

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। नोएडा में एक्यूआई 409 दर्ज किया गया, जो गंभीर श्रेणी में आता है। नोएडा की हवा में पीएम2.5 कणों की अधिकता है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है।
नोएडा से स्थिति किस कदर खराब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से 2,500 फीसदी अधिक है।
राजधानी दिल्ली से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो कल से प्रदूषण में 53 अंकों का भारी उछाल आया है। बता दें कि कल दिल्ली में एक्यूआई 332 दर्ज किया गया था, जो आज बढ़कर 385 पर पहुंच गया।
दूसरी तरफ देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 13 रिकॉर्ड किया गया।
27 दिसंबर, 2025 को 235 शहरों के लिए जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से जहां महज 2.6 फीसदी शहरों में हवा साफ है।
वहीं 26.1 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 71.3 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज भी हवा चिंताजनक है।
फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 249 रिकॉर्ड किया गया है।
आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में गाजियाबाद (404) दूसरे जबकि ग्रेटर नोएडा (395) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 385 अंकों के साथ दिल्ली चौथे स्थान पर है।
पंचकुला-मेरठ में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 365 और 330 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं। खुर्जा (321) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में विशाखापत्तनम (319), धारूहेड़ा (310) और बद्दी (308) भी शामिल हैं।
आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के पांच शहर (नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, खुर्जा) शामिल हैं।
विश्लेषण से पता चला है कि 27 दिसंबर 2025 को देश में नोएडा की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित रही, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई 409 रिकॉर्ड किया गया। कल नोएडा में वायु गुणवत्ता सूचकांक 376 दर्ज किया गया था। मतलब कि कल से वहां प्रदूषण के स्तर में 33 अंकों का उछाल आया है।
इसके साथ ही वहां वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' से ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गई है। रुझानों में सामने आया है कि नोएडा की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) पूरी तरह हावी हैं। देखा जाए तो वहां फिजाओं में घुला जहर इतना ज्यादा है कि वो लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।
नोएडा से स्थिति किस कदर खराब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से 2,500 फीसदी अधिक है।
दूसरी तरफ देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 13 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर नोएडा की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 30 गुणा खराब है।
कल देश में पंचकुला की हवा सबसे खराब थी, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 403 दर्ज किया गया था। हालांकि आज 38 अंकों के सुधार के साथ पंचकुला में वायु गुणवत्ता सूचकांक 365 पर पहुंच गया है। मतलब कि वहां वायु गुणवत्ता गंभीर से बेहद खराब श्रेणी में पहुंच गई है।
राजधानी दिल्ली से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो कल से प्रदूषण में 53 अंकों का भारी उछाल आया है। दिल्ली में आज भी वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में बनी हुई है। बता दें कि कल दिल्ली में एक्यूआई 332 दर्ज किया गया था, जो आज बढ़कर 385 पर पहुंच गया। गौरतलब है कि इससे पहले 14 नवंबर को दिल्ली में साल का सबसे प्रदूषित दिन दर्ज किया गया था, जब एक्यूआई बढ़कर 461 तक पहुंच गया।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 27 दिसंबर, 2025 को 235 शहरों के लिए जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से जहां महज 2.6 फीसदी शहरों में हवा साफ है।
वहीं 26.1 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 71.3 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज भी हवा चिंताजनक है।
