अंतरिक्ष में खिला निसार नामक फूल, प्राकृतिक आपदाओं से लेकर जलवायु तक का चलेगा पता

प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप, बाढ़, भूस्खलन की समय रहते जानकारी तथा धरती की बदलती तस्वीरें दिखाएगा नासा-इसरो का संयुक्त मिशन "निसार"
निसार हर 12 दिन में पूरी धरती का नक्शा बना सकेगा। इन तस्वीरों की मदद से वैज्ञानिक “थ्री-डी फिल्म” की तरह देख पाएंगे कि समय के साथ धरती पर क्या बदलाव हो रहे हैं।
निसार हर 12 दिन में पूरी धरती का नक्शा बना सकेगा। इन तस्वीरों की मदद से वैज्ञानिक “थ्री-डी फिल्म” की तरह देख पाएंगे कि समय के साथ धरती पर क्या बदलाव हो रहे हैं।फोटो साभार: नासा
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भारत के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से एक खास दिन नासा और इसरो का संयुक्त उपग्रह “निसार” अंतरिक्ष में रवाना हुआ। इस उपग्रह में सबसे खास था एक विशाल एंटीना, जो उसी तरह मोड़ कर रखा गया था जैसे कोई छतरी बंद पड़ी हो। वैज्ञानिकों की निगाहें इसी पर टिकी थीं क्योंकि यह एंटीना ही धरती की तस्वीरें लेने वाला था।

लॉन्च के 17 दिनों के बाद, वह क्षण आया जब एंटीना को फैलाना था। यह एंटीना सामान्य नहीं था, 39 फीट यानी करीब 12 मीटर लंबा सुनहरे जाल जैसा चमचमाता हुआ ढांचा। इसका वजन लगभग 64 किलो था और यह 123 हल्के स्ट्रट्स (डंडियों) से बना था। वैज्ञानिक इसे प्यार से “सुनहरा फूल” कहने लगे थे, क्योंकि फैलते समय यह सचमुच किसी फूल की तरह खिलने वाला था।

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निसार हर 12 दिन में पूरी धरती का नक्शा बना सकेगा। इन तस्वीरों की मदद से वैज्ञानिक “थ्री-डी फिल्म” की तरह देख पाएंगे कि समय के साथ धरती पर क्या बदलाव हो रहे हैं।

नौ अगस्त को उपग्रह का लंबा बूम (धातु की बांह) धीरे-धीरे खुलना शुरू हुआ। यह ठीक वैसे ही था जैसे कोई खिलौना एक-एक जोड़ खोलकर लंबा होता जाता है। चार दिन बाद यह पूरी तरह फैल गया। अब बूम के सिरे पर लगा एंटीना अपनी बारी का इंतजार कर रहा था।

15 अगस्त को छोटे-छोटे विस्फोटक बोल्ट खोले गए। जैसे ही वे खुले, एंटीना की तनी हुई संरचना ने अपने आप को खोलना शुरू कर दिया। इस प्रक्रिया को वैज्ञानिकों ने नाम दिया “ब्लूम”, यानी खिलना। कुछ मोटरों और तारों की मदद से जाल जैसे बने एंटीना ने गोल आकार ले लिया और अंत में मजबूती से लॉक हो गया। वैज्ञानिकों ने जश्न मनाया क्योंकि यह पल दशकों की मेहनत और तकनीकी सहयोग का नतीजा था।

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निसार हर 12 दिन में पूरी धरती का नक्शा बना सकेगा। इन तस्वीरों की मदद से वैज्ञानिक “थ्री-डी फिल्म” की तरह देख पाएंगे कि समय के साथ धरती पर क्या बदलाव हो रहे हैं।

निसार का यह एंटीना क्या करेगा?

निसार का यह एंटीना धरती की सतह की तस्वीरें बहुत साफ तरीके से ले सकेगा। जहां एक सामान्य रडार इतने बड़े आकार का नहीं बन सकता, वहीं सिंथेटिक एपर्चर रडार (एसएआर) तकनीक की मदद से यह छोटा एंटीना भी वैसा ही काम करेगा जैसे 19 किलोमीटर लंबा एंटीना करता है।

यह धरती के नक्शे पर 10 मीटर तक के छोटे-छोटे बदलावों को भी पकड़ सकेगा। चाहे दिन हो या रात, बारिश हो या धुंध यह लगातार काम करता रहेगा।

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निसार हर 12 दिन में पूरी धरती का नक्शा बना सकेगा। इन तस्वीरों की मदद से वैज्ञानिक “थ्री-डी फिल्म” की तरह देख पाएंगे कि समय के साथ धरती पर क्या बदलाव हो रहे हैं।

धरती के लिए मदद

इससे वैज्ञानिक ग्लेशियरों के पिघलने, जंगलों की स्थिति, भूकंप या ज्वालामुखी जैसी आपदाओं को समझ पाएंगे। खेती, जल प्रबंधन और पर्यावरण की देखभाल में भी यह बेहद सहायक होगा। निसार हर 12 दिन में पूरी धरती का नक्शा बना सकेगा। इन तस्वीरों की मदद से वैज्ञानिक “थ्री-डी फिल्म” की तरह देख पाएंगे कि समय के साथ धरती पर क्या बदलाव हो रहे हैं।

इस मिशन की खासियत यह है कि यह भारत और अमेरिका की संयुक्त परियोजना है। नासा ने एल-बैंड रडार, एंटीना और बूम बनाए। इसरो ने एस-बैंड राडार, सैटेलाइट बस और लॉन्च की जिम्मेदारी संभाली। दोनों देशों के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने वर्षों तक मिलकर काम किया। यह केवल विज्ञान की जीत नहीं है बल्कि दो देशों की दोस्ती और सहयोग का भी प्रतीक है।

निसार की सफलता से यह बात स्पष्ट होती है कि जब देश, वैज्ञानिक और तकनीक मिलकर काम करते हैं, तो असंभव लगने वाले काम भी पूरे किए जा सकते हैं। जैसे वह एंटीना अंतरिक्ष में सुनहरे फूल की तरह खिला, वैसे ही मानवता के सपने भी खिल सकते हैं यदि हम मिलकर आगे बढ़ें।

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निसार हर 12 दिन में पूरी धरती का नक्शा बना सकेगा। इन तस्वीरों की मदद से वैज्ञानिक “थ्री-डी फिल्म” की तरह देख पाएंगे कि समय के साथ धरती पर क्या बदलाव हो रहे हैं।

🌐 धरती को मिलने वाला फायदा

  • इस मिशन से पूरी दुनिया को फायदा होगा।

  • प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप, बाढ़, भूस्खलन की समय रहते जानकारी मिलेगी।

  • खेती और फसलों की स्थिति पर नजर रखी जा सकेगी।

  • जंगलों और बर्फानी पहाड़ों में हो रहे बदलाव का अध्ययन किया जाएगा।

  • जलवायु परिवर्तन को समझने में मदद मिलेगी।

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