
अमेरिका के मिशिगन का एकमात्र विषैला सांप पूर्वी मासासाउगा रैटलस्नेक अब गंभीर खतरे में है। इंसानों की बढ़ती गतिविधियों जैसे सड़कें, खेत और इमारतें, इन सांपों को एक-दूसरे से अलग कर रही हैं। इसका असर यह हो रहा है कि ये सांप अपने परिवार के बाहर साथी ढूंढने में असफल हो रहे हैं और अक्सर अपने ही रिश्तेदारों के साथ प्रजनन करने को मजबूर हैं। इसे वैज्ञानिक भाषा में अंतः प्रजनन (इनब्रीडिंग) कहते हैं।
15 साल के एक लंबे अध्ययन से पता चला है कि इस तरह का प्रजनन उनकी आने वाली पीढ़ियों की संख्या और जीवित रहने की संभावना दोनों को कम कर रहा है।
अध्ययन से क्या पता चला?
मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के जीव-विज्ञानियों ने 1,000 से ज्यादा रैटलस्नेक पकड़कर उनके डीएनए की जांच की गई और उनके पारिवारिक रिश्तों का पता लगाया। नतीजे देखकर वैज्ञानिक भी हैरान रह गए।
जिन सांपों में अंतः प्रजनन हुआ, उनकी संतानों के जीवित रहने की संभावना लगभग 13 फीसदी कम पाई गई। उनकी सालाना जीवित रहने की दर भी लगभग 12 फीसदी घट गई। यानी अगर ये स्थिति ऐसे ही बनी रही तो आने वाले सालों में इन सांपों की आबादी और घट सकती है।
क्यों महत्वपूर्ण हैं ये सांप?
भले ही लोग सांपों से डरते हैं, लेकिन रैटलस्नेक पारिस्थितिकी तंत्र में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। ये चूहों और दूसरे छोटे जीवों को खाते हैं, जो अक्सर घरों और खेतों में परेशानी खड़ी करते हैं।
अगर सांप गायब हो जाएं तो चूहों की संख्या अनियंत्रित रूप से बढ़ सकती है, जिससे इंसानों को भी नुकसान झेलना पड़ेगा। इस तरह, रैटलस्नेक दलदली जमीन के खाद्य जाल का संतुलन बनाए रखने वाले प्रमुख जीव हैं।
सांपों की आदतें
पूर्वी मासासाउगा रैटलस्नेक बहुत घरेलू स्वभाव के होते हैं। ये ज्यादातर उसी दलदली इलाके में रहते हैं, जहां इनका जन्म हुआ। साथी खोजने के लिए ये आसपास के इलाके में थोड़ी दूरी तक घूमते हैं और फिर अपने घर लौट आते हैं।
लेकिन इंसानी गतिविधियों के कारण उनके इलाके सिमटते जा रहे हैं। सड़कें और खेत उन्हें दूसरों से जोड़ने की बजाय अलग-अलग कर रहे हैं। इस वजह से साथी ढूंढते समय उन्हें अपने ही परिवार में प्रजनन करना पड़ रहा है।
अंतः प्रजनन क्यों खतरनाक है?
जब जानवर अपने रिश्तेदारों के साथ प्रजनन करते हैं तो उनकी संतानें अक्सर कमजोर होती हैं। उनकी सेहत और शारीरिक क्षमता प्रभावित होती है।
वैज्ञानिक इसे अंतः प्रजनन अवसाद (इनब्रीडिंग डिप्रेशन) कहते हैं। इसका सीधा असर यह होता है कि प्रजाति का लंबे समय तक जीवित रहना मुश्किल हो जाता है।
प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित यह शोध साल 2009 से शुरू हुआ और लगातार हर गर्मी में जारी रहा। वैज्ञानिक रबर के लंबे बूट पहनकर दलदली जमीन में जाते और सांपों को पकड़ते।
हर सांप की लंबाई, वजन और गर्भावस्था की स्थिति दर्ज की जाती। उनका खून लेकर डीएनए निकाला जाता और जीनोम अनुक्रमण किया जाता। हर सांप को एक छोटे माइक्रोचिप जैसे पीआईटी टैग लगाया गया फिर से जंगल में छोड़ दिया जाता।
साल दर साल इन्हीं दलदली जमीनों पर लौटकर वैज्ञानिक देखते थे कि कितने सांप जीवित बचे और उनकी संतानों की स्थिति कैसी रही। इस मेहनत से उन्होंने सांपों का वंशवृक्ष (फैमिली ट्री) तैयार किया और यह पता लगाया कि कौन से सांप किसके माता-पिता थे और उनकी संतान कितनी देर तक जीवित रही।
क्या हो सकता है समाधान?
अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों ने कुछ सुझाव दिए हैं ताकि इन सांपों को बचाया जा सके। आवास पुनर्स्थापन: दलदली इलाकों को फिर से जोड़ना और प्राकृतिक वातावरण को सुरक्षित करना।
सड़क अंडरपास या रास्ते: सांपों और अन्य जानवरों के लिए सड़कों के नीचे रास्ते बनाना, ताकि वे आसानी से दूसरी जगहों पर जा सकें और साथी ढूंढ सकें।
स्थानांतरण: कुछ सांपों को नए इलाकों में ले जाकर बसाना, ताकि जीन पूल (जेनेटिक डाइवर्सिटी) बढ़ सके। जनजागरूकता: लोगों को यह समझाना कि सांप हमारे दुश्मन नहीं, बल्कि हमारे पारिस्थितिक सहयोगी हैं।
पूर्वी मासासाउगा रैटलस्नेक मिशिगन की दलदली जमीन का एक अहम हिस्सा हैं। इंसानों की वजह से उनका प्राकृतिक माहौल बिखर गया है और वे अंतः प्रजनन के जाल में फंस गए हैं। इससे उनकी आने वाली पीढ़ियां कमजोर हो रही हैं और प्रजाति का अस्तित्व खतरे में है।
छोटे-छोटे संरक्षण कदम जैसे सड़क अंडरपास, आवास सुधार और सांपों को नए इलाकों में स्थानांतरित करना उनकी मदद कर सकते हैं। भले ही ये सांप हमें डरावने लगते हों, लेकिन असलियत में ये प्रकृति के मौन सहयोगी हैं। इन्हें बचाकर हम न सिर्फ एक प्रजाति को बचाते हैं बल्कि पूरे पारिस्थितिक तंत्र को संतुलित बनाए रखते हैं।