239 शहरों में महज 16 की हवा साफ, गाजियाबाद-ग्रेटर नोएडा की स्थिति सबसे गंभीर

दिल्ली की बात करें तो वहां भी कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है। दिल्ली में वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ है, जहां प्रदूषण का स्तर निर्धारित मानकों से 2,400 फीसदी अधिक है
भारत के दिल्ली जैसे शहरों में प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर बच्चे-बच्चियां; फोटो: आईस्टॉक
भारत के दिल्ली जैसे शहरों में प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर बच्चे-बच्चियां; फोटो: आईस्टॉक
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सारांश
  • देश के 239 शहरों में से केवल 16 शहरों की हवा साफ है, जबकि गाजियाबाद और ग्रेटर नोएडा की स्थिति सबसे गंभीर है।

  • गाजियाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 422 तक पहुंच गया है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन की सुरक्षित सीमा से 2,700 फीसदी अधिक है।

  • दूसरी ओर, मदिकेरी की हवा सबसे साफ है, जहां एक्यूआई केवल 16 है।

  • राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है।

  • दिल्ली में अभी भी वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ है, जहां प्रदूषण का स्तर निर्धारित मानकों से 2,400 फीसदी अधिक है।

  • आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में ग्रेटर नोएडा (420) दूसरे जबकि नोएडा (409) तीसरे स्थान पर है।

  • इसी तरह 392 अंकों के साथ दिल्ली चौथे स्थान पर है। हापुड-रोहतक में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 378 और 353 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।

  • आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के सात शहर (गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, नोएडा, हापुड, मेरठ, बुलन्दशहर, बागपत) शामिल हैं।

विश्लेषण से पता चला है कि 19 नवंबर 2025 को देश में गाजियाबाद की हवा सबसे खराब रही, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई 422 रिकॉर्ड किया गया। गौरतलब है कि 18 नवंबर को गाजियाबाद में एक्यूआई 434 दर्ज किया गया था। मतलब कि वहां कल से प्रदूषण में 12 अंकों का सुधार आया है।

हालांकि इसके बावजूद गाजियाबाद में अभी भी स्थिति ‘गंभीर’ बनी हुई है और वहां गैस-चैम्बर जैसे हालत हैं। रुझानों में सामने आया है कि गाजियाबाद की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम10) पूरी तरह हावी हैं। देखा जाए तो वहां फिजाओं में घुला जहर इतना ज्यादा है कि वो लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।

गाजियाबाद से स्थिति किस कदर खराब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से 2,700 फीसदी अधिक है।

दूसरी तरफ देश में मदिकेरी की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 16 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर गाजियाबाद की तुलना मदिकेरी से करें तो वहां स्थिति 25 गुणा खराब है।

गौरतलब है कि कल (18 नवंबर) ग्रेटर नोएडा की हवा सबसे खराब थी, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 454 दर्ज किया गया। हालांकि कल से तुलना करें तो आज ग्रेटर नोएडा में प्रदूषण के स्तर में गिरावट आई है। इसके साथ ही वहां सूचकांक 34 अंकों के सुधार के साथ घटकर 420 पर पहुंच गया है। हालांकि चिंता की बात है यह है कि ग्रेटर नोएडा में वायु गुणवत्ता अभी भी गंभीर श्रेणी में बनी हुई है।

राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है। हालांकि दिल्ली में अभी भी वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ है, जहां प्रदूषण का स्तर निर्धारित मानकों से 2,400 फीसदी अधिक है। गौरतलब है कि 11 नवंबर को दिल्ली में साल का सबसे प्रदूषित शहर दिन दर्ज किया गया था, जब एक्यूआई बढ़कर 428 तक पहुंच गया था।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 19 नवंबर, 2025 को 239 शहरों के लिए जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से जहां महज 6.7 फीसदी शहरों में हवा साफ है।

वहीं करीब 27.6 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 65.7 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज भी हवा चिंताजनक है। राहत की बात यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में करीब 46 फीसदी का इजाफा हुआ है।

वहीं संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में कल से कोई बदलाव नहीं हुआ है और स्थिति जस की तस है। मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की बात करें तो वहां कल से शहरों की गिनती में 12 फीसदी की गिरावट आई है।

खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो उनकी गिनती में करीब 35 फीसदी का इजाफा हुआ है। दूसरी तरह देश में बेहद खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में 21 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है, जोकि राहत की खबर है। फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 265 रिकॉर्ड किया गया है।

आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में ग्रेटर नोएडा (420) दूसरे जबकि नोएडा (409) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 392 अंकों के साथ दिल्ली चौथे स्थान पर है। हापुड-रोहतक में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 378 और 353 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।

मेरठ (339) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में बुलन्दशहर (336), बागपत (335), भिवाड़ी (335) भी शामिल हैं। गौरतलब है कि आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के सात शहर (गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, नोएडा, हापुड, मेरठ, बुलन्दशहर, बागपत) शामिल हैं।

