धराली त्रासदी: आपदा के कारणों की तलाश के लिए कमेटी गठित

पांच अगस्त 2025 को उत्तरकाशी के धराली में आई अचानक बाढ़ में पूरा कस्बा तबाह हो गया था, तब प्रशासन ने मरने वालों की संख्या चार बताई थी, लेकिन अब एक बताया गया है
धराली में बचाव कार्यों में लगे सेना के जवान । फोटो : X@adgpi
धराली में बचाव कार्यों में लगे सेना के जवान । फोटो : X@adgpi
Published on

उत्तराखंड के धराली कस्बे में त्रासदी के चार दिन बाद आपदा के कारणों की तलाश के लिए एक कमेटी बनाई गई है।

9 अगस्त 2025 की देर शाम मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास सचिव को धराली एवं पौड़ी में भू-वैज्ञानिकों की एक टीम भेजने के निर्देश दिए, जो इन आपदाओं के कारणों का अध्ययन करेगी। आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि तीन-तीन सदस्यीय टीम दोनों भेजने के लिए निदेशक भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग को पत्र भेज दिया गया है। यह टीम एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट शासन को प्रस्तुत करेगी।

हर्षिल के सेब बागवान माधवेंद्र रावत सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। उन्होंने डाउन टू अर्थ को बताया कि धराली में लोगों को आश्रय की जरूरत है। गांव वालों के सेब के बगीचे हैं, जिनके लिए उन्हें बागवानी में काम आने वाली मशीनें चाहिए, जो बह गई है। ऐसी चीजें जो उन्हें लंबे समय तक मदद करें, वह अपने पैरों पर खुद खड़े हो जाएंगे।

रावत के मुताबिक धराली बाजार में मलबा 40 से 50 फ़ीट तक है और ऐसे में सामान्य ढंग से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाना लगभग असंभव है। स्नाइफर डॉग जहां जिंदगी का कोई संकेत महसूस कर रहे हैं, वहां खुदाई की जा रही हैै। इसके अलावा थर्मल इमेजिंग, विक्टिम लोकेटिंग कैमरे की मदद ली जा रही है।

उनके अनुसार लापता लोगों में वहां काम करने वाले मजदूरों की संख्या ज्यादा है, जो 50 को पार कर सकती है। स्थानीय लोगों के बारे में अभी अंदाजा नहीं लग पा रहा है, लेकिन 8-10 का तो पता नहीं लग पाया है।

'घट' गई मृतकों की संख्या

खीरगंगा नदी के उफान पर आने के बाद धराली में आई तबाही को चार दिन बीत चुके हैं लेकिन राहत और बचाव कार्य की चुनौतियां अब भी कम नहीं हुई हैं। वहीं, आश्चर्यजनक रूप से इस त्रासदी में मरने वालों की संख्या एक बार फिर घट गई है। आधिकारिक रूप से अब तक इस हादसे में सिर्फ एक व्यक्ति की मृत्यु हुई है।

जिला प्रशासन उत्तरकाशी और राज्य सरकार का आपदा नियंत्रण केंद्र जो प्रेस रिलीज जारी कर रहा है उसमें रेस्क्यू किए जाने के विस्तृत ब्यौरे तो हैं, लेकिन सबसे बड़े दो सवालों के जवाब नहीं नजर आ रहे। पहला तो यह कि इस हादसे में कितने लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है और दूसरा कितने लापता हैं।  

5 अगस्त को हादसे के बाद उत्तरकाशी के जिलाधिकारी ने हादसे में 4 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की थी। 6 तारीख को राज्य के आपदा नियंत्रण केंद्र ने प्रेस नोट जारी कर बताया कि 2 ही लोग मारे गए थे और आज यानी 9 अगस्त को यह संख्या एक ही रह गई।

इस बारे में डाउन टू अर्थ ने उत्तरकाशी के जिला आपदा अधिकारी शार्दुल गुसाईं से बात की तो उन्होंने कहा कि अब तक एक ही व्यक्ति के मारे जाने की पुष्टि हो सकी है। जब उनसे कहा गया कि पहले चार व बाद में दो के मरने की पुष्टि की गई थी तो उन्होंने सिर्फ यही कहा कि अब तक एक ही व्यक्ति की लाश बरामद हुई है इसलिए वह इसके अलावा कोई और बात नहीं कह सकते।

जब उनसे पूछा गया कि कितने लोग लापता हैं, तो उन्होंने इस सवाल का जवाब देने में भी असमर्थता व्यक्त की और कहा कि बिना किसी आधार के वह यह अनुमान नहीं लगा सकते। इसलिए इस बारे में अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता।

