लिए जद्दोजहद करते तेंदुए ने अफ्रीका, एशिया और मध्य एशिया में अपने प्राकृतिक आवासों का करीब 75 फीसदी हिस्सा खो दिया है
भारतीय तेंदुआ; फोटो: सौरभ दास/ आईस्टॉक
भारतीय तेंदुआ; फोटो: सौरभ दास/ आईस्टॉक
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तेंदुए जैसी बड़ी बिल्लियों की प्रजाति अब गंभीर खतरे में हैं क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में बाघ के अंगों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए शिकारी और वन्यजीव तस्कर अब तेंदुए को विकल्प के रूप में देख रहे हैं। यह चेतावनी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पशुओं के कल्याण के लिए काम करने वाली संस्था फोर पॉज ने दी है।

अंतरराष्ट्रीय संगठन फोर पॉज, जो जंगली जीवों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए काम करता है, ने बताया कि तेंदुए के अंगों को जानबूझकर गलत लेबल किया जा रहा है और इन्हें बाघ की हड्डियों, दांतों, खोपड़ी और खाल की आड़ में उनका व्यापार किया जा रहा है। एशिया के वन्यजीव बाजारों में इन अंगों की पारंपरिक दवाओं, महंगे गहनों और सजावटी चीजों के लिए भारी मांग है। इसके साथ ही, जिंदा तेंदुओं की भी पालतू जानवर की तरह तस्करी की जा रही है।

संगठन ने बताया कि कि तेंदुए की जंगली आबादी भारी दबाव का सामना कर रही है। कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड इन एंडेंजर्ड स्पीशीज यानी सीआईटीईएस के तहत कड़ी सुरक्षा मिलने के बावजूद, साल 2020 से 2023 के बीच दुनियाभर में करीब 12,000 तेंदुओं और उनके अंगों का व्यापार किया गया। यह जानकारी सीआईटीईएस के आधिकारिक आंकड़ों में सामने आई है।

फोर पॉज की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि अफ्रीका, पश्चिम एशिया और एशिया में तेंदुए अपने करीब 75 फीसदी प्राकृतिक आवास से गायब हो चुके हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह शिकार और जंगलों का उजड़ना है।

फोर पॉज में वाइल्ड एनिमल्स ट्रेड की प्रमुख वनेसा एमोरोसो ने कहा, “जंगली बड़ी बिल्लियों की आबादी जहां विलुप्ति के कगार पर है, वहीं कुछ देशों में इन्हें पाला जा रहा है ताकि इन्हें जीवित या अंगों के रूप में बेचा जा सके। यह बहुत दुखद है कि ये खूबसूरत जीव अब सिर्फ पैसा कमाने का जरिया बनकर रह गए हैं।”

दक्षिण अफ्रीका की लचर कानून व्यवस्था और बड़ी बिल्लियों को पालने का कारोबार इस कदर फैल चुका है देश अब अंतरराष्ट्रीय अवैध व्यापार का एक प्रमुख केंद्र बन गया है। संगठन का कहना है कि दक्षिण अफ्रीका का यह उद्योग दुनियाभर में बड़ी बिल्लियों की मांग को बढ़ावा दे रहा है।

बयान में यह भी कहा गया है कि दुनियाभर में बड़ी बिल्लियों की सुरक्षा में भारी असमानता है। अलग-अलग देशों और प्रजातियों के आधार पर नियम बदलते हैं।

बाघों से तेंदुओं की ओर रुख करते तस्कर

तस्कर और व्यापारी इस कमजोरी को जानते हैं और इसका फायदा उठाकर वे उन जानवरों की तस्करी करते हैं जिन्हें पकड़ना आसान और कम संरक्षित माना जाता है। मतलब कि अगर बाघ पाना मुश्किल हो, तो वे तुरंत तेंदुए जैसे दूसरे जानवरों की तरफ बढ़ जाते हैं, जिनकी सुरक्षा कम होती है।

ऐसे में एमोरोसो ने सभी देशों से अपील की कि वे सीआईटीईएस के मानकों का पालन करें और वन्यजीव संरक्षण के अंतरराष्ट्रीय नियमों को सख्ती से लागू करें ताकि इस खतरनाक व्यापार की कड़ी को तोड़ा जा सके।

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