
कल्पना कीजिए, आप सुबह जगें, और पेड़ों पर न कोई गीत, न पंखों की सरसराहट, न ही आकाश में उड़ते रंग-बिरंगे पक्षियों के झुंड। यह कोई कोरी कल्पना नहीं, बल्कि वैज्ञानिकों की चेतावनी है। वैज्ञानिकों ने चेताया है कि अगले सौ वर्षों में पक्षियों की 500 से अधिक प्रजातियां धरती से हमेशा के लिए विलुप्त हो सकती हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग से जुड़े वैज्ञानिकों ने अपने एक चौंकाने वाले अध्ययन में बताया है कि जलवायु परिवर्तन और मानवों द्वारा प्राकृतिक आवासों के बढ़ते विनाश के कारण हम पक्षी-विलुप्ति के एक ऐसे संकट की ओर बढ़ रहे हैं, जैसा आधुनिक इतिहास में पहले कभी नहीं देखा गया।
इस अध्ययन के नतीजे अंतराष्ट्रीय जर्नल नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन में प्रकाशित हुए हैं।
वैज्ञानिकों के मुताबिक अगले 100 वर्षों में इतनी अधिक संख्या में पक्षी धरती से गायब हो सकते हैं, जितने 500 वर्षों में कभी नहीं हुए। यह आंकड़ा उन सभी पक्षी प्रजातियों के विलुप्त होने की संख्या से तीन गुना ज्यादा है, जो 1500 से अब तक दर्ज की गई हैं।
अध्ययन के मुताबिक अगर बेयर-नेक्ड अम्ब्रेलाबर्ड, हेलमेटेड हॉर्नबिल और येलो-बेली सनबर्ड जैसे पक्षी विलुप्त हो गए, तो दुनिया में पक्षियों के आकार और रूपों की विविधता बहुत कम हो जाएगी। ये पक्षी आकार और कार्यों में बेहद विविध हैं, इससे उन प्राकृतिक तंत्रों को नुकसान होगा जो इन खास पक्षियों पर निर्भर हैं।
सिर्फ संरक्षण काफी नहीं
वैज्ञानिकों ने पाया है कि अगर इंसानों की वजह से होने वाले सभी खतरों जैसे जंगलों की कटाई, शिकार और जलवायु परिवर्तन को पूरी तरह रोक दिया जाए, तब भी पक्षियों की करीब 250 प्रजातियां विलुप्त हो सकती हैं। ऐसे में इन्हें बचाने के लिए विशेष उपायों जैसे प्रजनन कार्यक्रम और प्राकृतिक आवासों की बहाली की आवश्यकता होगी।
इस बारे में यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग और अध्ययन से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता केरी स्टुअर्ट ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा, "कई पक्षी पहले से इतने संकट में हैं कि सिर्फ इंसानों द्वारा किए गए नुकसान को कम करना उन्हें बचाने के लिए काफी नहीं होगा। इन प्रजातियों को बचाने के लिए विशेष कार्यक्रमों की जरूरत है, जैसे कि प्रजनन केंद्र और उनके प्राकृतिक आवासों को फिर से बसाना।"
उनका आगे कहना है कि “आज हम पक्षियों की एक विलुप्ति का सामना कर रहे हैं, जो आधुनिक समय में पहले कभी नहीं देखी गई। हमें तुरंत कदम उठाने होंगे, इंसानों से होने वाले खतरों को कम करना होगा और खास व संकट में पड़ी प्रजातियों को बचाने के लिए विशेष प्रयास करने होंगे।“
अधिक संकट में बड़े पक्षी
इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पक्षियों की करीब 10,000 प्रजातियों का विश्लेषण किया है। उन्होंने हर प्रजाति पर मंडरा रहे खतरों के अनुसार उनके विलुप्त होने का अंदाजा लगाया है।
इस विश्लेषण से से पता चला है कि बड़े आकार के पक्षी शिकार और जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, जबकि चौड़े पंखों वाले पक्षी जंगलों की कटाई और आवास को हो रहे नुकसान से अधिक प्रभावित होते हैं।
अध्ययन में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि पक्षियों और प्रकृति को बचाने के लिए संरक्षण के कौन से तरीके सबसे असरदार होंगे।
यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग और अध्ययन से जुड़े शोधकर्ता प्रोफेसर मैनुएला गोंजालेज-सुआरेज के मुताबिक इन्हें बचाने के लिए सिर्फ खतरों को रोकना काफी नहीं होगा। अगले सौ वर्षों में पक्षियों की 250 से 350 प्रजातियों को बचाने के लिए खास प्रयासों जैसे प्रजनन कार्यक्रम और आवास की बहाली की जरूरत होगी।"
कैसे बचेगी विविधता
उनके मुताबिक अगर हम सिर्फ 100 सबसे अनोखी और खतरे में पड़ी पक्षी प्रजातियों को प्राथमिकता दें, तो हम दुनिया में अलग-अलग आकार और रूपों के पक्षियों की 68 फीसदी विविधता को बचा सकते हैं। इसका सीधा असर पारिस्थितिक तंत्र की सेहत पर पड़ेगा।
अध्ययन के मुताबिक जंगलों और आवासों को सुरक्षित रखना सबसे ज्यादा पक्षियों को बचाने में मदद करेगा। लेकिन शिकार और दुर्घटनावश हो रही मौतों को रोकना खास तरह के अनोखे पक्षियों को बचाएगा, जो हमारे पारिस्थितिक तंत्र के लिए बेहद जरूरी हैं। इसके साथ ही संकटग्रस्त प्रजातियों के लिए विशेष संरक्षण कार्यक्रम चलाना भी बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है।
देखा जाए तो हम एक ऐसे अभूतपूर्व संकट की ओर बढ़ रहे हैं, जहां पक्षियों की अनोखी प्रजातियां धीरे-धीरे धरती से गायब होती जा रही हैं। अगर हमने अब भी समय रहते ठोस कदम न उठाए, तो पक्षियों की ये दुर्लभ प्रजातियां महज कहानियों-किताबों में सिमट जाएंगी।