रेस्क्यू ऑपरेशन की चुनौतियां

धराली में रेस्क्यू ऑपरेशन यानी बचाव कार्यों को पूरी तरह से शुरू करना एक बड़ी चुनौती बना हुआ है क्योंकि वहां तक पहुंचने के रास्ते ही टूटे हुए हैं।

आपातकालीन परिचालन केन्द्र, उत्तरकाशी की दोपहर दो बजे जारी प्रेस रिलीज के अनुसार गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग (34) को गंगनानी से आगे नाग मन्दिर (लिम्चागाड) तक सुचारू किया गया है, अब (दोपहर 2 बजे) तक ये निम्न स्थानों पर बाधित है…

1. गंगनानी से आगे नाग मन्दिर (लिम्बागाड) के पास 30 मीटर पुल क्षत्तिग्रस्त हुआ है. वहां वैलीब्रिज का निर्माण लगभग 50 प्रतिशत हो गया है। मौसम सामान्य रहने की स्थिति में 10 तारीख की शाम तक यह पूरा हो जाएगा।

2. सोनगाढ के पास भागीरथी नदी से कटाव के कारण मार्ग क्षतिग्रस्त है।

3. डबरानी के पास भागीरथी नदी से कटाव के कारण मार्ग क्षतिग्रस्त है।

4. हर्षिल और धराली के पास राष्ट्रीय राजमार्ग के लगभग 350 मीटर भाग में मलवा आया है, जिसमें 200 मीटर तक मार्ग से मलबा हटाया गया है और 150 मीटर भाग खोला जाना बाकी है।

इसमें हर्षिल से निकाले गए लोगों की संख्या भी बताई गई है। अब तक कुल 947 लोगों को रेस्क्यू किया गया है। इनमें से 586 को मातली, 249 को चिन्यालीसौड़, 112 को जौलीग्राण्ट, देहरादून पहुंचाया गया है।

धराली की त्रासदी को कवर करने गए विभिन्न चैनलों और अन्य समाचार माध्यमों के पत्रकार सोशल मीडिया पर ग्राउंड जीरो तक पहुंचने की दिक्कतों को भी साझा कर रहे हैं। कोई बता रहा है कि 30-35-40 किलोमीटर तक पैदल चलकर वहां पहुंचा है तो कोई लकड़ी की बल्लियों पर बमुश्किल बैलेंस बनाकर गदेरे को पार करने के वीडियो शेयर कर रहा है।

इस बीच शनिवार शाम को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने भी इसी सिलसिले में एक फेसबुक पोस्ट में कहा, “दो दिन तक प्रशासन ने मुझे लैम्चागाड़ से आगे नहीं बढ़ने दिया। सिर्फ मुझे ही नहीं, बल्कि उन जुझारू पत्रकारों को भी रोक दिया, जो सच दिखाने का साहस रखते हैं। वहीं, सरकार के “चेहते” पत्रकारों को हेलीकॉप्टर से धराली भेजा गया, ताकि उनकी तस्वीरें और रिपोर्टें सरकार के मनचाहे रंग में रंगी रहें।”

छह महीने का राशन और पांच लाख सहायता देगी सरकार

शनिवार शाम मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने धराली रेस्क्यू ऑपरेशन के बारे में कहा कि राज्य सरकार की प्राथमिकता लोगों को सुरक्षित स्थानों में पहुंचाने की थी। खराब मौसम के बावजूद अब तक 1000 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू किया जा चुका है, जिनमें स्थानीय लोगों के साथ देश भर से आए तीर्थ यात्री भी शामिल हैं।

मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रभावित परिवारों को अगले 6 महीने का राशन राज्य सरकार उपलब्ध करवाएगी। आपदा से जिन लोगों के मकान पूर्णतः क्षतिग्रस्त या नष्ट हुए हैं, उनके पुनर्वास/विस्थापन के लिए पांच लाख रुपये की तत्काल सहायता राशि जारी की जाएगी।

उन्होंने बताया ग्राम वासियों के पुनर्वास के लिए सचिव, राजस्व की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है, जो प्रभावित हुए लोगो के पुनर्वास, विस्थापन एवं हानि का आकलन करेगी। आपदा से सेब के बगीचों को हुए नुकसान का भी आकलन किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने बताया कि धराली के साथ ही प्रदेश के अन्य स्थानों में भी आपदा से तबाही पर सहायता मिलेगी. पौड़ी के सैंजी और बांकुड़ा गांव में भी जिन लोगों के घर क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें भी राज्य सरकार के स्तर से ₹ 5 लाख तक भी सहायता राशि दी जाएगी।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in