आपदा प्रदेश बना उत्तराखंड: धराली के बाद थराली में तबाही

उत्तराखंड के चमोली जिले के थराली में स्थित ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन में 24 घंटे में 147 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड हुई
थराली कस्बे में डेढ़ से दो फुट तक मलबा जमा हो गया है। फोटो, डीआईपीआर उत्तराखंड
थराली कस्बे में डेढ़ से दो फुट तक मलबा जमा हो गया है। फोटो, डीआईपीआर उत्तराखंड
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उत्तरकाशी के धराली के बाद चमोली के थराली में भी एक गदेरे के उफान पर आ जाने से जान-माल का नुकसान हुआ है। गदेरे में पानी के साथ आए मलबे में दबने से एक युवती की मौत हो गई है और एक व्यक्ति लापता बताया जा रहा है। राहत और बचाव कार्य जारी हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि भारी बारिश की वजह से रात जागते हुए कट रही हैं।

मौसम विज्ञान केंद्र, देहरादून के प्रभारी निदेशक रोहित थपलियाल ने डाउन टू अर्थ को बताया कि थराली में 22 अगस्त से 23 अगस्त की सुबह तक बहुत भारी बारिश दर्ज की गई है।

उन्होंने बताया कि धराली में स्थित ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन (AWS) में 24 घंटे में 147मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड हुई है। यह बहुत भारी बारिश के श्रेणी में आता है।

हालांकि वह यह साफ़ कर देते हैं कि यह अतिवृष्टि यानी बादल फटने की श्रेणी में नहीं आता।

23-24 की रात तहसील करीब एक बजे थराली के टुनरी गदेरे में पानी बढ़ने के कारण तहसील परिसर, चेपड़ो गांव के बाजार, कोटदीप बाजार और कुछ घरों में 1 से 2 फीट मलबा घुस गया और कुछ वाहन भी मलबे में दब गए. ग्राम संगवाड़ा में एक मकान में मलबा आने के कारण एक युवती की मलबे में दबने से मौत हो गई, जिसका शव डीडीआरएफ थराली के जवानों ने मलबे से बरामद कर लिया है।

इसके अलावा एक व्यक्ति लापता भी है, जिसकी तलाश की जा रही है। गंभीर रूप से घायल 6 लोगों को हेलीकॉप्टर से एम्स ऋषिकेश भेजा गया है और दो दर्जन से अधिक लोगों का स्थानीय स्तर पर इलाज किया गया है।

चमोली जिला प्रशासन के अनुसार जिलाधिकारी संदीप तिवारी स्वयं मौके पर मौजूद रहकर राहत-बचाव कार्यों का निरीक्षण कर रहे हैं। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पुलिस बल की टीमें राहत बचाव का कार्य कर रही हैं.

बीआरओ, स्वास्थ्य विभाग एवं अन्य विभागीय अधिकारियों की तैनाती कर दी गयी है।

राजकीय पॉलीटेक्निक कॉलेज और शहीद भवानीदत्त इंटर कॉलेज चेपड़ो में रिलीफ सेंटर बनाया गया है। साथ ही लोगों को रिलीफ सेंटर तक लाने के लिए वाहनों की व्यवस्था की गयी है।

भारी बारिश की चेतावनी के चलते शनिवार को थराली, देवाल व नारायणबगड़ विकासखंड के स्कूल बंद रखे गए।

नारायण बगड़ के रहने वाले प्रकाश नेगी ने डाउन टू अर्थ से कहा कि थराली, देवाल और नारायण बगड़ गांवों में शुक्रवार को बहुत ज्यादा बारिश हुई है। वह कहते हैं कि बारिश से पिंडर नदी ही नहीं, गदेरे भी उफान पर हैं। नदी और गदेरो को उफनता देखकर लोगों ने रात जागकर काटी।

नेगी यह भी कहते हैं कि पिछले कुछ सालों से थराली में लगातार फ्लैश फ्लड आ रहे हैं। दो साल पहले प्राणमती गदेरे में एक साल में 2 बार फ्लैश फ्लड आया था।

इस साल जहां बादल फटा है (फ्लैश फ्लड आया है), वहां एक साल पहले भी फ्लैश फ्लड आया था।

स्यानाचट्टी में खुली अस्थाई झील

21 अगस्त को बड़कोट तहसील के स्यानाचट्टी में गदेरे में मलवा आने से बनी अस्थाई झील का पानी कम होने लगा है और स्थिति सामान्य होने लगी है।

बता दें कि स्यानाचट्टी के कुपड़ा खड्ड में मलबा बोल्डर आने के कारण यमुना नदी में बनी झील बन गई थी। प्रशासन के लिए इसे खोलना बड़ी चुनौती बन हुआ था क्योंकि लगातार पत्थर गिर रहे थे।

उत्तरकाशी के जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने डाउन टू अर्थ को बताया कि गुरुवार रात बारिश से पानी बढ़ गया था और लगातार मलबा गिरने की वजह से पोकलैंड मशीनें वहां काम नहीं कर पा रही थीं।

इसके बाद झील को पंक्चर करने के लिए कंट्रोल्ड ब्लास्ट किया गया और रात से झील से पानी निकलना शुरू हो गया।

शनिवार को उत्तरकाशी प्रशासन ने क्षतिग्रस्त हुई परिसंपत्तियों का मुआयना कर नुकसान का आकलन शुरू कर दिया।

खास बात यह है कि स्थानीय लोगों द्वारा शुक्रवार को पानी के अंदर खड़े होकर किए गए प्रदर्शन के बाद ही प्रशासन ने तत्परता दिखाते हुए कंट्रोल्ड ब्लास्ट किया।

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