ज्यादातर वर्षावनों में खतरे में पड़ी जैव विविधता, शोधकर्ताओं ने चेताया

जैविक विविधता पर कन्वेंशन के 2030 के लक्ष्यों को पूरा करने और जैव विविधता को और अधिक नुकसान से बचाने के लिए सबसे ज्यादा घने वर्षावनों की सुरक्षा करना जरूरी है।
गोल्डन बोवरबर्ड (प्रियोनोडुरा न्यूटोनिया), जिसे क्वींसलैंड के आर्द्र उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में घटती आबादी के रूप में वर्गीकृत किया गया है
गोल्डन बोवरबर्ड (प्रियोनोडुरा न्यूटोनिया), जिसे क्वींसलैंड के आर्द्र उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में घटती आबादी के रूप में वर्गीकृत किया गया हैफोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, डोमिनिक शेरोनी
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एक नए शोध से पता चलता है कि दुनिया भर में बचे हुए उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में से एक चौथाई से भी कम जंगलों में हजारों संकटग्रस्त प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं, इन्हें बचाया जा सकता है पर कैसे?

क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के द्वारा किए गए एक शोध में स्तनधारियों, पक्षियों, सरीसृपों और उभयचरों की 16,000 से अधिक प्रजातियों का संरचनात्मक रूप से अशांत या जहां मानवजनित गतिविधियां जारी हैं, उन उष्णकटिबंधीय वर्षावनों की दुनिया भर में उपलब्धता का मूल्यांकन किया गया।

शोध के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने रिमोट सेंसिंग का उपयोग करते हुए, जंगलों पर निर्भर कशेरुकियों की सीमाओं में वर्षावनों की गुणवत्ता का विश्लेषण किया।

कुल मिलाकर, 90 फीसदी तक जंगल अभी भी इन प्रजातियों की सीमाओं के भीतर बना हुआ है, लेकिन इसका केवल 25 फीसदी हिस्सा ही उच्च गुणवत्ता का है, जो विलुप्त होने के खतरे को कम करने के लिए जरूरी है। घने वर्षावन जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन किसी ने यह नहीं बताया था कि ये प्रमुख आवास कितने कम हो गए हैं।

शोध से पता चलता है कि संरचनात्मक रूप से घने वर्षावन, जो कई इन पर निर्भर प्रजातियों के लिए जरूरी हैं वे अब दुर्लभ हैं, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जो मानवजनित दबाव जैसे कि जंगलों के काटे जाने और बुनियादी ढांचे के विकास से सबसे अधिक प्रभावित हैं।

नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज नामक पत्रिका में प्रकाशित शोध में विभिन्न प्रजातियों की संरक्षण की स्थिति के आधार पर आवास की गुणवत्ता में अंतर भी सामने दिखता है। शोधकर्ता ने शोध में कहा कि खतरे में शामिल किए गए या घटती आबादी वाली प्रजातियों के लिए वर्षावन आवास का केवल आठ फीसदी ही घना रह गया है।

तुलना करने पर पता चलता है कि जो प्रजातियां खतरे में नहीं हैं उनके पास लगभग 25 फीसदी घने वर्षावन वाले आवास हैं, जो इस बात पर प्रकाश डालता है कि आवासों के नष्ट होने से पहले से ही खतरे में पड़ी प्रजातियों को किस तरह प्रभावित करता है।

गोल्डन बोवरबर्ड (प्रियोनोडुरा न्यूटोनिया), जिसे क्वींसलैंड के आर्द्र उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में घटती आबादी के रूप में वर्गीकृत किया गया है, को अध्ययन में शामिल किया गया था, जिसमें पाया गया कि इसके 84 फीसदी आवास बने हुए हैं, यह भी केवल 36 फीसदी घने हिस्से वाले वर्षावन हैं।

शोधकर्ता ने शोध के हवाले से कहा कि परिणाम संरक्षण रणनीतियों की तत्काल जरूरत की ओर इशारा करते हैं जो वन आवरण को संरक्षित करने से आगे बढ़कर जंगलों की गुणवत्ता को बनाए रखने तक जाती हैं। उन्होंने आगे कहा, जैव विविधता के लिए मानवजनित व्यवधान को समाप्त करने के साथ-साथ वन आवरण होना जरूरी है।

शेष घने उष्णकटिबंधीय वर्षावनों की रक्षा के लिए, मानवजनित व्यवधान को कम करने के लिए वैश्विक समन्वय जरूरी है, विशेष रूप से असुरक्षित जंगलों में जो जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण हैं। क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय संरक्षण लक्ष्य पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण पर जोर देते हैं, इसलिए यह अध्ययन एक अहम आधार प्रदान करता है।

जैविक विविधता पर कन्वेंशन के 2030 के लक्ष्यों को पूरा करने और जैव विविधता को और अधिक नुकसान से बचाने के लिए सबसे ज्यादा घने वर्षावनों की सुरक्षा करना जरूरी है।

शोध में शोधकर्ता ने कहा, इसलिए कि मानवजनित दबाव लगातार बढ़ रहे हैं, इसलिए इन बचे हुए जंगलों को संरक्षित करना ग्रह की जैव विविधता के लिए एक स्थायी भविष्य को सुरक्षित करने की सबसे अच्छी उम्मीद हो सकती है।

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