
पानी को हमेशा से जीवन जीने के लिए जरूरी माना गया है। बचपन से हमें सिखाया गया है कि “जल ही जीवन है।” पृथ्वी पर हर जीव, मनुष्य, पशु, पक्षी, पेड़-पौधे और सूक्ष्म जीव सबको जीवित रहने के लिए पानी की आवश्यकता होती है। यही कारण है कि जब भी वैज्ञानिक किसी नए ग्रह पर जीवन की संभावना तलाशते हैं, तो सबसे पहले यह देखते हैं कि वहां पानी है या नहीं।
लेकिन अब एक नया अध्ययन हमारी इस पुरानी सोच को बदल सकता है। 11 अगस्त 2025 को नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (पीएनएएस) नाम की मशहूर वैज्ञानिक पत्रिका में एक शोध प्रकाशित हुआ है। इस शोध में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि जीवन के लिए हमेशा पानी ही जरूरी नहीं है। दूसरे ग्रहों पर जीवन पानी के बिना भी, कुछ खास तरह के तरल लवणों (आइकॉनिक साल्ट) में संभव हो सकता है।
शोध में क्या पाया गया?
शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में एक खास तरह का परीक्षण किया। इसमें उन्होंने देखा कि कुछ विशेष आइकॉनिक तरल लवण बहुत कम तापमान पर भी तरल अवस्था में रहते हैं। सामान्य पानी 100 डिग्री सेल्सियस पर उबलकर भाप बन जाता है, लेकिन ये लवण 100 डिग्री से नीचे भी तरल रूप में स्थिर रहते हैं।
यही नहीं, इन तरल लवणों में प्रोटीन जैसे अणु, जो जीवन के लिए बहुत जरूरी हैं, आसानी से स्थिर रह सकते हैं। इसका मतलब यह है कि जीवन को पनपने के लिए सिर्फ पानी की जरूरत नहीं, बल्कि ऐसा कोई भी तरल चाहिए जिसमें जीवन की रासायनिक क्रियाएं, मेटाबोलिज्म या चयापचय हो सकें।
दूसरे ग्रहों पर जीवन की संभावना
यह खोज बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि अब तक हम मानते थे कि जीवन केवल उन ग्रहों पर हो सकता है जहां पानी मौजूदगी हो। लेकिन इस शोध ने दिखा दिया है कि जहां पानी नहीं है, वहां भी जीवन हो सकता है,यदि वहां ये खास तरल लवण मौजूद हैं। इसका सीधा असर यह है कि अब ब्रह्मांड में “रहने योग्य ग्रहों” की संख्या पहले से कहीं अधिक हो सकती है।
उदाहरण के लिए, कई ग्रह और चंद्रमा ऐसे हैं जहां बहुत गर्मी है या हवा का दबाव बहुत कम है। ऐसे स्थानों पर पानी लंबे समय तक तरल नहीं रह सकता। लेकिन अगर वहां ये आइकॉनिक लवण मिल जाएं, तो वहां जीवन पनपने की संभावना बढ़ जाती है।
लवण कहां पाए जाते हैं?
शोधकर्ताओं का कहना है कि ये तरल लवण पृथ्वी पर प्राकृतिक रूप से नहीं मिलते। इन्हें ज्यादातर उद्योगों में कृत्रिम तरीके से बनाया जाता है। लेकिन कुछ मामलों में प्रकृति में भी ये बन सकते हैं।
उदाहरण के लिए, वैज्ञानिकों ने पाया कि कुछ खास प्रकार की चींटियां जब आपस में प्रतिस्पर्धा करती हैं, तो उनसे इन लवणों के बनने की संभावना होती है। इसका मतलब है कि दूसरे ग्रहों पर भी खास परिस्थितियों में ये तरल प्राकृतिक रूप से मौजूद हो सकते हैं।
क्यों है यह खोज महत्वपूर्ण?
यह अध्ययन बताता है कि जीवन की परिभाषा केवल पानी तक सीमित नहीं है। भविष्य में जब वैज्ञानिक अंतरिक्ष में जीवन खोजेंगे, तो उन्हें सिर्फ पानी ही नहीं, बल्कि अन्य तरल पदार्थों पर भी गौर करना होगा।
इससे यह संभावना खुलती है कि ब्रह्मांड में जीवन हमारी सोच से कहीं अधिक जगहों पर मौजूद हो सकता है। यह खोज अंतरिक्ष मिशनों और ग्रहों की खोज करने वाले कार्यक्रमों के लिए नई दिशा दिखा सकती है।
क्या कहते हैं वैज्ञानिक?
अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि हमने जीवन को हमेशा "पानी पर आधारित” समझा। लेकिन असल में जीवन को जरूरत होती है किसी ऐसे तरल की, जिसमें रासायनिक क्रियाएं चल सकें। पानी पृथ्वी के लिए सबसे अच्छा विकल्प है, लेकिन दूसरे ग्रहों के लिए कोई और तरल भी यह भूमिका निभा सकता है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर आइकॉनिक लवणों को जीवन की संभावना में शामिल किया जाए, तो “रहने योग्य क्षेत्र” बहुत बड़ा हो जाएगा। इसका मतलब है कि ब्रह्मांड में ऐसे कई ग्रह होंगे जहां जीवन छिपा हो सकता है।
इस शोध ने एक नई बहस छेड़ दी है। अब वैज्ञानिकों को केवल पानी खोजने पर ही ध्यान नहीं देना होगा, बल्कि उन सभी तरल पदार्थों पर भी नजर रखनी होगी जो जीवन को संभव बना सकते हैं।
सीधे शब्दों में कहें तो जीवन के लिए पानी जरूरी है यह बात सही है, लेकिन केवल पृथ्वी के लिए। दूसरे ग्रहों पर जीवन पानी के बिना भी, अन्य खास तरल लवणों की मदद से हो सकता है।