सीएसई की नई किताब "सांसों का आपातकाल" के पहले अध्याय में भारत में बढ़ते प्रदूषण के लिए ग्लोबल वार्मिंग व ब्लैक कार्बन की वजह से गंगा के तटीय मैदानों पर दिख रहे असर का विश्लेषण किया गया है
फ्लिंडर्स यूनिवर्सिटी की एक स्टडी में पाया गया है कि ग्लोबल वार्मिंग के चलते 'स्लीप एपनिया' के मामले बढ़कर दोगुने हो सकते हैं, जिससे स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ेगा
डाइमिथाइल सल्फाइड को कभी-कभी कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) का "कूल ट्विन" कहा जाता है क्योंकि इसका ग्रह पर ठंडा प्रभाव पड़ता है, जबकि सीओ2 एक ग्रीनहाउस गैस है जो ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेवार है
जिन इलाकों में बारिश अधिक होती है इसके और बढ़ने का अनुमान है, जो गर्मियों और शरद ऋतु के दौरान एशिया के अत्यधिक ऊंचाई वाले पर्वतों के 80 फीसदी से अधिक हिस्से को कवर करेगा।
देश में 91 फीसदी लोग ऐसे हैं जो दुनिया में बढ़ते तापमान को लेकर चिंतित हैं, जबकि 76 फीसदी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि बढ़ता तापमान कहीं न कहीं मानसून पर असर डाल रहा है