बता दें कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 40 फीसदी की गिरावट आई है। इसी तरफ संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में भी 10 फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज की गई। मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की बात करें तो इनकी संख्या में 14.3 फीसदी का इजाफा हुआ है।
दूसरी तरफ खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो उनकी गिनती में कल से 16.2 फीसदी की गिरावट आई है। वहीं बेहद खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की बात करें तो उनकी गिनती में भी कल से करीब 27 फीसदी की गिरावट आई है, जोकि राहत की खबर है।
फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 249 रिकॉर्ड किया गया है।
आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में गाजियाबाद (404) दूसरे जबकि ग्रेटर नोएडा (395) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 385 अंकों के साथ दिल्ली चौथे स्थान पर है। पंचकुला-मेरठ में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 365 और 330 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।
खुर्जा (321) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में विशाखापत्तनम (319), धारूहेड़ा (310) और बद्दी (308) भी शामिल हैं। गौरतलब है कि आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के पांच शहर (नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, खुर्जा) शामिल हैं।
विश्लेषण से यह भी पता चला है कि नोएडा, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, दिल्ली, पंचकुला, मेरठ, खुर्जा, विशाखापत्तनम, धारूहेड़ा, बद्दी, बल्लभगढ़, अंगुल, गुरुग्राम, चरखी दादरी, बुलंदशहर, हल्दिया, मानेसर, हावड़ा, तालचेर, भिवाड़ी, गुम्मिडीपूंडी, हापुड़, ब्यासनगर, नारनौल, बालासोर, फरीदाबाद, कोलकाता, चंडीगढ़, राजमहेंद्रवरम, मुजफ्फरनगर, बागपत, बैरकपुर, पुणे, पिंपरी-चिंचवाड़, रोहतक, आगरा, कुरुक्षेत्र, चित्तूर, सिंगरौली, ग्वालियर, आसनसोल, अररिया, फतेहाबाद, धुले, तिरुपति, हाजीपुर, करनाल, भिवानी, कैथल, बारीपदा, बर्नीहाट, आरा, मंडीखेड़ा, मुंगेर, तिरुमाला, काशीपुर, कोटा, मुरादाबाद, जयपुर, कटिहार, मंगुराहा, सीकर, देहरादून, नागपुर, सिरसा, राजसमंद, बारबिल, पटियाला, नाहरलागुन, जालोर, दुर्गापुर, परभनी, नवी मुंबई, पूर्णिया आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी हैं।
वहीं रूपनगर, चित्तौड़गढ़, टोंक, मंडीदीप, श्री गंगानगर, बीकानेर, उल्हासनगर, चूरू, झुंझुनू, धनबाद, बेगूसराय, नागौर, गया, हनुमानगढ़, कल्याण, अमरावती आंध्रप्रदेश), अंकलेश्वर, जालंधर, बदलापुर, भरतपुर, मालेगांव, भिवंडी, दौसा, सहरसा, सिलीगुड़ी, धौलपुर, ठाणे, बोइसर, लुधियाना, सूरत, छपरा, जैसलमेर, मीरा-भायंदर, नांदेड़, रतलाम, रायरंगपुर, सांगली, अलवर, किशनगंज, बारां, अमरावती (महाराष्ट्र), अजमेर, चंद्रपुर, बेलापुर, सवाई माधोपुर, तुमडीह, ब्रजराजनगर आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
इसी तरह कुछ शहरों में कार्बन और ओजोन से स्थिति खराब है।
इन शहरों के विपरीत देश के 2.6 फीसदी यानी महज छह शहरों में हवा साफ है। इन साफ हवा वाले शहरों में अगरतला, आइजोल, चामराजनगर, दमोह, मदिकेरी, शिलांग आदि शामिल हैं।
आज देश के जिन 60 शहरों में वायु गुणवत्ता सन्तोषजनक है, उनमें गोरखपुर, गुवाहाटी, हुबली, इंदौर, जबलपुर, जलना, झालावाड़, झांसी, जोधपुर, कलबुर्गी, कन्नूर, कानपुर, करूर, क्योंझर, कोहिमा, कुंजेमुरा, लातूर, मंगलौर, मिलुपारा, मैसूर, नयागढ़, पलवल, पंपोर, पंचगांव, पेरुंदुरई, प्रतापगढ़, पुडुचेरी, रायपुर, ऋषिकेश, सागर, सतना, शिवमोगा, सिलचर, सिरोही, शिवसागर, श्रीनगर आदि शामिल हैं।
इन शहरों के उलट आज देश के 120 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है।
