
शोधकर्ताओं की एक टीम ने उत्तरी अमेरिका के पूर्वी हिस्सों में रहने वाली टाइगर स्वैलोटेल तितली की एक नई प्रजाति की खोज की है।
अध्ययन में कहा गया है कि शोधकर्ताओं के द्वारा जूलियन डुपुइस, बी. क्रिश्चियन श्मिट, चार्ल्स जे. डेरोलर और शी वांग ने पैपिलियो ग्लौकस और पैपिलियो कैनेडेंसिस संकर तितली की प्रजातियों के नमूने लिए गए। नमूनों की तुलना दोनों प्रजातियों से की, जिससे यह पता चला कि हाइब्रिड या संकर तितलियां वास्तव में एक अनोखी प्रजाति हैं।
शोध के मुताबिक कई शोधों से पता चला है कि उत्तरी अमेरिका में ग्रेट लेक्स के पूर्वी इलाकों में टाइगर स्वैलोटेल तितली की मात्र दो अनोखी प्रजातियां पाई जाती हैं, पहली पैपिलियो ग्लौकस और दूसरी पैपिलियो कैनेडेंसिस है। शोधकर्ताओं ने पहले दोनों के संकर प्रजाति के उदाहरणों के बारे में जानकारी दी, प्रत्येक प्रजाति के सदस्यों की संतानें जो संभोग और प्रजनन करने में कामयाब रहीं या ऐसा माना जाता रहा है।
इस नए प्रयास में, शोधकर्ताओं ने ग्रेट लेक्स के पूर्व में कई जगहों से एकत्र किए गए संकर प्रजाति के कई नमूनों पर करीब से नजर डाली और साहित्य में भी उनकी तलाश की। शोधकर्ताओं ने पाया कि संकरों को वैज्ञानिकों और आम लोगों द्वारा 150 साल पहले से ही दर्ज किया गया था।
शोधकर्ताओं ने गौर किया कि इतने लंबे समय तक उनका अस्तित्व इस बात का संकेत देता है कि वे एक अनोखी प्रजाति हो सकती हैं। उन्होंने इस बात पर भी गौर किया कि तितली की संकर प्रजाति एक बड़े भूगर्भीय क्षेत्र में पाए गए हैं, जो आगे सुझाव देता है कि यह एक अलग प्रजाति हो सकती है।
ज़ूकीज पत्रिका में प्रकाशित शोध के अनुसार, शोधकर्ताओं ने तितली की संकर प्रजाति में ऐसे रूपात्मक लक्षण पाए जो अनोखे प्रतीत होते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि संकर में डायपॉज के बाद का लंबा विकास भी प्रदर्शित होता है, जो पी. ग्लौकस या पी. कैनेडेंसिस से अलग होता है और जिसके चलते ये देरी से उड़ने में सक्षम होती हैं।
शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से सुझाव दिया गया है कि कुल मिलाकर, आंकड़े संकर प्रजाति को एक अनोखे प्रजाति के रूप में मजबूती से समर्थन करता है। इसलिए शोधकर्ताओं ने तितली को अपना नाम दिया है: पैपिलियो सोलस्टिटियस, जो इसकी मध्य गर्मियों की उड़ान अवधि की ओर इशारा करता है।
भारत में भी पाई गई इससे संबंधित एक अन्य प्रजाति
म्यांमार और दक्षिणी चीन से लेकर वियतनाम तक के अपने पहले से ज्ञात क्षेत्रों से गायब हो चुकी एक स्वैलोटेल तितली को सितंबर 2021 में पहली बार भारत में देखा गया।
तितली प्रेमियों ने सितंबर 2019 से सितंबर 2021 के बीच अरुणाचल प्रदेश के नमदाफा राष्ट्रीय उद्यान में तीन स्थानों से "बेहद दुर्लभ" नोबल हेलेन (पैपिलियो नोबेली) प्रजाति को देखा। इसकी जानकारी जर्नल ऑफ एंटोमोलॉजी एंड जूलॉजी स्टडीज नामक पत्रिका में प्रकाशित हुई थी।
नोबल हेलेन, फिलीपींस के पैपिलियो एंटोनियो के सबसे करीब है और इसकी विशेषता एक बहुत बड़े पृष्ठीय सफेद धब्बे से है, जो कभी उत्तरी थाईलैंड में मध्यम ऊंचाई पर पर्वतीय जंगल में आम थी। थाईलैंड के अलावा, स्वैलोटेल तितली की यह प्रजाति म्यांमार, चीन के युन्नान और हुबई क्षेत्रों, लाओस, कंबोडिया और वियतनाम से भी देखी गई है।