जलवायु परिवर्तन और तितलियां: यह विकास है या बाधा?

जैसे-जैसे दुनिया भर में तापमान बढ़ रहा है, कई प्रजातियां उत्तर की ओर बढ़ रही हैं। पहले जिन जगहों की सर्दियां उनके लिए असहनीय थीं, वहां अब वे रहने लगी हैं।
वॉल ब्राउन तितली अकेली ऐसी प्रजाति नहीं है। स्वीडन और अन्य जगहों पर पिछले कुछ दशकों में कई कीट प्रजातियां उत्तर की ओर बढ़ी हैं।
वॉल ब्राउन तितली अकेली ऐसी प्रजाति नहीं है। स्वीडन और अन्य जगहों पर पिछले कुछ दशकों में कई कीट प्रजातियां उत्तर की ओर बढ़ी हैं।फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, चार्ल्स जे. शार्प
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दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन का असर केवल इंसानों पर ही नहीं, बल्कि पक्षियों, तितलियों और अन्य छोटे-बड़े जीवों पर भी पड़ रहा है। तापमान बढ़ने के साथ कई प्रजातियां अपने पुराने इलाकों से हटकर नए इलाकों की ओर फैल रही हैं। खासकर यूरोप में वैज्ञानिकों ने पाया है कि कई तितली प्रजातियां अब उन उत्तरी इलाकों में जा रही हैं, जो पहले उनके लिए बहुत ठंडे माने जाते थे। लेकिन इसके बावजूद सर्दियों की कठोरता अभी भी इन प्रजातियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है।

यूरोप में पाई जाने वाली एक आम तितली वॉल ब्राउन या लासिओमाटा मेगेरा इसका बड़ा उदाहरण है। पश्चिमी यूरोप में इसकी संख्या तेजी से घट रही है, लेकिन स्कैंडिनेविया जैसे ठंडे इलाकों में यह अब ज्यादा दिखाई देने लगी है। यही कारण है कि वैज्ञानिकों ने इस तितली पर विस्तार से शोध किया और यह समझने की कोशिश की कि आखिर जलवायु परिवर्तन के बावजूद इसके फैलाव में बाधाएं क्यों आ रही हैं।

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🦋 जलवायु परिवर्तन और तितलियों का उत्तर की ओर बढ़ना

जैसे-जैसे दुनिया भर में तापमान बढ़ रहा है, कई प्रजातियां उत्तर की ओर बढ़ रही हैं। पहले जिन जगहों की सर्दियां उनके लिए असहनीय थीं, वहां अब वे रहने लगी हैं। यह प्राकृतिक बदलाव कई जीवों के जीवन चक्र में दिख रहा है।

लेकिन स्टॉकहोम विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन से पता चला कि सर्दियों की कठोरता अब भी तितलियों के लिए सबसे बड़ी रुकावट बनी हुई है। इसका मतलब यह है कि केवल गर्मियां लंबी हो जाने से काम नहीं चलेगा, बल्कि हल्की सर्दियां भी जरूरी होंगी ताकि ये प्रजातियां उत्तर में बस सकें।

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🦋 वॉल ब्राउन तितली पर प्रयोग

इस अध्ययन में मुख्य रूप से वॉल ब्राउन तितली पर शोध किया गया। यह एक साधारण घास के मैदानों की तितली है। इसकी खासियत यह है कि यह अपने जीवन चक्र को बदलती परिस्थितियों के अनुसार ढाल लेती है।

🦋 किस तरह किया गया प्रयोग?

शोध पत्र के हवाले से कहा गया है कि शोधकर्ताओं ने तितलियों को दक्षिणी स्वीडन (स्केन काउंटी) और उत्तरी इलाकों (सोडरमैनलैंड और अपलैंड काउंटी) से इकट्ठा किया। इन्हें पिंजरों में रखा गया और सर्दियों के दौरान खेतों में छोड़ दिया गया। कुछ तितलियों को उन इलाकों में भी रखा गया जहां अभी तक यह प्रजाति नहीं फैली थी, जैसे दलारना का इलाका। इसके बाद यह देखा गया कि अलग-अलग जगहों की इल्ली (कैटरपिलर) कैसे बढ़ती हैं और सर्दियों को झेल पाती हैं या नहीं।

