
वर्तमान में माइक्रोप्लास्टिक के कण लगभग हर जगह पाए जाते हैं चाहे वह पानी हो, भोजन, मछली और यहां तक कि स्तन के दूध में भी इसको देखा गया है। इसलिए शोधकर्ता इस बात पर जोर दे रहे हैं कि इन खतरों को कम करने के लिए कचरे का उचित प्रबंधन बहुत जरूरी है। यह शोध काउनास यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी (केटीयू) के शोधकर्ता की अगुवाई में किया गया है।
पिछले एक दशक में दुनिया भर में, खासकर यूरोप में प्लास्टिक का उपयोग बहुत बढ़ गया है। आंकड़ों से पता चलता है कि 2021 में यूरोपीय संघ (ईयू) में हर एक व्यक्ति ने औसतन 36 किलोग्राम प्लास्टिक पैकेजिंग का कचरा पैदा किया। उस साल उत्पन्न 1.6 करोड़ टन से अधिक प्लास्टिक पैकेजिंग में से केवल 65 लाख टन का ही रीसाइक्लिंग या पुनर्चक्रण हो पाया।
दुनिया भर में प्लास्टिक रीसाइक्लिंग एक बड़ी गंभीर समस्या बनी हुई है। रीसाइक्लिंग की कमी से न केवल लैंडफिल, भस्मीकरण संयंत्रों और प्रकृति में छोड़े गए कचरे की मात्रा बढ़ जाती है, बल्कि माइक्रोप्लास्टिक के निर्माण में भी बढ़ोतरी होती है, जो पारिस्थितिकी तंत्र और मनुष्य के स्वास्थ्य दोनों के लिए खतरनाक है।
शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया कि स्थिति को सुधारने के लिए, कचरे का प्रबंधन प्रक्रिया को केवल एक तरफ से हल नहीं किया जा सकता है। यह एक बहुआयामी समस्या है और इसलिए, इसके प्रति व्यापक नजरिए की जरूरत है।
सस्टेनेबिलिटी नामक पत्रिका में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि आर्थिक, पर्यावरणीय और कानूनी पहलुओं पर विचार किए बिना केवल रीसाइक्लिंग तकनीकों को बेहतर बनाने या नए तरीके खोजने पर जोर देना ही सही नहीं है। यह नजरिया न केवल समस्या से निपटने में विफल होगा, बल्कि अन्य पहलुओं पर विचार करने को भी कम कर सकता है।
इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए कि बाहरी कारण प्लास्टिक पैकेजिंग रीसाइक्लिंग को कैसे प्रभावित करते हैं, शोधकर्ताओं ने एक मैक्रो-पर्यावरणीय विश्लेषण किया जिसमें छह प्रमुख क्षेत्रों की जांच की गई, जिसमें राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, तकनीकी, पारिस्थितिकी और कानूनी कारण शामिल थे।
कचरा प्रबंधन के पुराने नियम
राजनीतिक और कानूनी कारणों में प्लास्टिक पैकेजिंग कचरे के प्रबंधन को नियमित करने के लिए कई तरह के कानून और नीतियां शामिल हैं। वे उत्पादकों, कचरा प्रबंधकों और रीसाइक्लिंग करने वालों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं, लेकिन अक्सर सुचारू और कुशल कचरा प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए सही नहीं होते हैं।
उदाहरण के लिए, लंबे समय तक, यूरोपीय संघ की प्लास्टिक पैकेजिंग कचरा प्रणाली 30 साल पहले अपनाए गए पैकेजिंग और पैकेजिंग अपशिष्ट निर्देश द्वारा चलाई जा रही थी, जिसने निर्धारित लक्ष्यों को कैसे पूरा किया जाए, यह तय करने का काम देशों पर छोड़ दिया। परिणामस्वरूप इन लक्ष्यों को पूरा करना अक्सर मुश्किल होता था, क्योंकि देश उन्हें अलग-अलग तरीकों से लागू करते हैं।
