बीएचयू की स्टडी के मुताबिक मानसून से पहले ब्लैक कार्बन के स्तर में सालाना गिरावट का जो आंकड़ा 0.31 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर देखा गया, वो मानसून के बाद 1.86 माइक्रोग्राम/घन मीटर तक पहुंच गया
21वीं सदी के बाद से, दक्षिण एशियाई ब्लैक कार्बन एरोसोल ने दक्षिण एशियाई मॉनसून में जल वाष्प की गति को बदलकर तिब्बती पठार के ग्लेशियरों की वास्तविक आपूर्ति को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित किया है।
अधिकांश आकाशगंगाओं के हृदय में एक विशालकाय ब्लैक होल होता है, जैसे किसी मकड़ी का जाला हो, ये अदृश्य राक्षस अपने रास्ते में आने वाली हर चीज को निगल जाते हैं
ब्लैक डेथ के नाम से बदनाम यह बीमारी ब्यूबोनिक प्लेग 14 वीं शताब्दी में यूरोप में फैली थी, जिसकी वजह से यूरोप में पांच करोड़ से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी