जलवायु परिवर्तन से बड़े और प्रवासी पक्षियों की जन्मदर में क्यों आ रही है गिरावट?

रिसर्च से पता चला है कि बढ़ता तापमान दुनिया भर में बड़े और प्रवासी पक्षियों की प्रजनन दर में कमी की वजह बन रहा है जो इनकी आबादी के लिए खतरा है
अपने चूजों को खिलाता सफेद सारस का जोड़ा; फोटो आईस्टॉक
अपने चूजों को खिलाता सफेद सारस का जोड़ा; फोटो आईस्टॉक
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जलवायु परिवर्तन आज एक ऐसी समस्या बन चुका है जिससे करीब-करीब दुनिया का हर देश त्रस्त है। लेकिन इस समस्या ने सिर्फ इंसानों को ही अपना निशाना नहीं बनाया है। इसका असर जीवों, पेड़- पौधों, और इकोसिस्टम सभी पर पड़ रहा है। पता चला है कि जलवायु में आता बदलाव पक्षियों को भी अपना निशाना बना रहा है। इसकी पुष्टि हाल ही में एक नई रिसर्च ने भी की है।

रिसर्च के मुताबिक पिछले 50 वर्षों के दौरान जलवायु परिवर्तन ने दुनिया भर में पक्षियों को प्रभावित किया है। इसकी वजह से प्रवासी और बड़े पक्षियों के बच्चों की जन्मदर में गिरावट आई है। वहीं इसके यह भी सामने आया है कि इस बदलती जलवायु से कुछ छोटे पक्षियों को फायदा भी पहुंचा है।

इस बात की पुष्टि दुनिया भर में 201 पक्षियों की आबादी पर किए अध्ययन में हुई हैं। जिनका पिछले 50 वर्षों तक 1970 से 2019 के बीच अध्ययन किया गया था। देखा जाए तो पिछले कुछ अध्य्यनों में इस बात की पुष्टि हुई है कि जलवायु में आते बदलावों ने पक्षियों के प्रजनन के समय पर असर डाला है। हालांकि इससे उनकी प्रजनन दर पर क्या प्रभाव पड़ रहा है इस बारे में सीमित जानकारी ही उपलब्ध है।

यही वजह है कि इस नए अध्य्यन में शोधकर्ताओं ने दुनिया भर में पक्षियों की 104 प्रजातियों पर पिछले 50 वर्षों तक अध्ययन किया है। इस रिसर्च के जो नतीजे सामने आए हैं उनके अनुसार कुल मिलकर देखा जाए तो जलवायु में आता बदलाव पक्षियों की प्रजनन दर में कमी की वजह बन रहा है।

इतना ही नहीं प्रजनन दर में आती यह कमी बड़े और प्रवासी पक्षियों को कहीं ज्यादा प्रभावित करेंगे। वहीं छोटे और ऐसे पक्षी जो ज्यादा लम्बी यात्रा नहीं करते उन्हें बढ़ते तापमान से फायदा हो सकता है। रिसर्च के मुताबिक अध्ययन किए गए 56.7 फीसदी पक्षियों की प्रजनन दर में गिरावट दर्ज की गई थी।

इसी तरह 43.3 फीसदी प्रजातियों में इसमें वृद्धि दर्ज की गई। देखा जाए तो प्रजनन दर में यह गिरावट प्रजातियों के पारिस्थितिक और जीवन से जुड़े ऐतिहासिक लक्षणों पर पड़ते जलवायु परिवर्तन के जटिल प्रभावों का नतीजा है। इस रिसर्च के नतीजे जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (पनास) में प्रकाशित हुए हैं।

अपने इस अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने हर प्रजाति के पक्षी की आबादी की प्रजनन के 15 से 49 सीजन में जांच की थी और यह समझने का प्रयास किया था कि क्या स्थानीय तापमान और बारिश में आता बदलाव इन पक्षियों की प्रजनन दर को प्रभावित कर रहा है। रिसर्च के मुताबिक प्रजातियों के आधार पर जलवायु परिवर्तन अलग-अलग असर डाल रहा है। जो इन पक्षियों की शारीरिक संरचना, वजन, गुणों, इनके आवास, जरुरतों, इंसानी प्रभाव, संरक्षण की स्थिति, और पक्षियों की प्रजनन दर पर निर्भर करता है।

रिसर्च के मुताबिक जहां बढ़ता तापमान बड़े पक्षियों की प्रजनन दर में गिरावट की वजह था। लेकिन यह सीधे तौर पर जलवायु परिवर्तन से नहीं जुड़ा था, बल्कि यह जलवायु में आते बदलावों और इन पक्षियों के जीवन, पारिस्थितिक लक्षणों आदि से सम्बंधित था।

