
मंगल का ब्राइट एंजेल फॉर्मेशन – जेजेरो क्रेटर का यह इलाका पानी से बनी महीन चट्टानों से भरा है।
संभावित जीवन के संकेत – चट्टानों में विवियनाइट और ग्रेगाइट जैसे खनिज तथा "पॉप्पी सीड्स" और "लेपर्ड स्पॉट्स" जैसी संरचनाएं मिलीं।
जैविक कार्बन की खोज – उपकरण ने जी-बॉन्ड नामक संकेत दर्ज किया, जो जैविक कार्बन का चिन्ह है।
अबायोटिक बनाम जीवन – वैज्ञानिक मानते हैं कि उच्च तापमान के प्रमाण न मिलने से सूक्ष्मजीवों की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता।
सैंपल रिटर्न मिशन – "सैफायर कैन्यन" से लिया गया कोर सैंपल भविष्य में पृथ्वी पर लाकर गहन जांच की जाएगी।
मंगल ग्रह पर जीवन की संभावना को लेकर वैज्ञानिक लंबे समय से खोजबीन कर रहे हैं। पृथ्वी से अरबों किलोमीटर दूर इस ग्रह पर कभी पानी बहता था, इसका प्रमाण पहले ही मिल चुका है। लेकिन अब एक नई खोज ने यह सवाल और मजबूत कर दिया है कि क्या कभी मंगल पर जीवन मौजूद रहा होगा?
टेक्सास ए एंड एम यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की अंतरराष्ट्रीय टीम ने मंगल ग्रह के जेजेरो क्रेटर के ब्राइट एंजेल फॉर्मेशन नामक इलाके में संभावित जीवन से जुड़े रासायनिक संकेत खोजे हैं। इस शोध को हाल ही में नेचर पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।
ब्राइट एंजेल फॉर्मेशन: मंगल का खास इलाका
जेजेरो क्रेटर का ब्राइट एंजेल क्षेत्र हल्के रंग की चट्टानों से बना है, जिनमें मिट्टी जैसे महीन दाने पाए जाते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये चट्टानें पानी से बनी हैं। इसका मतलब है कि अरबों साल पहले यहां नदियां और झीलें मौजूद थीं।
नासा के पर्सिवियरेंस रोवर ने इस क्षेत्र में जांच की और पाया कि यहां की चट्टानों में लोहे का ऑक्साइड, फास्फोरस, सल्फर और सबसे खास जैविक कार्बन मौजूद है। जैविक कार्बन जीवन का आधार माना जाता है, हालांकि यह बिना-जीवित स्रोतों से भी बन सकता है, जैसे उल्कापिंडों से।
जीवन जैसी रसायन प्रक्रियाएं
शोध पत्र में शोधकर्ताओं का कहना है कि जब रोवर ने इस इलाके के पत्थरों का अध्ययन किया तो कई अजीबोगरीब संरचनाएं मिलीं। इनमें छोटे-छोटे गोल कण (जिन्हें "पॉप्पी सीड्स" कहा गया) और धब्बेदार पैटर्न (जिन्हें "लेपर्ड स्पॉट्स" कहा गया) शामिल थे।
इन संरचनाओं में विवियनाइट और ग्रेगाइट नामक खनिज पाए गए, जो आम तौर पर पानी से भरे और कम तापमान वाले वातावरण में बनते हैं। पृथ्वी पर ऐसे खनिज सूक्ष्मजीवों की गतिविधियों से भी बनते हैं। वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया कि ये खनिज रेडॉक्स रिएक्शन नामक रासायनिक प्रक्रिया से बने होंगे। रेडॉक्स रिएक्शन में इलेक्ट्रॉनों का आदान-प्रदान होता है और पृथ्वी पर यह प्रक्रिया अक्सर बैक्टीरिया जैसे जीवों द्वारा चलाई जाती है।
जैविक कार्बन का रहस्य
पर्सीवरेंस के उपकरण ने चट्टानों में जी-बॉन्ड नामक संकेत दर्ज किया, जो जैविक कार्बन का चिन्ह है। खास बात यह है कि यह संकेत "अपोलो टेम्पल" नामक स्थान पर सबसे ज्यादा मिला, जहां विवियनाइट और ग्रेगाइट भी सबसे अधिक पाए गए।
वैज्ञानिकों का मानना है कि जैविक अणुओं और इन खनिजों का एक साथ पाया जाना जीवन की संभावना को और मजबूत करता है। हालांकि "जैविक" का अर्थ हमेशा "जीवित" नहीं होता। यह केवल यह दर्शाता है कि पदार्थ में कार्बन-कार्बन बंध मौजूद हैं। ये बंध बिना जीवन के भी बन सकते हैं।
जीवन या भूगर्भीय प्रक्रिया?
इस खोज के दो संभावित परिदृश्य हैं पहला ये खनिज और संरचनाएं केवल भूगर्भीय प्रक्रियाओं से बनी हों। दूसरा इनमें सूक्ष्मजीवों का हाथ रहा हो, जैसे पृथ्वी पर होता है।
समस्या यह है कि सल्फर से जुड़े जो संकेत मिले हैं, वे सामान्यत: उच्च तापमान पर बनते हैं। लेकिन मंगल की इन चट्टानों में उच्च तापमान के कोई प्रमाण नहीं मिले। इसलिए यह सवाल और मजबूत हो गया है कि क्या अरबों साल पहले मंगल की झीलों में सूक्ष्मजीव मौजूद थे?
सैंपल रिटर्न मिशन की अहमियत
पर्सिवियरेंस रोवर ने ब्राइट एंजेल क्षेत्र से "सैफायर कैन्यन" नाम का एक कोर सैंपल इकट्ठा किया है। यह नमूना अब रोवर के साथ सुरक्षित ट्यूब में रखा हुआ है। वैज्ञानिक चाहते हैं कि भविष्य में इसे पृथ्वी पर लाया जाए, ताकि यहां उन्नत उपकरणों से इसका गहन विश्लेषण किया जा सके।
यदि यह नमूना वापस लाया गया तो वैज्ञानिक कार्बन के आइसोटोप, खनिजों की बारीक संरचना और यहां तक कि सूक्ष्म जीवाश्म की खोज भी कर पाएंगे। इससे यह तय करने में मदद मिलेगी कि मंगल पर जीवन था या नहीं।
पृथ्वी और मंगल की समानता
शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि मंगल और पृथ्वी पर अरबों साल पहले एक जैसी रासायनिक प्रक्रियाएं हो रही थीं। पृथ्वी पर भी उस समय सूक्ष्मजीव लोहे और सल्फर का उपयोग कर ऊर्जा हासिल कर रहे थे। फर्क सिर्फ इतना है कि पृथ्वी की प्लेट टेक्टोनिक्स ने पुराने पत्थरों को गर्म कर उनकी संरचना बिगाड़ दी है। इसलिए हमें वैसे संकेत नहीं मिल सकते जैसे मंगल पर अब भी सुरक्षित हैं।
यह खोज जीवन का पक्का सबूत नहीं है, लेकिन यह संभावित बायोसिग्नेचर जरूर है। वैज्ञानिकों के अनुसार, यदि यह प्रमाण जीवन से जुड़ा हुआ निकला, तो यह मानव इतिहास की सबसे बड़ी खोज होगी। मंगल पर यह सबूत हमें यह समझने में भी मदद करेगा कि पृथ्वी पर जीवन कैसे शुरू हुआ और क्या ब्रह्मांड में अन्य जगहों पर भी जीवन हो सकता है।