गुजरात में 4.7 करोड़ साल पुराने विशालकाय सांप का मिला जीवाश्म, क्या हो सकता है दुनिया का सबसे बड़ा सांप?

शोधकर्ताओं का अनुमान है कि वासुकी इंडिकस की लंबाई 10.9 से 15.2 मीटर के बीच हो सकती है
वी. इंडिकस के बड़े आकार ने इसे एनाकोंडा जैसा धीमी गति से चलने वाला, घात लगाने वाला शिकारी बना दिया। फोटो साभार: आईस्टॉक
वी. इंडिकस के बड़े आकार ने इसे एनाकोंडा जैसा धीमी गति से चलने वाला, घात लगाने वाला शिकारी बना दिया। फोटो साभार: आईस्टॉक
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एक नए शोध में भारत के गुजरात राज्य में लगभग 4.7 करोड़ साल पहले रहने वाले वासुकी इंडिकस नामक सांप की एक नई प्राचीन प्रजाति का पता चला है। 

शोधकर्ताओं का मानना है कि यह शायद अब तक के सबसे बड़े सांपों में से एक रहा होगा। नई प्रजाति, जिसकी लंबाई लगभग 11 से 15 मीटर के बीच थी, अब ये विलुप्त हो चुके मैडसोइडे सांप परिवार का हिस्सा थे, लेकिन यह एक अलग वंश से जुड़ा था जिसकी उत्पत्ति भारत में हुई थी।

साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित शोध में शोधकर्ताओं ने भारत के गुजरात राज्य के कच्छ में पनंध्रो लिग्नाइट खदान से बरामद नए नमूने का वर्णन किया है, जो लगभग 4.7 करोड़ साल पहले मध्य युगीन काल का है। नई प्रजाति का नाम हिंदू देवता शिव के गले में लिपटे पौराणिक सांप के नाम पर वासुकी इंडिकस रखा गया है। शोधकर्ताओं ने 27 अच्छी तरह से संरक्षित कशेरुकाओं का वर्णन किया है, जिनमें से स्पष्ट हैं, जो एक पूर्ण विकसित जानवर से प्रतीत होते हैं।

शोध के मुताबिक, कशेरुकाओं की लंबाई 37.5 से 62.7 मिलीमीटर और चौड़ाई 62.4 से 111.4 मिलीमीटर के बीच है, जिसका शरीर बेलनाकार है। इससे इसके आधार पर शोधकर्ताओं का अनुमान है कि वी. इंडिकस की लंबाई 10.9 से 15.2 मीटर के बीच हो सकती है।

यह आकार में अब तक के सबसे लंबे ज्ञात सांप, विलुप्त टाइटनोबोआ के बराबर है, हालांकि शोधकर्ता इन अनुमानों के आसपास अनिश्चितता को उजागर करते हैं। शोधकर्ताओं ने शोध के माध्यम से बताया कि वी. इंडिकस के बड़े आकार ने इसे एनाकोंडा जैसा धीमी गति से चलने वाला, घात लगाने वाला शिकारी बना दिया।

शोध के हवाले से शोधकर्ता ने कहा कि वी. इंडिकस को मैडटसोइडे परिवार से संबंधित हैं, जो प्राचीन क्रेटेशियस से प्राचीन प्लीस्टोसीन तक लगभग 10 करोड़ वर्षों तक अस्तित्व में रहा और अफ्रीका, यूरोप और भारत सहित एक विस्तृत भौगोलिक क्षेत्र में फैल गया था।

शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि वी. इंडिकस बड़े मैडटसोइडे की एक वंशावली से जुड़े हैं जो भारतीय उपमहाद्वीप में पैदा हुए और लगभग 5.6 से 3.4 करोड़ वर्ष पहले इओसीन के दौरान दक्षिणी यूरोप से अफ्रीका तक फैल गए।

भारत में पहले भी मैडसोइडे सांप सांपों के जीवाश्म पाए गए हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अनुसार, 2022 में, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़, रोपड़ के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और स्लोवाकिया के कोमेनियस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने लद्दाख हिमालय में ओलिगोसीन (लगभग 3.37 करोड़ से 2.38 करोड़ वर्ष पहले) के प्राचीन माडसोइडे सांप की खोज की थी।

लद्दाख के ओलिगोसीन से मैडसोइडे सांप की मौजूदी उनकी निरंतरता को कम से कम पैलियोजीन (भूगर्भीय काल और प्रणाली जो 6.6 करोड़ वर्ष पूर्व क्रिटेशस अवधि के अंत से 4.3 करोड़ वर्ष तक रही है) के अंत तक की ओर इशारा करती है।

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