प्रोजेक्ट रैटलकैम: डर से दोस्ती तक, सांपों को लेकर लोगों की बदली सोच

प्रोजेक्ट रैटलकैम: लाइव कैमरों के जरिए अमेरिका में रैटलस्नेक के व्यवहार ने डर को जिज्ञासा और सहानुभूति में बदला।
संरक्षण संदेश : “डर और हिंसा” के बजाय “सम्मान और सह-अस्तित्व” की भावना को बढ़ावा देने वाला अनोखा प्रयास।
संरक्षण संदेश : “डर और हिंसा” के बजाय “सम्मान और सह-अस्तित्व” की भावना को बढ़ावा देने वाला अनोखा प्रयास।फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, फिटेरोस
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सारांश
  • लाइवस्ट्रीम तकनीक का उपयोग: अमेरिका के विभिन्न राज्यों में कैमरों से रैटलस्नेक के प्राकृतिक व्यवहार का सीधा प्रसारण।

  • जन-जागरूकता में वृद्धि : 44 लाख से अधिक व्यूज और हजारों लोगों में सांपों के प्रति नजरिए में सकारात्मक बदलाव।

  • शैक्षणिक योगदान: स्कूल के छात्रों और आम जनता के लिए सांपों के जीवन पर शिक्षाप्रद सामग्री और गतिविधियां।

  • संरक्षण संदेश : “डर और हिंसा” के बजाय “सम्मान और सह-अस्तित्व” की भावना को बढ़ावा देने वाला अनोखा प्रयास।

अक्सर जब हम “सांप” शब्द सुनते हैं, तो हमारे मन में डर, खतरे या नफरत जैसी भावनाएं आती हैं। फिल्मों और लोककथाओं में सांपों को जहरीला, चालाक और डरावना दिखाया गया है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर हमें सांपों का असली व्यवहार देखने का मौका मिले, बिना डर के, अपने घर बैठे?

यही काम कर रहा है प्रोजेक्ट रैटलकैम - एक ऐसा अनोखा वैज्ञानिक और शैक्षणिक प्रयास, जिसने हजारों लोगों की सांपों के प्रति सोच बदल दी है।

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क्या है प्रोजेक्ट रैटलकैम?

प्रोजेक्ट रैटलकैम एक लाइवस्ट्रीम कैमरा प्रोजेक्ट है जिसे अमेरिका की कैल पॉली यूनिवर्सिटी की जीव विज्ञान के शोधकर्ता और डिकिन्सन कॉलेज के वैज्ञानिकों ने मिलकर शुरू किया। इसका उद्देश्य लोगों को रैटलस्नेक के असली जीवन से जोड़ना और उनके व्यवहार को नजदीक से दिखाना था।

साल 2021 में इस परियोजना का पहला कैमरा कैलिफोर्निया में लगाया गया, जहां पश्चिमी रैटलस्नेक की एक छोटी कॉलोनी रहती थी। यह कैमरा पूरी तरह ऑफ-ग्रिड था, यानी बिजली या इंटरनेट की सामान्य सुविधा के बिना, प्राकृतिक ऊर्जा स्रोतों से चलाया गया।

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इसके बाद 2024 में दूसरा कैमरा कोलोराडो राज्य के एक “मेगा-डेन” (बहुत बड़े सांपों के समूह वाले क्षेत्र) में लगाया गया, जहां प्रेरी रैटलस्नेक रहते हैं। अब 2026 में तीसरा लाइवस्ट्रीम कैमरा पेंसिल्वेनिया राज्य में टिम्बर रैटलस्नेक को दिखाने के लिए लगाया जाने वाला है।

लाखों दर्शक और बढ़ती लोकप्रियता

प्रोजेक्ट रैटलकैम का यूट्यूब चैनल अब तक 21,300 से अधिक सब्सक्राइबर, 44 लाख से ज्यादा व्यूज और करीब 3.5 लाख घंटे का वॉच टाइम हासिल कर चुका है।

सिर्फ 2024 में कोलोराडो कैमरा के उद्घाटन के बाद, मीडिया में 83 समाचार लेख प्रकाशित हुए और पांच महीनों में ही 13,700 से अधिक नए दर्शक जुड़े। ये आंकड़े बताते हैं कि लोग न केवल जिज्ञासु हैं, बल्कि अब सांपों के जीवन को समझना भी चाहते हैं।

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विज्ञान और शिक्षा का नया तरीका

फ्रंटियर्स इन एम्फीबिया एंड रेप्टाइल्स साइंस नामक पत्रिका में बताया गया कि कैसे इस लाइवस्ट्रीमिंग तकनीक ने न केवल लोगों की सोच बदली, बल्कि वैज्ञानिकों और छात्रों के लिए भी एक शैक्षणिक उपकरण का काम किया।

शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया है कि आधुनिक कैमरा तकनीक के इस्तेमाल से अब ऐसे क्षेत्रों में भी कैमरे लगाए जा सकते हैं जहां पहले पहुंचना मुश्किल था। इस पहल ने यह दिखाया कि लाइवस्ट्रीमिंग केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि विज्ञान शिक्षा का एक सशक्त माध्यम बन सकती है।

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लोगों की सोच में बदलाव

सबसे दिलचस्प पहलू यह रहा कि लाइवस्ट्रीम देखने वाले कई दर्शकों ने अपने अनुभव साझा किए। जिनमें एक के द्वारा कहा गया कि मैं हमेशा सांपों से डरती थी, लेकिन जब मैंने देखा कि मां सांप अपने बच्चों का कितना ध्यान रखती है, तो मेरा डर प्यार में बदल गया।

एक अन्य दर्शक ने लिखा कि मैं पहले सोचता था कि सांपों को मारना ठीक है, लेकिन अब मुझे अफसोस है कि मैंने कभी ऐसा सोचा भी। अब मैं उन्हें बचाने की सोचता हूं। ऐसे अनेक संदेश बताते हैं कि कैमरे के जरिए डर से सहानुभूति और नफरत से सम्मान की यात्रा संभव हुई है।

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बच्चों और लोगों के लिए सीख

प्रोजेक्ट रैटलकैम केवल वयस्कों के लिए नहीं, बल्कि स्कूली बच्चों के लिए भी सीखने का माध्यम बना है। तीसरी से पांचवीं कक्षा तक के छात्रों के लिए विशेष शैक्षणिक कार्यक्रम बनाए गए हैं, जिनमें बच्चे लाइवस्ट्रीम देखकर सांपों के व्यवहार, पारिस्थितिकी और पर्यावरणीय भूमिका को समझते हैं।

गलत धारणाओं को तोड़ना

शोधकर्ता ने शोध में कहा कि मीडिया में सांपों को अक्सर डराने वाले रूप में दिखाया जाता है, जबकि वे पारिस्थितिकी तंत्र का एक बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। रैटलस्नेक चूहों और कीटों की संख्या नियंत्रित करके पर्यावरण संतुलन बनाए रखते हैं।

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इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए टेलर ने रैटलस्नेक राउंडअप्स (वे मेलों में होने वाले प्रतियोगिता-जैसे आयोजन जहां सांपों को मारा जाता है) के खिलाफ अभियान भी चलाया है। वह लोगों को सांपों को न मारने और उन्हें सुरक्षित रूप से स्थानांतरित कराने की सलाह देती हैं।

प्रोजेक्ट रैटलकैम ने यह साबित किया है कि तकनीक, विज्ञान और संवेदनशीलता मिलकर समाज की सोच बदल सकते हैं। एक साधारण कैमरे ने लाखों लोगों को सांपों के जीवन से जोड़ दिया और “डरावना जीव” अब प्रकृति का साथी” बनकर उभर रहा है। यह पहल न केवल सांपों की छवि सुधार रही है, बल्कि इंसान और प्रकृति के बीच नई समझ और सह-अस्तित्व का रास्ता भी खोल रही है।

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