

वैज्ञानिकों ने समुद्र की गहराई से छह करोड़ साल पुरानी ज्वालामुखीय चट्टानों में बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड पाई।
लावा से बनी टूटी-फूटी चट्टानें (ब्रेशिया) प्राकृतिक स्पंज की तरह सीओ2 को सोखकर लंबे समय तक सुरक्षित रखती हैं।
इन चट्टानों में सामान्य समुद्री लावे की तुलना में दो से 40 गुना अधिक कार्बन संग्रहित पाया गया।
समुद्री पानी और चट्टानों के बीच रासायनिक क्रिया से सीओ2 कैल्शियम कार्बोनेट खनिज में बदल जाती है।
यह खोज पृथ्वी के लंबी अवधि के कार्बन चक्र और जलवायु संतुलन को समझने में महत्वपूर्ण योगदान देती है।
धरती पर कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2 ) की मात्रा जलवायु और वातावरण को बड़ी गहराई से प्रभावित करती है। वैज्ञानिक लंबे समय से यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि करोड़ों वर्षों तक यह गैस पृथ्वी पर कैसे संतुलित बनी रहती है। हाल ही में वैज्ञानिकों ने समुद्र की गहराई में मौजूद ज्वालामुखीय चट्टानों के बारे में एक महत्वपूर्ण खोज की है, जो इस रहस्य को समझने में मदद करती है।
वैज्ञानिकों ने दक्षिण अटलांटिक महासागर के नीचे से लगभग छह करोड़ साल पुरानी चट्टानों के नमूने निकाले। ये चट्टानें समुद्र की सतह से बहुत नीचे स्थित थीं और ज्वालामुखीय गतिविधियों से बनी थीं। इन चट्टानों के अध्ययन से पता चला कि ये लंबे समय तक बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड को अपने अंदर बंद करके रख सकती हैं।
समुद्र के नीचे ज्वालामुखीय चट्टानें कैसे बनती हैं
समुद्र के नीचे मध्य-महासागरीय रिज नामक क्षेत्र होते हैं, जहां पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटें एक-दूसरे से दूर हटती हैं। इस प्रक्रिया में पृथ्वी के भीतर से गर्म लावा बाहर निकलता है और समुद्र के पानी के संपर्क में आकर ठंडा होकर चट्टानों में बदल जाता है। समय के साथ ये चट्टानें समुद्र की तलहटी पर फैल जाती हैं और नई महासागरीय परत का निर्माण करती हैं।
जब समुद्र के नीचे बने ज्वालामुखीय पहाड़ धीरे-धीरे टूटते और घिसते हैं, तो उनसे टूटे हुए पत्थरों और लावे के टुकड़ों का ढेर बनता है। इस टूटे हुए लावे को ब्रेशिया कहा जाता है। यह ठीक उसी तरह होता है जैसे पहाड़ों की ढलानों पर पत्थरों का ढेर बन जाता है।
लावा ब्रेशिया: कार्बन को सोखने वाला प्राकृतिक स्पंज
ब्रेशिया की सबसे खास बात यह है कि यह बहुत छिद्रदार और झरझरा होता है। इसकी दरारों और खाली जगहों में समुद्री पानी आसानी से प्रवेश कर सकता है। समुद्री पानी में घुली हुई कार्बन डाइऑक्साइड जब इन चट्टानों के संपर्क में आती है, तो रासायनिक प्रतिक्रिया होती है।
इस प्रतिक्रिया के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड धीरे-धीरे कैल्शियम कार्बोनेट जैसे खनिजों में बदल जाती है। ये खनिज चट्टानों की दरारों में जम जाते हैं और कार्बन को लाखों वर्षों तक सुरक्षित रूप से बंद कर देते हैं। इस तरह लावा ब्रेशिया एक प्राकृतिक कार्बन भंडार की तरह काम करता है।
क्यों है महत्वपूर्ण खोज?
इस शोध का नेतृत्व यूनिवर्सिटी ऑफ साउथेम्प्टन के वैज्ञानिक ने किया है। उन्होंने शोध पत्र के हवाले से बताया कि पहले वैज्ञानिक सामान्य ज्वालामुखीय चट्टानों का ही अध्ययन करते थे, लेकिन ब्रेशिया को कभी इतनी गंभीरता से नहीं देखा गया था।
जब शोधकर्ताओं ने समुद्र की गहराई में ड्रिलिंग करके ब्रेशिया के नमूने निकाले, तो वे चौंक गए। इन चट्टानों में सामान्य लावे की तुलना में दो से 40 गुना अधिक कार्बन डाइऑक्साइड पाई गई। यह पहली बार था जब यह साफ तौर पर समझ में आया कि ब्रेशिया पृथ्वी के लंबे समय वाले कार्बन चक्र में कितनी बड़ी भूमिका निभाती है।
पृथ्वी की लंबी अवधि का कार्बन चक्र
पृथ्वी पर कार्बन का आदान-प्रदान बहुत धीमी प्रक्रिया है, जो लाखों वर्षों में होती है। ज्वालामुखी पृथ्वी के भीतर से कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालते हैं, जो वातावरण और महासागरों में चली जाती है। वहीं दूसरी ओर, समुद्री चट्टानें इस कार्बन को वापस अपने अंदर समाहित कर लेती हैं।
समुद्र की तलहटी केवल पानी को संभालने की जगह नहीं है, बल्कि यह एक सक्रिय प्रणाली है, जहां पानी और चट्टानों के बीच लगातार रासायनिक क्रियाएं होती रहती हैं। यही क्रियाएं पृथ्वी के वातावरण में कार्बन की मात्रा को संतुलित बनाए रखने में मदद करती हैं।
क्यों है यह खोज महत्वपूर्ण
यह अध्ययन यह समझने में मदद करता है कि पृथ्वी ने करोड़ों वर्षों तक अपने वातावरण को कैसे नियंत्रित किया है। इससे यह भी पता चलता है कि प्राकृतिक रूप से कार्बन को लंबे समय तक सुरक्षित रखने की क्षमता पृथ्वी में पहले से मौजूद है।
आज जब मानवजनित गतिविधियों के कारण वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड तेजी से बढ़ रही है, तब इस तरह की खोजें हमें प्रकृति से सीखने का अवसर देती हैं। हालांकि यह प्रक्रिया बहुत धीमी है और आधुनिक जलवायु संकट का तत्काल समाधान नहीं है, फिर भी यह हमें पृथ्वी के प्राकृतिक संतुलन को बेहतर ढंग से समझने में मदद करती है।
समुद्र की गहराई में मौजूद लावा ब्रेशिया चट्टानें एक विशाल और लंबे समय तक काम करने वाले कार्बन भंडार की तरह हैं। यह खोज हमें यह दिखाती है कि पृथ्वी के भीतर प्राकृतिक रूप से कार्बन को नियंत्रित करने की अद्भुत क्षमता मौजूद है।
वैज्ञानिकों के लिए यह नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित यह अध्ययन न केवल भूविज्ञान बल्कि जलवायु विज्ञान के क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है।