विश्व पर्यावरण दिवस पर जारी हुआ देश के पर्यावरण व विकास का लेखा-जोखा

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट और डाउन टू अर्थ के सालाना संस्करण स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट इन फिगर्स 2025 में कई अहम जानकारियां सामने आई
रिपोर्ट के विमोचन के अवसर पर सुनीता नारायण, रिचर्ड महापात्रा, रजित सेनगुप्ता और किरण पांडे।
रिपोर्ट के विमोचन के अवसर पर सुनीता नारायण, रिचर्ड महापात्रा, रजित सेनगुप्ता और किरण पांडे।
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हर साल की तरह इस बार भी सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) और डाउन टू अर्थ ने विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर भारत में पर्यावरण और विकास से जुड़े पूरे साल के आंकड़ों और तथ्यों का विश्लेषण जारी किया है। इस बार के आंकड़े भी एक गंभीर तस्वीर पेश करते हैं।

इस विश्लेषण को "स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट इन फिगर्स 2025" नामक एक ई-कंपेंडियम के रूप में जारी किया गया। इस रिपोर्ट को जारी करते हुए सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण ने कहा: "आंकड़े अक्सर हमें सच्चाई बताते हैं, और इस वर्ष के विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर जो कुछ हम सामने ला रहे हैं, ये ऐसे आंकड़ों पर आधारित है जिसे खुद सरकार ने तैयार किया है और जो सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है। ये आंकड़े गवाही देते हैं कि अब शांति से बैठने या खुद से खुश होने का समय नहीं है।"

उन्होंने आगे कहा: "सिर्फ एक संकेतक को ही लीजिए। भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश में देश की लगभग 49 प्रतिशत आबादी रहती है, और ये सभी राज्य सभी विषयों में निचले पायदान पर हैं। इसका मतलब है कि देश की बड़ी आबादी आज भी कई खतरों के प्रति असुरक्षित और संवेदनशील बनी हुई है।"

इस अवसर पर डाउन टू अर्थ के प्रबंध संपादक रिचर्ड महापात्रा ने कहा: "यह सीएसई और डाउन टू अर्थ द्वारा प्रकाशित महत्वपूर्ण विश्लेषण और आंकड़ों के संकलन का दसवां साल है। हमने 12 उप-श्रेणियों में वर्गीकृत 48 संकेतकों के माध्यम से देश के सभी 36 राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों का मूल्यांकन किया है। हालांकि आंकड़ों की कमी अब भी एक बड़ी चिंता बनी हुई है, लेकिन यह रिपोर्ट इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उपलब्ध और मौजूदा आंकड़ों को जोड़कर, उनका विश्लेषण करके पर्यावरण और विकास पर एक तथ्यात्मक चित्र प्रस्तुत करती है।"

महापात्रा ने आगे कहा: "इसके अलावा, यह रिपोर्ट कुछ महत्वपूर्ण प्रवृत्तियों को भी उजागर करती है, जैसे कि चरम मौसम की घटनाओं में वृद्धि और कृषि में जोत के आकार का घटते जाना।"

राज्यों की स्थिति: आंध्र प्रदेश, सिक्किम और गोवा शीर्ष पर

रिचर्ड महापात्रा ने बताया कि इस रिपोर्ट में कोई भी राज्य पूरी तरह से विजेता नहीं बन पाया है। हालांकि 'पर्यावरण' श्रेणी में आंध्र प्रदेश शीर्ष पर है। यहां जंगलों और जैव विविधता के संरक्षण तथा जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को नियंत्रित करने के सराहनीय प्रयास किए गए हैं।

लेकिन, महापात्रा ने यह भी बताया कि यह राज्य अब भी सीवेज के उपचार और प्रदूषित नदी के प्रबंधन में कमजोर बना हुआ है।

'कृषि' के क्षेत्र में सिक्किम सबसे ऊपर है। यहां कृषि इनपुट्स और सतत भूमि उपयोग प्रथाओं में अच्छा प्रदर्शन देखा गया है। लेकिन यह राज्य किसान कल्याण और कृषि अर्थव्यवस्था के पहलुओं में पिछड़ा हुआ है।

'सार्वजनिक स्वास्थ्य' और 'मानव विकास व सार्वजनिक बुनियादी ढांचा' जैसी दोनों प्रमुख श्रेणियों में गोवा ने शीर्ष स्थान प्राप्त किया है। रिपोर्ट के अनुसार, गोवा एकमात्र राज्य है जहां सभी पंजीकृत मौतों का चिकित्सा प्रमाणन होता है और मृत्यु का कारण ज्ञात होता है।

हालांकि, साथ ही यह भी सामने आया है कि गोवा में प्रति 1,000 लोगों पर अस्पतालों के बिस्तरों की संख्या कम है, प्रति व्यक्ति बिजली उपलब्धता भी अपेक्षाकृत कम है, और महिला श्रमबल में भागीदारी के मामले में यह राज्य पिछड़ा है।

अगली कड़ी में पढ़ें : साल 2024 में क्या रहा खास

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