गंगोत्री धाम में बेकाबू निर्माण पर एनजीटी सख्त, जवाब तलब

उत्तरकाशी से गंगोत्री के बीच हाल के वर्षों में 500 से ज्यादा होमस्टे बन चुके हैं, जिनमें से कई भागीरथी नदी के किनारे या बाढ़ संभावित इलाकों में हैं
कितना सही है पहाड़ों पर तेजी से हो रहा निर्माण; फोटो: आईस्टॉक
कितना सही है पहाड़ों पर तेजी से हो रहा निर्माण; फोटो: आईस्टॉक
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 1 सितंबर 2025 को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, देहरादून को उत्तरकाशी-गंगोत्री मार्ग पर हो तेजी से हो रहे अनियंत्रित निर्माण कार्यों पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही उत्तराखंड शहरी विकास विभाग और उत्तरकाशी के जिलाधिकारी को भी निर्देश दिया गया है कि वे अगली सुनवाई से कम से कम एक सप्ताह पहले हलफनामा के जरिए अपना जवाब दाखिल करें।

इस मामले में अगली सुनवाई 27 नवंबर 2025 को होगी।

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कितना सही है पहाड़ों पर तेजी से हो रहा निर्माण; फोटो: आईस्टॉक

एनजीटी ने कहा कि यह मामला पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986, ठोस कचरा प्रबंधन नियम, 2016, आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 और गंगा संरक्षण आदेश, 2016 के उल्लंघन से जुड़ा है। गौरतलब है कि हिंदुस्तान टाइम्स में 8 अगस्त 2025 को प्रकाशित एक खबर के आधार पर इस मामले में अदालत ने स्वतः संज्ञान लिया है। इस खबर में विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी कि अनियंत्रित निर्माण गंगोत्री धाम जैसे नाज़ुक पारिस्थितिकी क्षेत्र को गंभीर खतरे में डाल रहा है।

खबर के मुताबिक उत्तरकाशी से गंगोत्री धाम तक के 80 किलोमीटर लंबे क्षेत्र का स्वरूप पिछले तीन दशकों में तेजी से बदल गया है। इस दौरान दर्जनों नई इमारतें हिमनदियों से निकलने वाली धाराओं के बाढ़ क्षेत्रों में बना दी गईं हैं।

कितना सही है पहाड़ों पर तेजी से हो रहा निर्माण

स्थानीय लोगों के हवाले से खबर में बताया गया कि धराली गांव में जहां भी जगह मिली, वहां बिना किसी निगरानी और नियंत्रण के निर्माण कर दिया गया, यहां तक कि खीर गंगा के बाढ़ मैदान पर भी निर्माण किया गया है। उत्तरकाशी से गंगोत्री के बीच हाल के वर्षों में 500 से ज्यादा होमस्टे बन चुके हैं, जिनमें से कई भागीरथी नदी के किनारे या बाढ़ संभावित इलाकों में हैं।

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कितना सही है पहाड़ों पर तेजी से हो रहा निर्माण; फोटो: आईस्टॉक

भागीरथी इको-सेंसिटिव जोन (ईएसजेड) की गाइडलाइंस के मुताबिक, भागीरथी नदी से 100 मीटर के दायरे में किसी भी तरह का निर्माण प्रतिबंधित है। इन दिशानिर्देशों में स्थानीय प्रशासन को 4,179 वर्ग मीटर क्षेत्र को 'नो-कंस्ट्रक्शन जोन' घोषित करने और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की सीमाएं तय करने के निर्देश भी दिए गए हैं।

गौरतलब है कि पांच अगस्त 2025 को उत्तरकाशी के धराली में आई अचानक बाढ़ में पूरा कस्बा तबाह हो गया था। धराली कस्बा खीर गंगा (खीर गाड़) के रास्ते ही नहीं, उसकी लाई गाद पर बसा था और यहां पहले भी आपदाएं आती रही हैं।

इसके बाद चमोली के थराली में भी एक गदेरे के उफान पर आ जाने से जान-माल का नुकसान हुआ है। गदेरे में पानी के साथ आए मलबे में दबने से एक युवती की मौत हो गई है।

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