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🦋 दो साल तक चले इन प्रयोगों से कई रोचक नतीजे सामने आए

उत्तरी इलाकों की तितलियों की इल्ली दक्षिण की तुलना में तेजी से बढ़ीं। इसका कारण यह माना गया कि वहां गर्मियां छोटी होती हैं और जीवों को उसी अवधि में पूरा विकास करना पड़ता है। इल्ली सही समय पर सर्दियों में निष्क्रिय (डाइपॉज) भी हो गई। इसका मतलब यह है कि उन्होंने बदलते मौसम के हिसाब से खुद को ढाल लिया।

🦋 सर्दियों में जीवित रहना मुश्किल:

इन सकारात्मक बदलावों के बावजूद, जब इल्ली को दलार्ना जैसे ज्यादा ठंडे इलाके में रखा गया, तो उनमें से बहुत ही कम जीवित बचीं। यही सबसे बड़ा सबूत था कि कठोर सर्दियां अभी भी इनके उत्तर की ओर फैलने में रुकावट डाल रही हैं।

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🦋 क्या है वैज्ञानिकों की राय?

शोधकर्ताओं का कहना है कि विकास जीवों को तेजी से बदलती परिस्थितियों में ढलने में मदद करता है। उदाहरण के लिए, वॉल ब्राउन तितली ने दिन की लंबाई और मौसम के हिसाब से अपना जीवन चक्र बदल लिया।

लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे हर सीमा पार कर सकती हैं। ठंडी और लंबी सर्दियां एक ऐसी बाधा हैं, जिन्हें पार करना आसान नहीं। यही कारण है कि वैज्ञानिक मानते हैं कि भविष्य में तितलियों या अन्य प्रजातियों को उत्तर की ओर बढ़ने के लिए सिर्फ गर्मियां लंबी होना काफी नहीं होगा, बल्कि हल्की सर्दियां भी जरूरी होंगी।

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🦋 भविष्य की जलवायु और प्रजातियों का फैलाव

यह अध्ययन प्रोसीडिंग ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ। शोधकर्ताओं ने इसमें बताया कि यदि हमें यह जानना है कि आने वाले समय में कौन-सी प्रजातियां कितनी दूर तक फैल सकती हैं, तो हमें इन प्राकृतिक सीमाओं को समझना होगा।

खासतौर पर कीट और रोग फैलाने वाले जीव जैसे मच्छर या अन्य वाहक प्रजातियां भी जलवायु परिवर्तन के साथ अपने क्षेत्र बदल रही हैं। लेकिन उनकी सीमा भी सर्दियों की कठोरता पर निर्भर करेगी।

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🦋 पारिस्थितिकी तंत्र पर असर

वॉल ब्राउन तितली अकेली ऐसी प्रजाति नहीं है। स्वीडन और अन्य जगहों पर पिछले कुछ दशकों में कई कीट प्रजातियां उत्तर की ओर बढ़ी हैं। लेकिन यह जानना बेहद जरूरी है कि कौन-से गुण वास्तव में उनके विस्तार में मदद करते हैं और कौन-सी परिस्थितियां उन्हें रोकती हैं। यदि वैज्ञानिक यह समझ पाएंगे, तो वे बदलते जलवायु में पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता का बेहतर अनुमान लगा सकेंगे।

शोध एक बड़ी सच्चाई को सामने लाया गया है, जिसमें कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से कई जीव नए इलाकों में फैल सकते हैं। विकास उन्हें तेजी से बदलती परिस्थितियों में ढाल सकता है। लेकिन कठोर सर्दियां अब भी सबसे बड़ी बाधा हैं, जिन्हें पार करना मुश्किल है।

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वॉल ब्राउन तितली का उदाहरण दिखाता है कि मात्र बढ़ता तापमान और लंबी गर्मियां काफी नहीं होंगी। प्रजातियों को उत्तर की ओर बसने के लिए हल्की सर्दियों की भी जरूरत होगी।

इससे एक और महत्वपूर्ण बात सामने आती है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अनुमान लगाते समय हमें केवल गर्मियों पर नहीं, बल्कि सर्दियों की प्रकृति पर भी ध्यान देना होगा। यही जानकारी भविष्य में जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करने में सहायक होगी।

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