शोध के मुताबिक, साल 2024 तक एक नया नियम अपनाया नहीं गया था, जो जल्द ही लागू हो जाएगा और सभी देशों पर समान रूप से लागू होगा। इससे प्लास्टिक पैकेजिंग की अधिक स्पष्ट और अधिक कुशल रीसाइक्लिंग सुनिश्चित होगी।
कम गुणवत्ता वाले रीसाइक्लिंग प्लास्टिक
आर्थिक पहलुओं पर गौर करते हुए, शोध में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि वर्तमान रीसाइक्लिंग करने की तकनीकों को अक्सर किफायती तरीके से उच्च गुणवत्ता वाले पुनर्चक्रित प्लास्टिक का उत्पादन करने में विफल रहती हैं। जिसके कारण पुनर्चक्रित प्लास्टिक दुनिया भर के बाजारों में शुद्ध प्लास्टिक की तुलना में दो से तीन गुना कम कीमत पर बेचे जाते हैं।
इसके अलावा चीन, अन्य एशियाई देशों और उत्तरी अमेरिका से अधिक आपूर्ति पुनर्चक्रित प्लास्टिक की प्रतिस्पर्धा को और कम कर देती है। क्योंकि शुद्ध प्लास्टिक अक्सर अधिक अनुकूलनीय और किफायती होते हैं, इसलिए वे निर्माताओं के लिए पसंदीदा विकल्प बने हुए हैं।
रीसाइक्लिंग के प्रति लोगों का अलग-अलग नजरिया
शोध में कहा गया है कि शुरुआती छंटाई, जिसमें घर के माहौल में कचरे को तुरंत उसके प्रकार के अनुसार अलग किया जाता है, द्वितीयक छंटाई से अधिक कुशल है, जिसमें मिश्रित कचरे को केवल छंटाई केंद्रों पर ही छांटा जाता है, लेकिन लोगों को ऐसा करने के लिए प्रेरित करना एक चुनौती बनी हुई है।
एक आम मिथक यह है कि छांटा गया कचरा आखिरकार लैंडफिल में चला जाता है या जला दिया जाता है, जिससे रीसाइक्लिंग के लिए लोगों की प्रेरणा कम हो जाती है। इसलिए शैक्षिक पहल जो संग्रह से लेकर रीसाइक्लिंग तक कचरे की यात्रा को दिखाती हैं, जो बहुत महत्वपूर्ण हैं।
मिश्रित पैकेजिंग को रीसायकल करना चुनौतीपूर्ण
शोध के अनुसार, प्लास्टिक पैकेजिंग कचरे की रीसाइक्लिंग की तकनीकें पर्याप्त रूप से विकसित हैं और इनमें लगातार सुधार किया जा रहा है, मिश्रित पैकेजिंग को रीसायकल करना अभी भी चुनौतियां बना हुआ है।
शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहना है कि वर्तमान समाधान अक्सर समस्याग्रस्त होते हैं, न केवल तकनीकी रूप से, बल्कि आर्थिक और पर्यावरणीय रूप से भी, यही वजह है कि इको-डिजाइन पर अधिक से अधिक ध्यान दिया जा रहा है। यह केवल इस बात पर नहीं है कि पैकेजिंग को रिसाइकल किया जा सकता है या नहीं, बल्कि इसके शुरुआती डिजाइन पर भी है, यह सुनिश्चित करना कि इसे रिसाइकल या दोबारा उपयोग करना आसान है।
प्लास्टिक का कचरा अभी भी पर्यावरण में फैल रहा है
पर्यावरण संबंधी चिंताओं से निपटने के लिए माइक्रोप्लास्टिक और पर्यावरण तथा जीवित जीवों को होने वाले नुकसान का उल्लेख किया गया। पर्यावरण में माइक्रोप्लास्टिक सही तरीके से प्रबंधित न होने वाले प्लास्टिक कचरे का परिणाम है, इसलिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि प्लास्टिक पैकेजिंग चक्र के दौरान प्राकृतिक पर्यावरण में कचरे का अनियंत्रित फैलाव न हो।
हालांकि प्लास्टिक कचरे को कम करना पहला लक्ष्य बना हुआ है, लेकिन पहले से प्रचलन में मौजूद प्लास्टिक के प्रबंधन के लिए रीसाइक्लिंग या पुनर्चक्रण जरूरी है। 2025 तक यूरोपीय संघ के 50 फीसदी प्लास्टिक को पुनर्चक्रित करने का का लक्ष्य हासिल नहीं हुआ है। अब 2030 तक 55 फीसदी पुनर्चक्रण का लक्ष्य रखा गया है।