

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है। गाजियाबाद में एक्यूआई 434 तक पहुंच गया, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन की सुरक्षित सीमा से 860 फीसदी अधिक है।
दिल्ली में भी स्थिति गंभीर है, जहां एक्यूआई 370 दर्ज किया गया है। प्रदूषण के महीन कणों के कारण गाजियाबाद में गैस-चैम्बर जैसी स्थिति बन गई है।
248 शहरों के लिए जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से जहां महज 12.5 फीसदी शहरों में हवा साफ है।
आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में बागपत (403) दूसरे जबकि नोएडा (394) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 380 अंकों के साथ हापुड़ चौथे स्थान पर है।
मेरठ-दिल्ली में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 374 और 370 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।
ग्रेटर नोएडा (364) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में मुजफ्फरनगर (345), भिवाड़ी (338) और बुलंदशहर (338) भी शामिल हैं।
आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के आठ शहर (गाजियाबाद, बागपत, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, हापुड़, मेरठ, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर) शामिल हैं।
फरीदाबाद में कल से प्रदूषण में गिरावट आई है, जहां पांच अंकों के सुधार के साथ एक्यूआई घटकर 233 पर पहुंच गया।
विश्लेषण से पता चला है कि 22 नवंबर 2025 को एक बार फिर देश में गाजियाबाद की हवा सबसे ज्यादा खराब रही, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई बढ़कर 434 पर पहुंच गया। गौरतलब है कि 21 नवंबर को गाजियाबाद में एक्यूआई 422 दर्ज किया गया था। मतलब कि वहां कल से प्रदूषण में 12 अंकों का इजाफा हुआ है।
इसके साथ ही गाजियाबाद में अभी भी स्थिति ‘गंभीर’ बनी हुई है और वहां गैस-चैम्बर जैसे हालत हैं। रुझानों में सामने आया है कि गाजियाबाद की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम10) पूरी तरह हावी हैं। देखा जाए तो वहां फिजाओं में घुला जहर इतना ज्यादा है कि वो लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।
गाजियाबाद से स्थिति किस कदर खराब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से 860 फीसदी अधिक है।
दूसरी तरफ देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 14 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर गाजियाबाद की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 30 गुणा खराब है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है। हालांकि दिल्ली में अभी भी वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ है, जहां प्रदूषण का स्तर निर्धारित मानकों से 700 फीसदी अधिक है। गौरतलब है कि 11 नवंबर को दिल्ली में साल का सबसे प्रदूषित शहर दिन दर्ज किया गया था, जब एक्यूआई बढ़कर 428 तक पहुंच गया था।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 22 नवंबर, 2025 को 248 शहरों के लिए जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से जहां महज 12.5 फीसदी शहरों में हवा साफ है।
वहीं करीब 20.5 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 67 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज भी हवा चिंताजनक है। राहत की बात यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 181 फीसदी से अधिक का इजाफा हुआ है।
वहीं संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में कल से 25 फीसदी की गिरावट आई है। मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की बात करें तो इन शहरों में कल से करीब 2.9 फीसदी का इजाफा हुआ है।
खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो उनकी गिनती में 10.9 फीसदी की गिरावट आई है। दूसरी तरह देश में बेहद खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में 45 फीसदी से अधिक का इजाफा हुआ है, जोकि चिंता का विषय है। फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 233 रिकॉर्ड किया गया है।
आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में बागपत (403) दूसरे जबकि नोएडा (394) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 380 अंकों के साथ हापुड़ चौथे स्थान पर है। मेरठ-दिल्ली में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 374 और 370 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।
ग्रेटर नोएडा (364) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में मुजफ्फरनगर (345), भिवाड़ी (338) और बुलंदशहर (338) भी शामिल हैं। गौरतलब है कि आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के आठ शहर (गाजियाबाद, बागपत, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, हापुड़, मेरठ, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर) शामिल हैं।
विश्लेषण से यह भी पता चला है कि जहां बागपत, नोएडा, हापुड़, ग्रेटर नोएडा, मुजफ्फरनगर, भिवाड़ी, बुलंदशहर, भिवानी, यमुना नगर, जींद, टोंक, सोनीपत, कुरुक्षेत्र, कोटा, रोहतक, करनाल, मंडीदीप, बहादुरगढ़, जयपुर, कैथल, गुरुग्राम, पंचकुला, मानेसर, नंदेसरी, ग्वालियर, बूंदी, भीलवाड़ा, झालावाड़, पिंपरी-चिंचवाड़, हावड़ा, बद्दी, देवास, सिंगरौली, धारूहेड़ा, कोलकाता, फरीदाबाद, जैसलमेर, सागर, डूंगरपुर, कटनी, बारां, सवाई माधोपुर, अंकलेश्वर, भरतपुर, बैरकपुर, जबलपुर, हल्दिया, अंगुल, दौसा, करौली, पुणे, चंडीगढ़, पाली आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी हैं।
वहीं गाजियाबाद, मेरठ, दिल्ली, भोपाल, नागौर, प्रयागराज, चरखी दादरी, बीकानेर, जालोर, अहमदाबाद, हिसार, लखनऊ, आगरा, हाजीपुर, पटियाला, रतलाम, चुरू, सीकर, उल्हासनगर, वृंदावन, कल्याण, चंद्रपुर, सासाराम, झुंझुनू, बाड़मेर, पटना, दुर्गापुर, फिरोजाबाद, सूरत, मैहर, बिलीपाड़ा, गया, इंदौर, लुधियाना, अमरावती (महाराष्ट्र), धनबाद, वाराणसी, फतेहाबाद, कोल्हापुर, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), किशनगंज, खन्ना, गांधीनगर, सिरोही, क्योंझर, राउरकेला, औरंगाबाद (बिहार), जलना, अलवर, ब्रजराजनगर आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
इसी तरह कुछ शहरों में कार्बन और ओजोन से स्थिति खराब है। इन शहरों के विपरीत देश के 12.5 फीसदी यानी महज 31 शहरों में हवा साफ है।
इन साफ हवा वाले शहरों में कुड्डालोर, गडग, करूर, कोप्पल, मदिकेरी, मदुरै, मंगलौर, मैसूर, नागांव, ऊटी, पेरुंदुरई, पुडुचेरी, पुडुकोट्टई, सलेम, समस्तीपुर, शिलांग, शिवसागर, श्री विजयनगर पुरम, तंजावुर आदि शामिल हैं।
आज देश के जिन 51 शहरों में वायु गुणवत्ता सन्तोषजनक है, उनमें बेंगलुरु, बेतिया, भागलपुर, भिलाई, बिलासपुर, छपरा, चिक्कमगलुरु, चित्तूर, दमोह, दावनगेरे, धारवाड़, एलूर, गंगटोक, गोरखपुर, गुवाहाटी, हुबली, हैदराबाद, झांसी, कडप्पा, कलबुर्गी, कन्नूर, कटिहार, कोरबा, कुंजेमुरा, लातूर, मंगुराहा, मिलुपारा, मोतिहारी, नाहरलागुन, नयागढ़, पूर्णिया, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, सहरसा, सतना आदि शामिल हैं।
इन शहरों के उलट आज देश के 107 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है।
इन शहरों में आगरा, अहमदाबाद, अहमदनगर, अजमेर, अलवर, अंबाला, अमरावती (महाराष्ट्र), अमृतसर, आरा, आसनसोल, औरंगाबाद (बिहार), औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बदलापुर, बालासोर, बल्लभगढ़, बांसवाड़ा, बारबिल, बरेली, बारीपदा, बाड़मेर, बेलापुर, भिवंडी, भुवनेश्वर, बिहार शरीफ, बिलीपाड़ा, बोइसर, ब्रजराजनगर, ब्यासनगर, बर्नीहाट, चंडीगढ़, चंद्रपुर, छाल, चित्तौड़गढ़, चुरू, कटक, देहरादून, धनबाद, धौलपुर, धुले, दुर्गापुर, फतेहाबाद, फिरोजाबाद, गांधीनगर, गया, गुम्मिडीपूंडी, हाजीपुर, हनुमानगढ़, हिसार, इंदौर, जालंधर, जलगांव, जलना, जालोर, झुंझुनू, जोधपुर, कल्याण, कानपुर, क्योंझर, खन्ना, किशनगंज, कोहिमा, कोल्हापुर, लखनऊ, लुधियाना, महाड, मैहर, मालेगांव, मंडी गोबिंदगढ़, मंडीखेड़ा, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मुंबई, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, नागपुर, नलबाड़ी, नांदेड़, नारनौल, नासिक, नवी मुंबई, पाली, पलवल, पानीपत, परभणी, पटियाला, पटना, प्रतापगढ़, पुणे, राजगीर, राजसमंद, रतलाम, ऋषिकेश, राउरकेला, सांगली, सासाराम, सीकर, सिरोही, सूरत, तालचेर, ठाणे, उदयपुर, उल्हासनगर, वापी, वाराणसी, वातवा, विरार, वृंदावन शामिल हैं।
आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि आज देश के 41 शहरों में वायु गुणवत्ता खराब है। इन शहरों में अंगुल, अंकलेश्वर, बद्दी, बहादुरगढ़, बारां, बैरकपुर, भरतपुर, भीलवाड़ा, भोपाल, बीकानेर, बूंदी, चरखी दादरी, दौसा, देवास, धारूहेड़ा, डूंगरपुर, फरीदाबाद, गुरुग्राम, ग्वालियर, हल्दिया, हावड़ा, जबलपुर, जयपुर, जैसलमेर, झालावाड़, कैथल, करौली, करनाल, कटनी, कोलकाता, मंडीदीप, मानेसर, नागौर, नंदेसरी, पंचकुला, पिंपरी-चिंचवाड़, प्रयागराज, सागर, सवाई माधोपुर, सिंगरौली, श्री गंगानगर शामिल हैं।
इसी तरह आज देश के 16 शहरों में वायु गुणवत्ता बेहद खराब है। इन शहरों में भिवाड़ी, भिवानी, बुलंदशहर, दिल्ली, ग्रेटर नोएडा, हापुड़, जींद, कोटा, कुरुक्षेत्र, मेरठ, मुजफ्फरनगर, नोएडा, रोहतक, सोनीपत, टोंक, यमुना नगर शामिल हैं। वहीं बागपत (403) और गाजियाबाद (434) में स्थिति गंभीर है।
क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 248 में से महज 31 शहरों में हवा 'बेहतर' है। 51 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 21 नवंबर 2025 को यह आंकड़ा 68 दर्ज किया गया था।
107 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में आज एक बार फिर गाजियाबाद (434) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 450 के करीब पहुंच गया। बता दें कि कल गाजियाबाद में सूचकांक 422 रिकॉर्ड किया गया था। मतलब की आज वहां प्रदूषण के स्तर में 12 अंकों का इजाफा हुआ है। हालांकि गाजियाबाद में आज भी वायु गुणवत्ता सूचकांक 'गंभीर' श्रेणी में बना हुआ है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में इजाफा दर्ज किया गया है। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 370 पर पहुंच गया। दूसरी तरफ फरीदाबाद में कल से प्रदूषण में गिरावट आई है, जहां पांच अंकों के सुधार के साथ एक्यूआई घटकर 233 पर पहुंच गया।
गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।
प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में 22 नवंबर को हापुड़ चौथे स्थान पर है, वहीं बागपत (403) दूसरे, जबकि नोएडा (394) तीसरे स्थान पर है।
अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 271, गाजियाबाद में 434, गुवाहाटी में 94, गुरूग्राम में 286, नोएडा में 394, ग्रेटर नोएडा में 364 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 188 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 192, चेन्नई में 48, चंडीगढ़ में 194, हैदराबाद में 87, जयपुर में 290 और पटना में 150 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन 31 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अमरावती (आंध्रप्रदेश), अरियालुर, चामराजनगर, चेन्नई, कोयंबटूर, कुड्डालोर, गडग, करूर, कोप्पल, मदिकेरी, मदुरै, मंगलौर, मैसूर, नागांव, ऊटी, पेरुंदुरई, पुडुचेरी, पुडुकोट्टई, सलेम, समस्तीपुर, शिलांग, शिवसागर, श्री विजयनगर पुरम, तंजावुर, तिरुवनंतपुरम, तिरुचिरापल्ली, तिरुमाला, तिरुपुर, विजयपुरा, विरुधुनगर, यादगीर शामिल हैं।
वहीं अगरतला, अनंतपुर, अररिया, बागलकोट, बेलगाम, बेंगलुरु, बेतिया, भागलपुर, भिलाई, बिलासपुर, छपरा, चिक्कमगलुरु, चित्तूर, दमोह, दावनगेरे, धारवाड़, एलूर, गंगटोक, गोरखपुर, गुवाहाटी, हुबली, हैदराबाद, झांसी, कडप्पा, कलबुर्गी, कन्नूर, कटिहार, कोरबा, कुंजेमुरा, लातूर, मंगुराहा, मिलुपारा, मोतिहारी, नाहरलागुन, नयागढ़, पूर्णिया, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, सहरसा, सतना, शिवमोगा, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरसा, सोलापुर, टेन्सा, त्रिशूर, तिरुपति, तुमडीह, विजयवाड़ा, विशाखापत्तनम आदि 51 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।
कल देश में वायु गुणवत्ता की स्थिति कैसी थी इसकी जानकारी आप डाउन टू अर्थ के एयर क्वालिटी ट्रैकर के पिछले अंक से प्राप्त कर सकते हैं:
लगातार तीसरे दिन प्रदूषण में अव्वल गाजियाबाद, मेरठ-हापुड़ में भी 400 के पार एक्यूआई