पूर्ण चंद्रग्रहण का नजारा: सात सितंबर की रात गहरा लाल दिखेगा चांद

रविवार रात, यानी सात सितंबर, 2025 को पूर्ण चंद्रग्रहण, जब चांद पूरी तरह से पृथ्वी की छाया में छिप जाएगा और गहरे लाल रंग का दिखाई देने लगेगा
पूर्ण चंद्रग्रहण रविवार रात से लेकर सोमवार तड़के तक दिखाई देगा। भारत सहित एशिया, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के कई हिस्सों में लोग इसे देख सकेंगे।
पूर्ण चंद्रग्रहण रविवार रात से लेकर सोमवार तड़के तक दिखाई देगा। भारत सहित एशिया, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के कई हिस्सों में लोग इसे देख सकेंगे।फोटो साभार: नासा
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Summary
  • पूर्ण चंद्रग्रहण (ब्लड मून) रविवार 7 सितंबर रात से सोमवार तड़के 8 सितंबर तक दिखाई देगा।

  • भारत में समय: ग्रहण 8:58 रात से शुरू होगा, 11:00 बजे से 12:22 बजे तक ब्लड मून दिखेगा और 8 सितंबर सुबह 2:25 बजे समाप्त होगा।

  • यह दृश्य भारत सहित एशिया, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया और यूरोप से देखा जा सकेगा, करीब 85 फीसदी आबादी इसका साक्षी बनेगी।

  • चांद लाल इसलिए दिखता है क्योंकि पृथ्वी का वायुमंडल नीली रोशनी को बिखेर देता है और लाल रोशनी चांद तक पहुंचती है।

  • ग्रहण लगभग 5 घंटे 27 मिनट तक चलेगा, जबकि चांद के पूरी तरह लाल नजर आने का समय 82 मिनट का होगा।

आसमान में होने वाली घटनाएं हमेशा से इंसानों को आकर्षित करती रही हैं। कभी टूटते तारे, कभी धूमकेतु और कभी ग्रहण, ये सभी नजारे हमारी जिज्ञासा को और गहरा कर देते हैं। इसी कड़ी में इस रविवार रात यानी सात सितंबर, 2025 को एक ऐसा खगोलीय दृश्य दिखाई देगा जिसे जीवन में शायद कुछ ही बार देखने का मौका मिलता है।

यह है पूर्ण चंद्रग्रहण, जब चांद पूरी तरह से पृथ्वी की छाया में छिप जाता है और गहरे लाल रंग का दिखाई देने लगता है। इस लालिमा भरे चांद को ही आम भाषा में ब्लड मून कहा जाता है

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पूर्ण चंद्रग्रहण रविवार रात से लेकर सोमवार तड़के तक दिखाई देगा। भारत सहित एशिया, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के कई हिस्सों में लोग इसे देख सकेंगे।

ग्रहण कब और कैसे दिखाई देगा?

पूर्ण चंद्रग्रहण रविवार रात से लेकर सोमवार तड़के तक दिखाई देगा। भारत सहित एशिया, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के कई हिस्सों में लोग इसे देख सकेंगे।

भारत में इसके समय इस प्रकार होंगे:

🌘 ग्रहण की शुरुआत: 7 सितंबर रात 8:58 बजे

🌕 ब्लड मून (पूर्णता): रात 11:00 बजे से 12:22 बजे तक

🌗 ग्रहण का अंत: 8 सितंबर सुबह 2:25 बजे

इस प्रकार पूरा ग्रहण लगभग 5 घंटे 27 मिनट तक चलेगा, जबकि चांद के पूरी तरह लाल नजर आने का समय 82 मिनट का होगा।

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पूर्ण चंद्रग्रहण रविवार रात से लेकर सोमवार तड़के तक दिखाई देगा। भारत सहित एशिया, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के कई हिस्सों में लोग इसे देख सकेंगे।

भारत में कहां से दिखेगा?

इस खगोलीय घटना को भारत के लगभग सभी हिस्सों से देखा जा सकेगा। प्रमुख शहरों की सूची इस प्रकार है:

उत्तर भारत: दिल्ली, लखनऊ, जयपुर, चंडीगढ़

पश्चिम भारत: मुंबई, पुणे, अहमदाबाद

दक्षिण भारत: चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, कोच्चि

पूर्व भारत: कोलकाता, भुवनेश्वर, गुवाहाटी

मध्य भारत: भोपाल, नागपुर, रायपुर

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पूर्ण चंद्रग्रहण रविवार रात से लेकर सोमवार तड़के तक दिखाई देगा। भारत सहित एशिया, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के कई हिस्सों में लोग इसे देख सकेंगे।

इसे देखने के लिए खुले मैदान, छत या पार्क जैसी जगहों पर जाएं, जहां आसमान साफ और रोशनी कम हो। शहरों की कृत्रिम रोशनी यानी लाइट पॉल्यूशन इस नजारे को फीका कर सकती है।

क्यों दिखता है चांद लाल?

