विश्व पर्यावरण दिवस: भारत में प्लास्टिक के कचरे के उत्पादन में 50 फीसदी का इजाफा

स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट इन फिगर्स 2025 के मुताबिक, भारत में प्रतिबंध के बावजूद 2022-23 में प्लास्टिक का कचरा रिकॉर्ड 41.4 लाख टन तक पहुंच गया।
यूएनईपी के मुताबिक, हर दिन, दुनिया के महासागरों, नदियों और झीलों में 2,000 से अधिक प्लास्टिक से भरे ट्रक फेंके जाते हैं।
यूएनईपी के मुताबिक, हर दिन, दुनिया के महासागरों, नदियों और झीलों में 2,000 से अधिक प्लास्टिक से भरे ट्रक फेंके जाते हैं। फोटो साभार: आईस्टॉक
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हर साल पांच जून को मनाया जाने वाला विश्व पर्यावरण दिवस प्रकृति को बचाने और दुनिया भर में पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने का एक प्रयास है। इस दिन का उद्देश्य बढ़ते पर्यावरणीय मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। इस साल विश्व पर्यावरण दिवस की थीम प्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करना है

यह दिन हमारे ग्रह की सुरक्षा के महत्व के बारे में याद दिलाता है। वनस्पतियों और जीवों की भलाई हमारे पर्यावरण के स्वास्थ्य पर निर्भर करती है। इसलिए एक स्थायी भविष्य के लिए स्वच्छ और संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र का होना बहुत जरूरी है।

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यूएनईपी के मुताबिक, हर दिन, दुनिया के महासागरों, नदियों और झीलों में 2,000 से अधिक प्लास्टिक से भरे ट्रक फेंके जाते हैं।

विश्व पर्यावरण दिवस पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय दिवस है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के नेतृत्व में, और 1973 से हर साल आयोजित होने वाला यह दिवस पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने का सबसे बड़ा वैश्विक मंच बन गया है।

प्लास्टिक प्रदूषण ग्रह के हर कोने में फैला हुए है, यहां तक कि हमारे शरीर में भी माइक्रोप्लास्टिक के रूप में। विश्व पर्यावरण दिवस 2025 प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए सामूहिक कार्रवाई का आह्वान करता है।

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यूएनईपी के मुताबिक, हर दिन, दुनिया के महासागरों, नदियों और झीलों में 2,000 से अधिक प्लास्टिक से भरे ट्रक फेंके जाते हैं।

भारत में हर साल 34 लाख टन से अधिक प्लास्टिक कचरा निकलता है, जिसमें से अधिकतर बैग, रैपर और पैकेजिंग जैसी एक बार उपयोग होने वाले वस्तुओं से आता है। कचरे के प्रबंधन के लिए प्रतिबंधों और नियमों के बावजूद, प्लास्टिक हमारे बाजारों, नालियों और महासागरों में भरा पड़ा है।  

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) और डाउन टू अर्थ ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट इन फिगर्स 2025 जारी किया है। जिसके मुताबिक, कुछ एक बार उपयोग होने वाले (सिंगल यूज) प्लास्टिक पर प्रतिबंध के बावजूद 2022-23 में प्लास्टिक कचरा रिकॉर्ड 41.4 लाख टन तक पहुंच गया। 2018-19 और 2022-23 के बीच पंद्रह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में प्लास्टिक कचरे के उत्पादन में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि देखी गई।

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संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के मुताबिक, हर दिन, दुनिया के महासागरों, नदियों और झीलों में 2,000 से अधिक प्लास्टिक से भरे ट्रक फेंके जाते हैं। प्लास्टिक प्रदूषण एक वैश्विक समस्या है। हर साल 1.9 से 2.3 करोड़ टन प्लास्टिक कचरा जलीय पारिस्थितिकी तंत्र में पहुंचता है, जिससे झीलें, नदियां और समुद्र प्रदूषित होते हैं।

प्लास्टिक प्रदूषण आवासों और प्राकृतिक प्रक्रियाओं को बदल सकता है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र की जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होने की क्षमता कम हो सकती है, तथा लाखों लोगों की आजीविका, खाद्य उत्पादन क्षमता और सामाजिक कल्याण पर सीधा असर पड़ सकता है।

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कौन-कौन से कदम उठा सकते हैं पर्यावरण के संरक्षण के लिए?

इस साल की थीम से पता चलता है, हमारे पर्यावरण की रक्षा के लिए रोजमर्रा उपयोग से प्लास्टिक को खत्म करना जरूरी है। इसके बजाय, दोबारा इस्तेमाल किए जा सकने वाले कपड़े के बैग का उपयोग करना, प्लास्टिक के स्ट्रॉ का उपयोग करने से बचना और धातु या बांस के स्ट्रॉ का उपयोग करना आदि।

कागज, प्लास्टिक, कांच और धातुओं को रीसायकल करने का मतलब है पेड़ों, तेल और खनिजों जैसे कच्चे माल पर निर्भरता कम करना। खाद बनाने से आप सब्जियों के अवशेषों, फलों के छिलकों और कचरे को पौधों और बगीचों के लिए समृद्ध उर्वरकों में बदल सकते हैं।

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भोजन को बर्बाद कर अक्सर लैंडफिल में फेंक दिया जाता है जहां यह सड़ जाता है और इससे मीथेन निकलती है, जिससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन होता है। इसलिए भोजन की बर्बादी कम करने और पर्यावरण की रक्षा करने के लिए भोजन की योजना बनाना और उसके अनुसार खरीदारी करना जरूरी है।

जब उपयोग में न हों तो पंखे, लाइट और चार्जर बंद कर देने चाहिए, क्योंकि इससे अनावश्यक बिजली का उपयोग कम होता है। इससे न केवल बिजली बचाने में मदद मिलेगी बल्कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में भी कमी आएगी।

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पारंपरिक निजी वाहनों से बचना बेहतर है क्योंकि वे पेट्रोल या डीजल से चलते हैं। वे कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसें छोड़ते हैं, जो जलवायु में बदलाव करती हैं। पर्यावरण की रक्षा के लिए, बसों और मेट्रो जैसे सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना, कारपूलिंग का प्रयास करना या इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाना इसमें शामिल है।

अक्सर हम दांतों को ब्रश करते समय नल खुला छोड़ देते हैं, इसे बंद करना चाहिए, लीक हो रहे नल और पाइप को जितनी जल्दी हो सके ठीक करवाना। पानी का सही तरीके से इस्तेमाल कर हम भविष्य की पीढ़ियों के लिए इसे संरक्षित कर सकते हैं।

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विश्व पर्यावरण दिवस 2025 की आधिकारिक मेजबानी इस साल कोरिया गणराज्य द्वारा की जा रही है, जिसे दक्षिण कोरिया के नाम से भी जाना जाता है। जेजू प्रांत, एक सुंदर द्वीप जो अपने पर्यावरण संबंधी पहलों और टिकाऊ जीवन शैली के लिए प्रसिद्ध है, इस समारोह का केंद्र है।

जेजू ने 2040 तक प्लास्टिक को खत्म करने के लिए निर्णायक कदम उठाए हैं। स्थानीय सरकारों ने रीसाइक्लिंग को बढ़ावा दिया है, इको-पर्यटन को प्रोत्साहित किया है और स्रोत पर ही कचरे को अलग करने को अनिवार्य बना दिया है।

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