
जैव विविधता सतत विकास और पारिस्थितिकी तंत्रों और प्रजातियों के अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। यह स्वच्छ हवा और पानी, मिट्टी की उर्वरता, जलवायु और परागण प्रदान करने में अहम भूमिका निभाता है। लेकिन समय के साथ, यह आवास के नुकसान, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और अत्यधिक दोहन जैसे खतरों का सामना कर रहा है।
कार्रवाई करने और जैव विविधता की रक्षा करने की तत्काल आवश्यकता की याद दिलाने के लिए, हर साल 22 मई को अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस मनाया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस (आईडीबी) 2025 की थीम "प्रकृति के साथ सामंजस्य और सतत विकास" है। यह इस बात पर प्रकाश डालती है कि प्रकृति के लिए यह अभियान सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) से कैसे जुड़ता है।
आईडीबी 2025 का उद्देश्य दुनिया का ध्यान 2030 एजेंडा और इसके एसडीजी तथा कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता ढांचे (केएमजीबीएफ) के लक्ष्यों और उद्देश्यों के बीच संबंधों पर केंद्रित करना है, दो सार्वभौमिक एजेंडा को एक साथ आगे बढ़ना चाहिए क्योंकि वे भविष्य के लिए हाल ही में अपनाए गए समझौते का समर्थन करते हैं।
आईडीबी के इतिहास की बात करें तो साल 1992 में रियो डी जेनेरियो में पृथ्वी शिखर सम्मेलन में जैव विविधता पर कन्वेंशन (सीबीडी) को अपनाने के बाद, 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इस दिवस की स्थापना की गई थी। शुरुआत में इसे 29 दिसंबर को मनाया जाता था, लेकिन बाद में सीबीडी को अपनाने की तिथि के उपलक्ष्य में 2000 में इसे 22 मई को मनाया जाने लगा।
जैव विविधता के महत्व को समझना और समस्याओं को पहचानना समय की मांग है। इसलिए, आज की दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस का बहुत महत्व है। यह लोगों को शिक्षित करने और जैव विविधता के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक वैश्विक मंच के रूप में कार्य करता है।
यह लोगों और ग्रह की भलाई के लिए विविध पारिस्थितिकी प्रणालियों, प्रजातियों और आनुवंशिक संसाधनों के महत्व को उजागर करने का अवसर भी प्रदान करता है। इस दिन लोग जैव विविधता संरक्षण और सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने के बीच संबंध पर भी जोर देते हैं।
जब जैवविविधता पर समस्या आती है, तो मानवता पर भी समस्या आती है
जैविक विविधता को अक्सर पौधों, जानवरों और सूक्ष्मजीवों की व्यापक विविधता के संदर्भ में समझा जाता है, लेकिन इसमें प्रत्येक प्रजाति के भीतर आनुवंशिक अंतर भी शामिल हैं - उदाहरण के लिए, फसलों की किस्मों और पशुधन की नस्लों के बीच, पारिस्थितिकी तंत्रों की विविधता (झीलें, जंगल, रेगिस्तान, कृषि परिदृश्य) जो अपने सदस्यों (मनुष्य, पौधे, जानवर) के बीच कई तरह की आंतरिक क्रियाओं की मेजबानी करते हैं।
जैविक विविधता संसाधन वे स्तंभ हैं जिन पर हम सभ्यताओं का निर्माण करते हैं। मछलियां लगभग तीन अरब लोगों को 20 प्रतिशत पशु प्रोटीन प्रदान करती हैं। लोगों का 80 प्रतिशत से अधिक भोजन पौधों द्वारा प्रदान किया जाता है। विकासशील देशों के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले 80 प्रतिशत लोग बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल के लिए पारंपरिक पौधों पर आधारित दवाओं पर निर्भर हैं।
लेकिन जैव विविधता का नुकसान हमारे स्वास्थ्य सहित सभी के लिए खतरा है। यह साबित हो चुका है कि जैव विविधता के नुकसान से जूनोसिस - जानवरों से मनुष्यों में फैलने वाली बीमारियां फैल सकती हैं, जबकि दूसरी ओर यदि हम जैव विविधता को बरकरार रखते हैं, तो यह कोरोनावायरस जैसी महामारियों से लड़ने के लिए बेहतरीन उपकरण प्रदान करता है।
जबकि यह मान्यता बढ़ रही है कि जैविक विविधता भविष्य की पीढ़ियों के लिए बहुत मूल्यवान वैश्विक संपत्ति है, कुछ मानवजनित गतिविधियों के कारण प्रजातियों की संख्या में भारी कमी आ रही है। इस मुद्दे के बारे में सार्वजनिक शिक्षा और जागरूकता के महत्व को देखते हुए, संयुक्त राष्ट्र ने हर साल अंतर्राष्ट्रीय जैविक विविधता दिवस मनाने का फैसला किया।
भूमि आधारित पर्यावरण का तीन-चौथाई हिस्सा और समुद्री पर्यावरण का लगभग 66 फीसदी हिस्सा मानवीय गतिविधियों के कारण काफी हद तक बदल गया है। 10 लाख पशु और पौधों की प्रजातियां अब विलुप्त होने की कगार में हैं।