

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 430 तक पहुंच गया है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन की सुरक्षित सीमा से 800 फीसदी अधिक है।
बागपत और नोएडा भी गंभीर प्रदूषण की चपेट में हैं।
दिल्ली में मामूली सुधार के बावजूद स्थिति बेहद खराब है।
देश के 68.4 फीसदी शहरों में वायु गुणवत्ता चिंताजनक है, जबकि नागांव की हवा सबसे साफ है।
आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में बागपत (428) दूसरे जबकि नोएडा (408) तीसरे स्थान पर है।
इसी तरह 391 अंकों के साथ दिल्ली चौथे स्थान पर है। हापुड़-ग्रेटर नोएडा में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 388 और 380 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।
भिवाड़ी (349) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में मेरठ (345), मुजफ्फरनगर (336) और मानेसर (312) भी शामिल हैं।
आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के सात शहर (गाजियाबाद, बागपत, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, हापुड़, मेरठ, मुजफ्फरनगर) शामिल हैं।
विश्लेषण से पता चला है कि 20 नवंबर 2025 को देश में गाजियाबाद की हवा सबसे खराब रही, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई 430 रिकॉर्ड किया गया। गौरतलब है कि 19 नवंबर को गाजियाबाद में एक्यूआई 422 दर्ज किया गया था। मतलब कि वहां कल से प्रदूषण में आठ अंकों का इजाफा हुआ है।
हालांकि इसके बावजूद गाजियाबाद में अभी भी स्थिति ‘गंभीर’ बनी हुई है और वहां गैस-चैम्बर जैसे हालत हैं। रुझानों में सामने आया है कि गाजियाबाद की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम10) पूरी तरह हावी हैं। देखा जाए तो वहां फिजाओं में घुला जहर इतना ज्यादा है कि वो लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।
गाजियाबाद से स्थिति किस कदर खराब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से 800 फीसदी अधिक है।
दूसरी तरफ देश में नागांव की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 32 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर गाजियाबाद की तुलना नागांव से करें तो वहां स्थिति 12 गुणा खराब है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में मामूली गिरावट आई है। हालांकि दिल्ली में अभी भी वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ है, जहां प्रदूषण का स्तर निर्धारित मानकों से 700 फीसदी अधिक है। गौरतलब है कि 11 नवंबर को दिल्ली में साल का सबसे प्रदूषित शहर दिन दर्ज किया गया था, जब एक्यूआई बढ़कर 428 तक पहुंच गया था।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 20 नवंबर, 2025 को 237 शहरों के लिए जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से जहां महज पांच फीसदी शहरों में हवा साफ है।
वहीं करीब 26.6 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 68.4 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज भी हवा चिंताजनक है। राहत की बात यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में करीब 25 फीसदी का इजाफा हुआ है।
वहीं संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में भी कल से करीब पांच फीसदी की गिरावट आई है। मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की बात करें तो इन शहरों में कल से करीब दो फीसदी का इजाफा हुआ है।
खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो उनकी गिनती में पांच फीसदी से अधिक का इजाफा हुआ है। इसी तरह देश में बेहद खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में भी नौ फीसदी से अधिक का इजाफा हुआ है, जोकि चिंता का विषय है। फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 255 रिकॉर्ड किया गया है।
आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में बागपत (428) दूसरे जबकि नोएडा (408) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 391 अंकों के साथ दिल्ली चौथे स्थान पर है। हापुड़-ग्रेटर नोएडा में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 388 और 380 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।
भिवाड़ी (349) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में मेरठ (345), मुजफ्फरनगर (336) और मानेसर (312) भी शामिल हैं। गौरतलब है कि आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के सात शहर (गाजियाबाद, बागपत, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, हापुड़, मेरठ, मुजफ्फरनगर) शामिल हैं।
विश्लेषण से यह भी पता चला है कि जहां बागपत, नोएडा, हापुड़, भिवाड़ी, मुजफ्फरनगर, मानेसर, सोनीपत, मंडीदीप, बुलंदशहर, गुरुग्राम, करनाल, अंबाला, नंदेसरी, पानीपत, जींद, रोहतक, ग्वालियर, यमुना नगर, फरीदाबाद, भरतपुर, हनुमानगढ़, खुर्जा, टोंक, पीथमपुर, अंकलेश्वर, हाजीपुर, परभनी आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी हैं।
वहीं गाजियाबाद, दिल्ली, ग्रेटर नोएडा, मेरठ, श्री गंगानगर, भोपाल, चुरू, चरखी दादरी, बीकानेर, आगरा, नागौर, जालोर, हिसार, अहमदाबाद, कोल्हापुर, वृंदावन, नासिक, रतलाम, देवास, कल्याण, सवाई माधोपुर, प्रयागराज, उल्हासनगर, गांधीनगर, सोलापुर, भिवानी, जैसलमेर, सासाराम, वाराणसी, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), धनबाद, चंद्रपुर आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
इसी तरह कुछ शहरों में कार्बन और ओजोन से स्थिति खराब है। इन शहरों के विपरीत देश के पांच फीसदी यानी महज 12 शहरों में हवा साफ है।
इन साफ हवा वाले शहरों में अगरतला, चामराजनगर, गडग, किशनगंज, मंगलौर, मंगुराहा, नागांव, पेरुंदुरई, पूर्णिया, शिलांग, तिरुवनंतपुरम आदि शामिल हैं।
आज देश के जिन शहरों में वायु गुणवत्ता सन्तोषजनक है, उनमें गोरखपुर, गुवाहाटी, हुबली, झांसी, कडप्पा, कलबुर्गी, कन्नूर, काशीपुर, कटिहार, कोहिमा, कोल्लम, कोप्पल, कोरबा, कुंजेमुरा, मदिकेरी, मिलुपारा, मोतिहारी, मैसूर, नलबाड़ी, नयागढ़, पुडुचेरी, रायपुर, रायरंगपुर, राजमहेंद्रवरम, ऋषिकेश, समस्तीपुर, सतना, शिवमोगा, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरोही, सिरसा, शिवसागर, टेन्सा, त्रिशूर, तिरुमाला, तिरुपति आदि शामिल हैं।
इन शहरों के उलट आज देश के 106 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है।
इन शहरों में अहमदाबाद, अहमदनगर, अजमेर, अकोला, अलवर, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अमरावती (महाराष्ट्र), अमृतसर, आरा, आसनसोल, औरंगाबाद (बिहार), औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बदलापुर, बालासोर, बारबिल, बाड़मेर, बैरकपुर, बेलापुर, भीलवाड़ा, भिवंडी, भिवानी, भुवनेश्वर, बिहार शरीफ, बिलासपुर, बिलीपाड़ा, बोइसर, बूंदी, बर्नीहाट, चंडीगढ़, चंद्रपुर, छाल, चित्तौड़गढ़, कटक, देहरादून, देवास, धनबाद, धौलपुर, दुर्गापुर, फतेहाबाद, फिरोजाबाद, गांधीनगर, गया, गुम्मिडीपूंडी, हल्दिया, हिसार, हावड़ा, हैदराबाद, इंदौर, जैसलमेर, जालंधर, जलगांव, जालोर, झालावाड़, जोधपुर, कैथल, कल्याण, कानपुर, करौली, क्योंझर, खन्ना, कोल्हापुर, कोलकाता, कुरुक्षेत्र, लातूर, लखनऊ, महाड, मैहर, मंडी गोबिंदगढ़, मंडीखेड़ा, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मुंबई, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, नासिक, नवी मुंबई, पाली, पलवल, पंचगांव, पंचकुला, पटियाला, पटना, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुणे, राजगीर, राजसमंद, रतलाम, राउरकेला, सहरसा, सासाराम, सवाई माधोपुर, सिंगरौली, सोलापुर, सूरत, तालचेर, ठाणे, तुमडीह, उदयपुर, उल्हासनगर, वापी, वाराणसी, वातवा, विरार, वृंदावन, यादगीर शामिल हैं।
आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि आज देश के 41 शहरों में वायु गुणवत्ता खराब है। इन शहरों में आगरा, अंबाला, अंगुल, अंकलेश्वर, बद्दी, बांसवाड़ा, बारां, भरतपुर, भोपाल, बीकानेर, चरखी दादरी, चुरू, दौसा, डूंगरपुर, फरीदाबाद, ग्वालियर, हाजीपुर, हनुमानगढ़, जबलपुर, जयपुर, झुंझुनू, जींद, कटनी, खुर्जा, कोटा, नागौर, नागपुर, नांदेड़, नंदेसरी, नारनौल, पानीपत, परभनी, पिंपरी-चिंचवाड़, पीथमपुर, रोहतक, सागर, सांगली, सीकर, श्री गंगानगर, टोंक, यमुना नगर शामिल हैं।
इसी तरह आज देश के 12 शहरों में वायु गुणवत्ता बेहद खराब है। इन शहरों में भिवाड़ी, बुलंदशहर, दिल्ली, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम, हापुड़, करनाल, मंडीदीप, मानेसर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, सोनीपत शामिल हैं। वहीं बागपत (428), गाजियाबाद (430) और नोएडा (408) में स्थिति गंभीर है।
क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 237 में से महज 12 शहरों में हवा 'बेहतर' है। 63 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 19 नवंबर 2025 को यह आंकड़ा 66 दर्ज किया गया था।
106 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में आज एक बार फिर गाजियाबाद (430) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 450 के करीब पहुंच गया। बता दें कि कल गाजियाबाद में सूचकांक 422 रिकॉर्ड किया गया था। मतलब की आज वहां प्रदूषण के स्तर में आठ अंकों का इजाफा हुआ है। इसके साथ ही गाजियाबाद में आज भी वायु गुणवत्ता सूचकांक 'गंभीर' श्रेणी में बना हुआ है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में मामूली गिरावट आई है। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक घटकर 391 पर पहुंच गया। इसी तरफ फरीदाबाद में भी कल से प्रदूषण में गिरावट आई है, जहां 10 अंकों के सुधार के साथ एक्यूआई घटकर 255 पर पहुंच गया।
गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।
प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में 20 नवंबर को दिल्ली चौथे स्थान पर है, वहीं बागपत (428) दूसरे, जबकि नोएडा (408) तीसरे स्थान पर है।
अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 269, गाजियाबाद में 430, गुवाहाटी में 79, गुरूग्राम में 302, नोएडा में 408, ग्रेटर नोएडा में 380 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 145 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 193, चेन्नई में 94, चंडीगढ़ में 140, हैदराबाद में 114, जयपुर में 234 और पटना में 152 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन 12 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, चामराजनगर, गडग, किशनगंज, मंगलौर, मंगुराहा, नागांव, पेरुंदुरई, पूर्णिया, शिलांग, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी शामिल हैं।
वहीं अनंतपुर, अररिया, बागलकोट, बरेली, बारीपदा, बेगूसराय, बेलगाम, बेंगलुरु, बेतिया, भागलपुर, भिलाई, ब्रजराजनगर, ब्यासनगर, चेन्नई, चिक्कमगलुरु, चित्तूर, कोयंबटूर, कुड्डालोर, दमोह, दावनगेरे, धारवाड़, धुले, एलूर, गंगटोक, गोरखपुर, गुवाहाटी, हुबली, झांसी, कडप्पा, कलबुर्गी, कन्नूर, काशीपुर, कटिहार, कोहिमा, कोल्लम, कोप्पल, कोरबा, कुंजेमुरा, मदिकेरी, मिलुपारा, मोतिहारी, मैसूर, नलबाड़ी, नयागढ़, पुडुचेरी, रायपुर, रायरंगपुर, राजमहेंद्रवरम, ऋषिकेश, समस्तीपुर, सतना, शिवमोगा, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरोही, सिरसा, शिवसागर, टेन्सा, त्रिशूर, तिरुमाला, तिरुपति, विजयवाड़ा, विशाखापत्तनम आदि 63 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।
कल देश में वायु गुणवत्ता की स्थिति कैसी थी इसकी जानकारी आप डाउन टू अर्थ के एयर क्वालिटी ट्रैकर के पिछले अंक से प्राप्त कर सकते हैं:
239 शहरों में महज 16 की हवा साफ, गाजियाबाद-ग्रेटर नोएडा की स्थिति सबसे गंभीर