
हिमाचल प्रदेश में हिम तेंदुओं की संख्या 83 है। यह जानकारी राज्य के वन विभाग के वन्यजीव प्रकोष्ठ ने 17 अक्टूबर 2025 को जारी अपने बयान में दी। यह आंकड़ा राज्य में की गई हिम तेंदुओं की दूसरी व्यापक गणना के परिणामस्वरूप सामने आया है।
वन विभाग ने यह सर्वेक्षण नेचर कंजर्वेशन फाउंडेशन के साथ मिलकर राज्य के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में एक वर्ष से अधिक समय तक किया।
सर्वेक्षण के दौरान 26,000 वर्ग किलोमीटर में फैले हिम तेंदुओं के आवास क्षेत्र के छह प्रतिनिधि स्थलों पर बड़े पैमाने पर कैमरा ट्रैपिंग की गई।
इस प्रक्रिया में कुल 44 वयस्क हिम तेंदुए (जो 2021 की गणना में भी इतने ही थे) की पहचान हुई। इन तेंदुओं की 262 बार तस्वीरें खींची गईं, जिनके विश्लेषण के आधार पर राज्य में हिम तेंदुओं की अनुमानित संख्या 83 (शावकों को छोड़कर) आंकी गई है।
हिम तेंदुओं की घनत्व प्रति 100 वर्ग किलोमीटर में 0.16 से 0.53 के बीच पाई गई। इनमें स्पीति और पिन घाटी के ट्रांस-हिमालयी क्षेत्र, उसके बाद ऊपरी किन्नौर और ताबो क्षेत्र में सबसे अधिक घनत्व दर्ज किया गया।
बयान के अनुसार, कैमरा ट्रैप लगाने का कार्य स्पीति के किब्बर गांव के आठ स्थानीय युवाओं ने किया, जो 2010 से ऐसे अध्ययनों में सक्रिय हैं। इनके साथ स्पीति वन प्रभाग के 20 फील्ड अधिकारी और 15 स्थानीय समुदाय के सदस्य जुड़े थे।
विशेष रूप से उल्लेखनीय यह रहा कि यह दुनिया का पहला सर्वेक्षण था, जिसमें किब्बर की एक स्थानीय महिलाओं की टीम ने डेटा विश्लेषण में भाग लिया — जो सामुदायिक भागीदारी आधारित संरक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है।
इस सर्वेक्षण को स्नो लेपर्ड ट्रस्ट और रॉयल एनफील्ड सोशल मिशन का सहयोग प्राप्त था। अध्ययन के दौरान कैमरा ट्रैप से प्राप्त आंकड़ों का उपयोग एंसेम्बल मॉडलिंग तकनीक के जरिए अन्य स्तनधारी जीवों के वितरण का मानचित्र तैयार करने में भी किया गया। शिकार की मुख्य प्रजातियों, जैसे नीली भेड़, हिमालयी आइबेक्स, और कस्तूरी मृग के अपडेटेड वितरण मानचित्र भी तैयार किए गए।
इसके अलावा, कैमरा ट्रैप में कई अन्य प्रजातियाँ दर्ज की गईं, जिनमें हिमालयी भेड़िया, भूरा भालू, साधारण तेंदुआ, लाल लोमड़ी, स्टोन मार्टन, माउंटेन वीज़ल और येलो-थ्रोटेड मार्टन शामिल हैं।
अध्ययन में पहली बार किन्नौर जिले में पैलस की बिल्ली की आधिकारिक मौजूदगी दर्ज की गई। साथ ही लाहौल क्षेत्र में वूली फ्लाइंग स्क्विरल की पुनः खोज भी रिपोर्ट की गई।
जहां अधिकांश हिम तेंदुओं की तस्वीरें संरक्षित क्षेत्रों — जैसे किब्बर वन्यजीव अभयारण्य, ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क, सेचू तुआन नाला और आस्रंग अभयारण्य — के भीतर ली गईं, वहीं कई हिम तेंदुए संरक्षित क्षेत्रों के बाहर भी पाए गए, जो इनके विस्तृत वितरण का संकेत देते हैं।
बयान में कहा गया, “यह तथ्य इस बात को रेखांकित करता है कि हिम तेंदुओं के आवासों की रक्षा में स्थानीय समुदायों की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है। साथ ही, यह पूरे राज्य में सामुदायिक भागीदारी पर आधारित संरक्षण प्रयासों के बढ़ते महत्व को भी उजागर करता है।”