जलवायु में आते परिवर्तन का सबसे ज्यादा असर  मोंटागु हैरियर और वाइट स्टॉर्क पर देखा गया जो दोनों ही आकार में बड़े और प्रवास करने वाले पक्षी हैं। इसी तरह दाढ़ी वाले गिद्ध जो बड़े तो हैं लेकिन प्रवास नहीं करते, रोसेटे टर्न जो माध्यम आकार के प्रवासी पक्षी हैं, जलवायु परिवर्तन के चलते उनकी प्रजनन दर में गिरावट दर्ज की गई थी।

ऐसा ही कुछ घरों में मिलने वाली सामान्य मार्टिन जो आकार में छोटी प्रवासी पक्षी के साथ भी देखा गया। वहीं ऑस्ट्रेलिया में पाई जाने वाली लाल पंखों वाली फेयरी व्रेन शामिल हैं जो आकार में छोटी और गैर प्रवासी पक्षी है उसके बच्चों की संख्या में भी कमी आई है।

पक्षियों की प्रजनन दर को कैसे प्रभावित कर रहा है बढ़ता तापमान

वहीं इसके विपरीत बुलवर का पेट्रेल पक्षी जो मध्ययम आकार का प्रवासी पक्षी है उसकी प्रजनन दर में जलवायु परिवर्तन के साथ  वृद्धि दर्ज की गई। इसके अलावा यूरेशियन स्पैरो हॉक, यूरेशियन राइनेक्स, कॉलरड फ्लाईकैचर और प्रोथोनोटरी वारब्लर की प्रजनन दर में भी इजाफा हुआ है।

दूसरी तरफ कुछ पक्षी जैसे बार्न स्वॉलो के बच्चों की संख्या कहीं ज्यादा तो कहीं घट रही थी। जो दर्शाता है कि भले ही वैश्विक तापमान दुनिया भर में बढ़ रहा है लेकिन स्थानीय मौसम और तापमान पर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव प्रजातियों की प्रजनन दर को अलग-अलग तरह से प्रभावित कर सकते हैं। 

रिसर्च के मुताबिक ग्लोबल वार्मिंग ने जहां एक किलोग्राम से अधिक भारी और गैर प्रवासी पक्षियों और 50 ग्राम से ज्यादा वजन वाले प्रवासी पक्षियों की समस्याओं को गंभीर बना दिया है। ऐसा इसलिए हैं क्योंकि बड़े आकार की यह पक्षी प्रजातियां जलवायु अनुकूलन के प्रति कम सक्षम होती हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि यह अपना जीवन धीमी गति से जीती हैं। इस वजह से इन्हें बड़ा होने और संतान पैदा करने में समय लगता है। वहीं वो दूसरे पक्षियों के मुताबिक कम अंडे देती हैं।

दूसरी तरफ प्रवासी प्रजातियों के लिए गर्म जलवायु खाद्य उपलब्धता को प्रभावित कर सकती है। यह उस समय गंभीर हो जाती है जब वो उनके बच्चों के लिए खाने की जरूरत सबसे ज्यादा होती है। इतना ही नहीं प्रवासी पक्षी जिन स्थानों की ओर प्रवास करते हैं वहां बढ़ता तापमान उनको प्रभावित कर सकता है।

शोधकर्ताओं के मुताबिक यदि दूसरी तरफ अध्ययन किए गए प्रोथोनोटरी वारब्लर पक्षी की बात करें तो बढ़ता तापमान इनके लिए फायदेमंद होता है। यह पक्षी जंगलों में वेटलैंड और दलदली भूमि पर प्रजनन करते हैं। पता चला है कि स्थानीय तापमान बढ़ने से यही कहीं ज्यादा अंडे दे सकते हैं। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उन्होंने जलवायु के अनुकूल होते हुए सीजन से पहले ही अंडे देना शुरू कर दिया था। साथ ही स्थानीय तौर पर बढ़ते तापमान का उनके आहार यानी कीड़ों की उपलब्धता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा था।

ऐसे में बढ़ता तापमान न केवल इंसानों बल्कि इन जीवों के लिए गंभीर संकट बन जाए उसपर लगाम कसना जरूरी है। साथ ही इन बड़े प्रवासी पक्षियों को बचाने के लिए विशेष तौर पर ध्यान देना जरूरी है, जिसके लिए अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रयास किए जाने चाहिए। हमें समझना होगा कि यह जीव हमारे पारिस्थितिकी तंत्र का एक अभिन्न अंग है, जो पृथ्वी पर संतुलन के लिए बहुत जरूरी हैं।

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