5 अगस्त 2025 को उत्तराखंड का कस्बा धराली मलबे में तब्दील हो गया, जिसमें कई भवनों के साथ दर्जनों लोग भी दफन हो गए। पीछे छूट गया तो एक सवाल, आखिर कब थमेगी ऐसी आपदाएं?
धराली में मलबा आने के कारण जानने के लिए गए वाडिया संस्थान के वैज्ञानिक अमित कुमार ने संभावना जताई कि ऊपरी क्षेत्र में लगातार बारिश हुई। अभी आंकड़ों की समीक्षा बाकी है
हिमालयी राज्यों को केवल आपदा राहत ही नहीं, बल्कि दीर्घकालिक वैज्ञानिक अध्ययन, आंकड़ा संग्रह, रियल-टाइम निगरानी प्रणालियों और समुदायों की तैयारी में भी सहयोग की आवश्यकता है
पांच अगस्त 2025 को उत्तरकाशी के धराली में आई अचानक बाढ़ में पूरा कस्बा तबाह हो गया था, तब प्रशासन ने मरने वालों की संख्या चार बताई थी, लेकिन अब एक बताया गया है
जलवायु परिवर्तन चरम स्थितियों को और बढ़ा रहा है, क्योंकि मानसूनी तूफान अब गर्म वातावरण में बन रहे हैं जो थोड़े समय के लिए कहीं अधिक नमी को रोककर रखता है और गिरा देता है, जिससे अचानक बाढ़ व भूस्खलन होत ...
हिमालय नीति अभियान के आकलन के अनुसार सराज क्षेत्र में सात लोगों की मौत हुई। अब तक 21 लोग लापता हैं और 500 करोड़ का नुकसान हुआ। 50 हजार से अधिक लोग प्रभावित हुए