लगातार तीसरे दिन प्रदूषण में अव्वल गाजियाबाद, मेरठ-हापुड़ में भी 400 के पार एक्यूआई

21 नवंबर 2025 को देश के 243 में से महज 11 शहरों में हवा साफ रही। वहीं दूसरी तरफ 67 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक रहे
भारत के कई शहरों में बढ़ते प्रदूषण से बड़े ही नहीं बच्चे भी प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर हैं; फोटो: आईस्टॉक
भारत के कई शहरों में बढ़ते प्रदूषण से बड़े ही नहीं बच्चे भी प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर हैं; फोटो: आईस्टॉक
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सारांश
  • गाजियाबाद में प्रदूषण की स्थिति गंभीर बनी हुई है, जहां एक्यूआई 422 दर्ज किया गया।

  • मेरठ और हापुड़ में भी प्रदूषण का स्तर 400 के पार है।

  • गाजियाबाद की हवा में महीन कणों का प्रभुत्व है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

  • देश के 243 शहरों में से केवल 11 शहरों में हवा साफ है, जबकि अधिकांश शहरों में स्थिति चिंताजनक है।

  • दूसरी तरफ देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 17 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर गाजियाबाद की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 24 गुणा खराब है।

  • राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में गिरावट आई है। हालांकि दिल्ली में अभी भी वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ है, जहां प्रदूषण का स्तर निर्धारित मानकों से 2,300 फीसदी अधिक है।

विश्लेषण से पता चला है कि 21 नवंबर 2025 को एक बार फिर देश में गाजियाबाद की हवा सबसे ज्यादा खराब रही, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई 422 रिकॉर्ड किया गया। गौरतलब है कि 20 नवंबर को गाजियाबाद में एक्यूआई 430 दर्ज किया गया था। मतलब कि वहां कल से प्रदूषण में आठ अंकों का सुधार आया है।

हालांकि इसके बावजूद गाजियाबाद में अभी भी स्थिति ‘गंभीर’ बनी हुई है और वहां गैस-चैम्बर जैसे हालत हैं। रुझानों में सामने आया है कि गाजियाबाद की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम10) पूरी तरह हावी हैं। देखा जाए तो वहां फिजाओं में घुला जहर इतना ज्यादा है कि वो लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।

गाजियाबाद से स्थिति किस कदर खराब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से 830 फीसदी अधिक है।

दूसरी तरफ देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 17 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर गाजियाबाद की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 24 गुणा खराब है।

राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में गिरावट आई है। हालांकि दिल्ली में अभी भी वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ है, जहां प्रदूषण का स्तर निर्धारित मानकों से 2,300 फीसदी अधिक है। गौरतलब है कि 11 नवंबर को दिल्ली में साल का सबसे प्रदूषित शहर दिन दर्ज किया गया था, जब एक्यूआई बढ़कर 428 तक पहुंच गया था। 

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 21 नवंबर, 2025 को 243 शहरों के लिए जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से जहां महज 4.5 फीसदी शहरों में हवा साफ है।

वहीं करीब 28 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 67.5 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज भी हवा चिंताजनक है। राहत की बात यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में आठ फीसदी से अधिक का इजाफा हुआ है।

वहीं संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में कल से करीब 7.9 फीसदी की गिरावट आई है। मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की बात करें तो इन शहरों में कल से करीब दो फीसदी का इजाफा हुआ है।

खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो उनकी गिनती में 12 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है। दूसरी तरह देश में बेहद खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में आठ फीसदी से अधिक का इजाफा हुआ है, जोकि चिंता का विषय है। फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 238 रिकॉर्ड किया गया है।  

आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में मेरठ (411) दूसरे जबकि हापुड़ (406) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 394 अंकों के साथ नोएडा चौथे स्थान पर है। दिल्ली-मुजफ्फरनगर में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 364 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।

बहादुरगढ़ (360) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में ग्रेटर नोएडा (353), बागपत (343) और बूंदी (336) भी शामिल हैं। गौरतलब है कि आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के सात शहर (गाजियाबाद, मेरठ, हापुड़, नोएडा, मुजफ्फरनगर, ग्रेटर नोएडा, बागपत) शामिल हैं।

