आनुवंशिक विविधता खो रहे दो-तिहाई पौधे और जानवर, क्या अस्तित्व के लिए है खतरे की घंटी

अध्ययन के जो निष्कर्ष सामने आए हैं उनके मुताबिक आनुवंशिक विविधता में सबसे ज्यादा गिरावट पक्षियों और स्तनधारी जीवों में देखी गई है
आर्कटिक लोमड़ी: फर व्यापार के कारण इस प्रजाति में भारी गिरावट देखी गई है; फोटो: आईस्टॉक
आर्कटिक लोमड़ी: फर व्यापार के कारण इस प्रजाति में भारी गिरावट देखी गई है; फोटो: आईस्टॉक
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अंतराष्ट्रीय रिसर्च से पता चला है कि अध्ययन किए गए करीब दो-तिहाई पौधे और जानवर अपनी आनुवंशिक विविधता खो रहे हैं। ऐसे में समय के साथ पर्यावरण में आते बदलावों की वजह से उनके लिए अपने अस्तित्व को बचाए रखना कठिन हो जाएगा।

आनुवंशिक विविधता में कमी का मतलब है कि किसी प्रजाति के जीन पूल में मौजूद विविधता में गिरावट का आना। गौरतलब है कि जीवों में आनुवंशिक विविधता का होना बेहद मायने रखता है। इसकी मदद से जीव पर्यावरण में आते बदलावों का सामना कर पाते हैं और बदलते परिवेश के अनुरूप खुद को आसानी से ढाल सकते हैं।

यह जानकारी सिडनी विश्वविद्यालय से जुड़े शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए अध्ययन में सामने आई है, जिसके नतीजे अंतराष्ट्रीय जर्नल नेचर में प्रकाशित हुए हैं। अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 1985 से 2019 के बीच 628 जानवरों, पौधों और फंगस की आनुवंशिक विविधता का विश्लेषण किया है।

इस अध्ययन में चीन, ब्रिटेन, स्पेन, ग्रीस, स्वीडन और पोलैंड के विभिन्न संस्थानों से जुड़े वैज्ञानिक भी शामिल थे। अध्ययन के जो निष्कर्ष सामने आए हैं उनके मुताबिक आनुवंशिक विविधता में सबसे अधिक गिरावट पक्षियों और स्तनधारियों में देखी गई है।

अध्ययन के जो निष्कर्ष सामने आए हैं उनके मुताबिक आनुवंशिक विविधता में सबसे अधिक गिरावट पक्षियों और स्तनधारियों में देखी गई है। इसका मुख्य कारण भूमि उपयोग में आता बदलाव, बीमारियां, जलवायु परिवर्तन, बाढ़, जंगल में लगती आग जैसी प्राकृतिक आपदाएं हैं। इसके साथ-साथ नदियों के प्रवाह में आता बदलाव भी इस पर असर डाल रहा है।

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इंसान भी कम जिम्मेवार नहीं

इसी तरह बढ़ती इंसानी गतिविधियां जैसे वन विनाश, अंधाधुंध शिकार और प्राकृतिक आवासों को पहुंचाया जा रहा नुकसान भी आनुवंशिक विविधता में गिरावट की वजह बन रहा है।

अध्ययन के मुताबिक प्रजातियों के विलुप्त होने से पहले, उनकी आबादी आमतौर पर घटने लगती है और अलग-थलग पड़ जाती है। वहीं स्वस्थ आबादी में आनुवंशिक विविधता के साथ एक बड़ा जीन पूल होता है। लेकिन जैसे-जैसे आबादी घटती है, वे इस विविधता को खो देते हैं, और यह जीन पूल सिकुड़ जाता है। ऐसे में कम आनुवंशिक विविधता के साथ, प्रजातियों के लिए बीमारियों और जलवायु परिवर्तन जैसे खतरों से बचना मुश्किल हो जाता है।

सिडनी विश्वविद्यालय में जीवविज्ञानी और अध्ययन से जुड़ी प्रमुख शोधकर्ता कैथरीन ग्रुबर ने इस बारे में प्रेस विज्ञप्ति में कहा, "एक आश्चर्यजनक प्रवृत्ति यह थी कि हमने कई ऐसी प्रजातियों में भी आनुवंशिक विविधता को घटते देखा, जिन्हें खतरे में नहीं माना जाता।"

हालांकि साथ ही अध्ययन में यह भी कहा गया है कि संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयास प्रजातियों को सुरक्षित रखने में मददगार साबित हो रहे हैं।

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शोधकर्ताओं ने पुष्टि की है कि आवासों में सुधार, आबादी बढ़ाने और प्रजनन के लिए जानवरों को नए क्षेत्रों में ले जाने जैसे संरक्षण के प्रयास कारगर साबित हो रहे हैं। इससे आनुवंशिक विविधता को बचाने रखने और कभी-कभी बढ़ाने में भी मदद मिल रही है।

अध्ययन के मुताबिक प्रजातियों में आनुवंशिक विविधता को बनाए रखने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं, जैसे कीटों और आक्रामक जंगली प्रजातियों को नियंत्रित करना। इसके साथ ही कुछ जीवों की तेजी से बढ़ती संख्या को संख्या सीमित करना भी फायदेमंद हो सकता है, इससे बाकी जीवों के लिए बेहतर परिस्थितियां बनाई जा सकती है। इसी तरह नई प्रजातियों को शामिल करना भी कई मामलों में प्रभावी हो सकता है।

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