अक्सर लोगों के मन में सवाल आता है कि आखिर ग्रहण के दौरान चांद सफेद या धुंधला नजर आने के बजाय लाल क्यों दिखाई देता है? इसका वैज्ञानिक कारण है। नासा के मुताबिक, दरअसल जब सूर्य की रोशनी पृथ्वी के वायुमंडल से होकर गुजरती है तो नीली रोशनी के छोटे-छोटे तरंगदैर्घ्य बिखर जाते हैं।

यही कारण है कि दिन में आसमान नीला दिखाई देता है। वहीं लाल रोशनी की तरंगें लंबी होती हैं और वे पृथ्वी के वायुमंडल को पार कर चांद तक पहुंच जाती हैं। यही लाल रोशनी चांद की सतह पर पड़ती है और चांद हमें लालिमा लिए हुए दिखाई देता है।

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पूर्ण चंद्रग्रहण रविवार रात से लेकर सोमवार तड़के तक दिखाई देगा। भारत सहित एशिया, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के कई हिस्सों में लोग इसे देख सकेंगे।

क्या यह दुर्लभ है?

ग्रहण साल में दो बार तक दिखाई देते हैं, इसलिए वैज्ञानिक रूप से यह बहुत दुर्लभ नहीं हैं। लेकिन इस बार का चंद्रग्रहण खास इसलिए है क्योंकि यह पूर्ण चंद्रग्रहण है, यानी चांद पूरी तरह पृथ्वी की छाया में आ जाएगा। इसके अलावा, इस बार मौसम साफ रहा तो लगभग 85 फीसदी दुनिया की आबादी इस अद्भुत दृश्य को देख पाएगी।

भारत में पिछली बार 2018 में पूर्ण चंद्रग्रहण देखने को मिला था। अगली बार यह मौका 31 दिसंबर 2028 को मिलेगा। ऐसे में इस साल का ब्लड मून वाकई खास है।

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पूर्ण चंद्रग्रहण रविवार रात से लेकर सोमवार तड़के तक दिखाई देगा। भारत सहित एशिया, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के कई हिस्सों में लोग इसे देख सकेंगे।

धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं

भारतीय परंपरा में ग्रहणों का विशेष स्थान है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के समय पूजा-पाठ और भोजन बनाने या खाने से परहेज करने की परंपरा रही है। वैज्ञानिक दृष्टि से, ग्रहण का भोजन पर कोई प्रत्यक्ष असर नहीं पड़ता, लेकिन कई लोग अब भी परंपरागत मान्यताओं का पालन करते हैं। वहीं, खगोल विज्ञान प्रेमियों और वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखने वालों के लिए यह समय आकाशीय घटनाओं को समझने और देखने का अवसर है।

कैसे करें सुरक्षित अवलोकन?

सूर्य ग्रहण के विपरीत, चंद्रग्रहण को बिना किसी उपकरण के भी नंगी आंखों से देखा जा सकता है। इसके लिए किसी विशेष चश्मे की जरूरत नहीं है। फिर भी अगर आपके पास दूरबीन या टेलीस्कोप है तो आप और भी अद्भुत दृश्य देख सकते हैं। कैमरे और स्मार्टफोन से तस्वीरें लेना भी संभव है, बस आपको आसमान साफ और कैमरा स्थिर रखना होगा।

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पूर्ण चंद्रग्रहण रविवार रात से लेकर सोमवार तड़के तक दिखाई देगा। भारत सहित एशिया, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के कई हिस्सों में लोग इसे देख सकेंगे।

सात सितंबर, 2025 की रात आसमान प्रेमियों और खगोल विज्ञान के शौकीनों के लिए यादगार बनने वाली है। लगभग डेढ़ घंटे तक खून-सा लाल दिखने वाला चांद हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देगा। यह अवसर केवल एक खूबसूरत नजारा ही नहीं बल्कि हमें प्रकृति और ब्रह्मांड की अद्भुत कार्यप्रणाली को करीब से समझने का मौका भी देगा।

इसलिए अगर मौसम साफ रहा तो इस रविवार रात छत या खुले मैदान पर जाकर इस ब्लड मून का आनंद लेना न भूलें। यह दृश्य आपकी यादों में हमेशा के लिए बस जाएगा।

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