विश्लेषण से यह भी पता चला है कि जहां हापुड़, नोएडा, दिल्ली, मुजफ्फरनगर, ग्रेटर नोएडा, बागपत, बूंदी, भिवाड़ी, भिवानी, सोनीपत, अंबाला, मंडीदीप, बुलंदशहर, करनाल, कोटा, रोहतक, गुरुग्राम, जयपुर, यमुना नगर, डूंगरपुर, नंदेसरी, ग्वालियर, अंकलेश्वर, जींद, भीलवाड़ा, पीथमपुर, मानेसर, जलगांव, बारां, फरीदाबाद, नागपुर, खुर्जा, कुरुक्षेत्र, धारूहेड़ा, सागर, सिंगरौली, पिंपरी-चिंचवाड़, हावड़ा, झालावाड़, पंचकुला, दौसा, हल्दिया, जबलपुर, नारनौल, सीकर, प्रतापगढ़, अंगुल आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी हैं।

वहीं गाजियाबाद, मेरठ, बहादुरगढ़, भोपाल, नागौर, चरखी दादरी, चुरू, प्रयागराज, लखनऊ, हिसार, कोल्हापुर, अहमदाबाद, बीकानेर, रतलाम, जालोर, गांधीनगर, नासिक, आगरा, पटियाला, वृंदावन, उल्हासनगर, झुंझुनू, बेलापुर, अजमेर, चंद्रपुर, जैसलमेर, पटना, बदलापुर, कल्याण, वाराणसी, इंदौर, फतेहाबाद, गया, धनबाद, बाड़मेर, मुजफ्फरपुर, अकोला, फिरोजाबाद, खन्ना, क्योंझर, दुर्गापुर, औरंगाबाद (बिहार), मंडीखेड़ा, ठाणे आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।

इसी तरह कुछ शहरों में कार्बन और ओजोन से स्थिति खराब है। इन शहरों के विपरीत देश के 4.5 फीसदी यानी महज 11 शहरों में हवा साफ है।

इन साफ हवा वाले शहरों में अगरतला, चामराजनगर, चिक्कमगलुरु, कोयंबटूर, किशनगंज, मंगलौर, नागांव, शिलांग आदि शामिल हैं। 

आज देश के जिन 68 शहरों में वायु गुणवत्ता सन्तोषजनक है, उनमें गुवाहाटी, हुबली, हैदराबाद, झांसी, कडप्पा, कलबुर्गी, कन्नूर, करूर, कटिहार, कोहिमा, कोप्पल, कोरबा, कुंजेमुरा, मदिकेरी, मंगुराहा, मिलुपारा, मोतिहारी, मैसूर, नागपट्टिनम, नलबाड़ी, नयागढ़, पलवल, पंचगांव, पेरुंदुरई, पुडुचेरी, रायपुर, रायरंगपुर, राजमहेंद्रवरम, राजगीर, ऋषिकेश, राउरकेला, सहरसा, सलेम, समस्तीपुर, सतना, शिवमोगा, सिलचर, सिलीगुड़ी, शिवसागर, सिवान, सूरत आदि शामिल हैं।

इन शहरों के उलट आज देश के 104 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है।

इन शहरों में आगरा, अहमदाबाद, अहमदनगर, अजमेर, अकोला, अलवर, अमरावती (महाराष्ट्र), अमृतसर, आरा, आसनसोल, औरंगाबाद (बिहार), औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बदलापुर, बालासोर, बल्लभगढ़, बांसवाड़ा, बारबिल, बाड़मेर, बैरकपुर, बेगूसराय, बेलापुर, भरतपुर, भिवंडी, भुवनेश्वर, बिहार शरीफ, बीकानेर, बिलीपाड़ा, बोइसर, ब्यासनगर, बर्नीहाट, चंडीगढ़, चंद्रपुर, छाल, छपरा, चित्तूर, चित्तौड़गढ़, कटक, देहरादून, देवास, धनबाद, धौलपुर, धुले, दुर्गापुर, फतेहाबाद, फिरोजाबाद, गांधीनगर, गया, गुम्मिडीपूंडी, हाजीपुर, हनुमानगढ़, हिसार, इंदौर, जैसलमेर, जालंधर, जलना, जालोर, झुंझुनू, कल्याण, कानपुर, करौली, कटनी, क्योंझर, खन्ना, कोल्हापुर, कोलकाता, कोल्लम, लातूर, लखनऊ, लुधियाना, महाड, मैहर, मंडी गोबिंदगढ़, मंडीखेड़ा, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मुंबई, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, नाहरलागुन, नांदेड़, नासिक, नवी मुंबई, पाली, परभनी, पटियाला, पटना, प्रयागराज, पुणे, राजसमंद, रतलाम, सवाई माधोपुर, सिरोही, सिरसा, सोलापुर, तालचेर, ठाणे, तिरुपति, उदयपुर, उल्हासनगर, वापी, वाराणसी, वातवा, विरार, वृंदावन शामिल हैं।

आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि आज देश के 46 शहरों में वायु गुणवत्ता खराब है। इन शहरों में अंगुल, अंकलेश्वर, बद्दी, बारां, बरेली, भीलवाड़ा, भोपाल, बुलंदशहर, चरखी दादरी, चुरू, दौसा, धारूहेड़ा, डूंगरपुर, फरीदाबाद, गुरुग्राम, ग्वालियर, हल्दिया, हावड़ा, जबलपुर, जयपुर, जलगांव, झालावाड़, जींद, जोधपुर, कैथल, करनाल, खुर्जा, कोटा, कुरुक्षेत्र, मंडीदीप, मानेसर, नागौर, नागपुर, नंदेसरी, नारनौल, पंचकुला, पिंपरी-चिंचवाड़, पीथमपुर, प्रतापगढ़, रोहतक, सागर, सांगली, सीकर, सिंगरौली, श्री गंगानगर, यमुना नगर शामिल हैं।

इसी तरह आज देश के 11 शहरों में वायु गुणवत्ता बेहद खराब है। इन शहरों में अंबाला, बागपत, बहादुरगढ़, भिवाड़ी, भिवानी, बूंदी, दिल्ली, ग्रेटर नोएडा, मुजफ्फरनगर, नोएडा, सोनीपत शामिल हैं। वहीं गाजियाबाद (422), हापुड़ (406) और मेरठ (411) में स्थिति गंभीर है।

क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 243 में से महज 11 शहरों में हवा 'बेहतर' है। 68 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 20 नवंबर 2025 को यह आंकड़ा 63 दर्ज किया गया था।

104 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।

दूसरे शहरों की तुलना में आज एक बार फिर गाजियाबाद (422) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 430 के करीब पहुंच गया। बता दें कि कल गाजियाबाद में सूचकांक 430 रिकॉर्ड किया गया था। मतलब की आज वहां प्रदूषण के स्तर में आठ अंकों की गिरावट आई है। हालांकि गाजियाबाद में आज भी वायु गुणवत्ता सूचकांक 'गंभीर' श्रेणी में बना हुआ है।

राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में गिरावट आई है। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक घटकर 364 पर पहुंच गया। इसी तरफ फरीदाबाद में भी कल से प्रदूषण में गिरावट आई है, जहां 17 अंकों के सुधार के साथ एक्यूआई घटकर 238 पर पहुंच गया।

गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।

प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में 21 नवंबर को नोएडा चौथे स्थान पर है, वहीं मेरठ (411) दूसरे, जबकि हापुड़ (406) तीसरे स्थान पर है।

अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 276, गाजियाबाद में 422, गुवाहाटी में 90, गुरूग्राम में 287, नोएडा में 394, ग्रेटर नोएडा में 353 पर पहुंच गया है।

इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 157 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 194, चेन्नई में 88, चंडीगढ़ में 142, हैदराबाद में 94, जयपुर में 284 और पटना में 145 दर्ज किया गया।

इन शहरों में साफ रही हवा

देश के जिन 11 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, चामराजनगर, चिक्कमगलुरु, कोयंबटूर, किशनगंज, मंगलौर, नागांव, शिलांग, तिरुवनंतपुरम, तिरुमाला, विजयपुरा शामिल हैं।

वहीं अमरावती (आंध्रप्रदेश), अनंतपुर, अररिया, बागलकोट, बारीपदा, बेलगाम, बेंगलुरु, बेतिया, भागलपुर, भिलाई, बिलासपुर, ब्रजराजनगर, चेन्नई, कुड्डालोर, दमोह, दावनगेरे, धारवाड़, एलूर, गडग, गंगटोक, गोरखपुर, गुवाहाटी, हुबली, हैदराबाद, झांसी, कडप्पा, कलबुर्गी, कन्नूर, करूर, कटिहार, कोहिमा, कोप्पल, कोरबा, कुंजेमुरा, मदिकेरी, मंगुराहा, मिलुपारा, मोतिहारी, मैसूर, नागपट्टिनम, नलबाड़ी, नयागढ़, पलवल, पंचगांव, पेरुंदुरई, पुडुचेरी, रायपुर, रायरंगपुर, राजमहेंद्रवरम, राजगीर, ऋषिकेश, राउरकेला, सहरसा, सलेम, समस्तीपुर, सतना, शिवमोगा, सिलचर, सिलीगुड़ी, शिवसागर, सिवान, सूरत, टेन्सा , थूथुकुडी, त्रिशूर, तुमडीह, विजयवाड़ा, यादगीर आदि 68 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।

क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।

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भारत में प्रदूषण का हॉटस्पॉट बना उत्तरप्रदेश, गाजियाबाद, बागपत, नोएडा में हालात 'गंभीर'

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