विश्लेषण से यह भी पता चला है कि जहां गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, नोएडा, दिल्ली, हापुड, रोहतक, मेरठ, बुलन्दशहर, बागपत, भिवाड़ी, सोनीपत, मुजफ्फरनगर, चरखी दादरी, गुरूग्राम, मंडीदीप, फतेहाबाद, अम्बाला, धारूहेड़ा, भोपाल, देवास, फरीदाबाद, जींद, ग्वालियर, परभनी, नारनौल, यमुनानगर , हनुमानगढ़, अंकलेश्वर, कोटा, पिंपरी-चिंचवाड, कटक, छपरा, भीलवाड़ा, भुवनेश्वर, कटनी, गुम्मिडिपूंडी, सागर, झुंझुनूं, नांदेड़, टोंक, बूंदी, अंगुल, नागपुर, तालचेर, भिवानी, जयपुर, हावड़ा, प्रतापगढ़, सीकर, पुणे, मांडीखेड़ा, जलगांव, लखनऊ, बारबिल, प्रयागराज, बेलापुर, लुधियाना, नवी मुंबई, अमृतसर, भिवंडी आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी हैं।

वहीं श्री गंगानगर, चुरू, बीकानेर, पीथमपुर, हिसार, नागौर, मानेसर, सवाई माधोपुर, आगरा, रतलाम, जालौर, सासाराम, वृंदावन, बदलापुर, अमरावती (महाराष्ट्र), कल्याण, किशनगंज, चंद्रपुर, जैसलमेर, सूरत, बिलीपाड़ा, सिंगरौली, गया, खन्ना, क्योंझर, पलवल, जालंधर, अजमेर आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।

इसी तरह कुछ शहरों में कार्बन और ओजोन से स्थिति खराब है। इन शहरों के विपरीत देश के 6.7 फीसदी यानी महज 16 शहरों में हवा साफ है।

इन साफ हवा वाले शहरों में अगरतला, चामराजनगर, कोयंबटूर, गडग, मदिकेरी, मैसूर, नगांव, नागपट्टिनम, पेरुंदुरई, पुदुचेरी, पूर्णिया, शिलांग, शिवमोगा, तिरुवनंतपुरम आदि शामिल हैं। 

आज देश के जिन शहरों में वायु गुणवत्ता सन्तोषजनक है, उनमें दमोह, दावनगेरे, देहरादून, धनबाद, धारवाड़, दुर्गापुर, एलूर, गोरखपुर, गुवाहाटी, हुबली, झांसी, कडपा, कलबुर्गी, काशीपुर, कटिहार, कोल्लम, कोप्पल, कोरबा, कुंजेमुरा, मालेगांव, मंगलौर, मंगुराहा, मिलुपारा, मोतिहारी, मुंगेर, नलबाड़ी, नयागढ़, पानीपत, रायपुर, रायरंगपुर, राजमहेंद्रवरम, ऋषिकेश, सहरसा, समस्तीपुर, सतना, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरोही आदि शामिल हैं।

इन शहरों के उलट आज देश के 104 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है।

इन शहरों में आगरा, अहमदाबाद, अहमदनगर, अजमेर, अलवर, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अमरावती (महाराष्ट्र), अमृतसर, अररिया, आसनसोल, औरंगाबाद (बिहार), औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बद्दी, बदलापुर, बालासोर, बांसवाड़ा, बारबिल, बाड़मेर, बेलापुर, भरतपुर, भिलाई, भिवंडी, भिवानी, बिलीपाड़ा, बोईसर, बक्सर, ब्यासनगर, चंडीगढ़, चंद्रपुर, चित्तौड़गढ़, धौलपुर, धुले, डूंगरपुर, फिरोजाबाद, गांधीनगर, गंगटोक, गया, हाजीपुर, हल्दिया, हावड़ा, हैदराबाद, इंदौर, जयपुर, जैसलमेर, जालंधर, जलगांव, जलना, जालौर, झालावाड़, जोधपुर, कल्याण, कानपुर, करौली, करनाल, क्योंझर, खन्ना, किशनगंज, कोहिमा, कोल्हापुर, कोलकाता, कुरूक्षेत्र, लातूर, लखनऊ, लुधियाना, महाड, मैहर, मंडी गोबिंदगढ़, मांडीखेड़ा, मानेसर, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मुंबई, मुजफ्फरपुर, नाहरलगुन, नासिक, नवी मुंबई, पाली, पलवल, पंचगांव, पंचकुला, पटियाला, पटना, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुणे, राजसमंद, रतलाम, राउरकेला, सासाराम, सवाई माधोपुर, सीकर, सिंगरौली, सिरसा, सोलापुर, सूरत, तालचेर, ठाणे, उदयपुर, उल्हासनगर, वापी, वाराणसी, विरार, विशाखापत्तनम, वृंदावन शामिल हैं।

आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि आज देश के 39 शहरों में वायु गुणवत्ता खराब है। इन शहरों में अम्बाला, अंगुल, अंकलेश्वर, बारां, भीलवाड़ा, भोपाल, भुवनेश्वर, बीकानेर, बूंदी, छपरा, चुरू, कटक, दौसा, देवास, धारूहेड़ा, फरीदाबाद, फतेहाबाद, गुम्मिडिपूंडी, गुरूग्राम, ग्वालियर, हनुमानगढ़, हिसार, जबलपुर, झुंझुनूं, जींद, कटनी, कोटा, मंडीदीप, नागौर, नागपुर, नांदेड़, नारनौल, परभनी, पिंपरी-चिंचवाड, पीथमपुर, सागर, श्री गंगानगर, टोंक, यमुनानगर शामिल हैं।

इसी तरह आज देश के 11 शहरों में वायु गुणवत्ता बेहद खराब है। इन शहरों में बागपत, भिवाड़ी, बुलन्दशहर, चरखी दादरी, दिल्ली, हापुड, खुर्जा, मेरठ, मुजफ्फरनगर, रोहतक, सोनीपत शामिल हैं। वहीं गाजियाबाद (422), ग्रेटर नोएडा (420) और नोएडा (409) में स्थिति गंभीर है।

क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 239 में से महज 16 शहरों में हवा 'बेहतर' है। 66 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 18 नवंबर 2025 को यह आंकड़ा 66 दर्ज किया गया था।

104 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।

दूसरे शहरों की तुलना में आज गाजियाबाद (422) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 430 के करीब पहुंच गया। बता दें कि कल गाजियाबाद में सूचकांक 434 रिकॉर्ड किया गया था। मतलब की आज वहां प्रदूषण के स्तर में 12 अंकों की गिरावट आई है। इसके बावजूद गाजियाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 'गंभीर' श्रेणी में बना हुआ है।

कल ग्रेटर नोएडा में वायु गुणवत्ता सबसे ज्यादा खराब थी, जब सूचकांक 454 दर्ज किया गया था। वहीं आज 19 नवंबर को 34 अंकों के सुधार के साथ ग्रेटर नोएडा में वायु गुणवत्ता सूचकांक घटकर 420 पर पहुंच गया।

राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 392 पर पहुंच गया। इसी तरफ फरीदाबाद में भी कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है, जहां 53 अंकों के उछाल के साथ एक्यूआई बढ़कर 265 पर पहुंच गया।

गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।

प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में 19 नवंबर को दिल्ली चौथे स्थान पर है, वहीं ग्रेटर नोएडा (420) दूसरे, जबकि नोएडा (409) तीसरे स्थान पर है।

अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 258, गाजियाबाद में 422, गुवाहाटी में 87, गुरूग्राम में 300, नोएडा में 409, ग्रेटर नोएडा में 420  पर पहुंच गया है।

इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 156 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 185, चेन्नई में 99, चंडीगढ़ में 132, हैदराबाद में 121, जयपुर में 194 और पटना में 131 दर्ज किया गया।

इन शहरों में साफ रही हवा

देश के जिन 16 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, चामराजनगर, कोयंबटूर, गडग, मदिकेरी, मैसूर, नगांव, नागपट्टिनम, पेरुंदुरई, पुदुचेरी, पूर्णिया, शिलांग, शिवमोगा, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, विजयपुरा शामिल हैं।

वहीं अकोला, अनंतपुर, बागलकोट, बल्लभगढ़, बरेली, बारीपदा, बैरकपुर, बेगूसराय, बेलगाम, बेंगलुरु, बेतिया, भागलपुर, बिहार शरीफ, बिलासपुर, ब्रजराजनगर, बर्नीहाट, चेन्नई, छाल, चित्तूर, दमोह, दावनगेरे, देहरादून, धनबाद, धारवाड़, दुर्गापुर, एलूर, गोरखपुर, गुवाहाटी, हुबली, झांसी, कडपा, कलबुर्गी, काशीपुर, कटिहार, कोल्लम, कोप्पल, कोरबा, कुंजेमुरा, मालेगांव, मंगलौर, मंगुराहा, मिलुपारा, मोतिहारी, मुंगेर, नलबाड़ी, नयागढ़, पानीपत, रायपुर, रायरंगपुर, राजमहेंद्रवरम, ऋषिकेश, सहरसा, समस्तीपुर, सतना, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरोही, शिवसागर, टेन्सा, त्रिशूर, तिरुमाला, तुमिडीह, उडुपी, वातवा, विजयवाड़ा, यादगीर आदि 66 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।

क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।

कल देश में वायु गुणवत्ता की स्थिति कैसी थी इसकी जानकारी आप डाउन टू अर्थ के एयर क्वालिटी ट्रैकर के पिछले अंक से प्राप्त कर सकते हैं:

प्रदूषण में अव्वल ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद में 434 पर पहुंचा एक्यूआई

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