इन शहरों में अहमदाबाद, अजमेर, अलवर, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अंबाला, अमरावती (महाराष्ट्र), अमृतसर, अनंतपुर, अंकलेश्वर, अररिया, आरा, आसनसोल, बदलापुर, बारां, बारबिल, बारीपदा, बाड़मेर, बेगूसराय, बेलापुर, बेंगलुरु, बेतिया, भागलपुर, भरतपुर, भीलवाड़ा, भिवंडी, भिवानी, भोपाल, बिहार शरीफ, बीकानेर, बोइसर, ब्रजराजनगर, बर्नीहाट, चंद्रपुर, चेन्नई, छपरा, चूरू, दौसा, देहरादून, धनबाद, धौलपुर, धुले, दुर्गापुर, फतेहाबाद, फिरोजाबाद, गया, ग्वालियर, हाजीपुर, हनुमानगढ़, हैदराबाद, जयपुर, जैसलमेर, जालंधर, जलगांव, जालोर, झुंझुनू, कडप्पा, कैथल, कल्याण, करौली, करनाल, काशीपुर, कटिहार, कटनी, किशनगंज, कोल्हापुर, कोरबा, कोटा, लखनऊ, लुधियाना, महाड, मालेगांव, मंडी गोबिंदगढ़, मंडीदीप, मंडीखेड़ा, मंगुराहा, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मुंबई, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, नागांव, नागौर, नागपुर, नाहरलागुन, नांदेड़, नासिक, नवी मुंबई, पाली, परभनी, पटियाला, पटना, पीथमपुर, प्रयागराज, पूर्णिया, रायरंगपुर, राजसमंद, रतलाम, राउरकेला, सहरसा, सलेम, समस्तीपुर, सांगली, सवाई माधोपुर, सीकर, सिलीगुड़ी, सिरसा, सोलापुर, श्री गंगानगर, सूरत, ठाणे, तिरुवनंतपुरम, तिरुमाला, तिरुपति, तुमडीह, उदयपुर, उल्हासनगर, वाराणसी, वातवा, विरार, यादगीर शामिल हैं।
आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि आज देश के 31 शहरों में वायु गुणवत्ता खराब है। इन शहरों में आगरा, बागपत, बालासोर, बैरकपुर, भिवाड़ी, भुवनेश्वर, बुलंदशहर, ब्यासनगर, चंडीगढ़, चरखी दादरी, चित्तूर, चित्तौड़गढ़, कटक, फरीदाबाद, गुम्मिडीपूंडी, गुरुग्राम, हल्दिया, हापुड़, हावड़ा, कोलकाता, कुरुक्षेत्र, मानेसर, मुजफ्फरनगर, नारनौल, पिंपरी-चिंचवाड़, पुणे, राजमहेंद्रवरम, रोहतक, सिंगरौली, तालचेर, टोंक शामिल हैं।
इसी तरह आज देश के 11 शहरों में वायु गुणवत्ता बेहद खराब है। इन शहरों में अंगुल, बद्दी, बल्लभगढ़, दिल्ली, धारूहेड़ा, ग्रेटर नोएडा, खुर्जा, मेरठ, पंचकुला, रूपनगर, विशाखापत्तनम शामिल हैं। इसी तरह नोएडा-गाजियाबाद में स्थिति गंभीर बनी हुई है।
क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 230 में से महज छह शहरों में हवा 'बेहतर' है। 60 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 26 दिसंबर 2025 को यह आंकड़ा 67 दर्ज किया गया था।
120 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में आज नोएडा (409) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 410 के करीब पहुंच गया। इसके साथ ही नोएडा में आज वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ से 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच गई है।
गौरतलब है कि कल देश में पंचकुला की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित थी। जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 403 तक पहुंच गया था। हालांकि आज 38 अंकों के सुधार के साथ पंचकुला में वायु गुणवत्ता सूचकांक 365 पर पहुंच गया। इसके साथ ही पंचकुला में स्थिति गंभीर से बेहद खराब श्रेणी में पहुंच गई है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में भारी इजाफा हुआ आई है। दिल्ली में 53 अंकों के उछाल के साथ एक्यूआई बढ़कर 385 पर पहुंच गया है। मतलब की वायु गुणवत्ता एक बार फिर बेहद खराब हो गई है। इसी तरह फरीदाबाद में भी कल से प्रदूषण में इजाफा दर्ज किया गया। आज फरीदाबाद में एक्यूआई 249 रिकॉर्ड किया गया। मतलब की फरीदाबाद में आज भी वायु गुणवत्ता ‘खराब’ बनी हुई है।
गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।
प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में 27 दिसंबर को दिल्ली चौथे स्थान पर है, वहीं गाजियाबाद (404) दूसरे, जबकि ग्रेटर नोएडा (395) तीसरे स्थान पर है। अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 193, गाजियाबाद में 404, गुवाहाटी में 79, गुरूग्राम में 299, नोएडा में 409, ग्रेटर नोएडा में 395 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 136 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 136, चेन्नई में 128, चंडीगढ़ में 242, हैदराबाद में 103, जयपुर में 160 और पटना में 128 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन छह शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, आइजोल, चामराजनगर, दमोह, मदिकेरी, शिलांग शामिल हैं।
वहीं अहमदनगर, अकोला, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बागलकोट, बांसवाड़ा, बरेली, बठिंडा, भिलाई, बिलासपुर, बूंदी, छाल, कोयंबटूर, कुड्डालोर, दावनगेरे, देवास, डूंगरपुर, एलूर, गांधीनगर, गोरखपुर, गुवाहाटी, हुबली, इंदौर, जबलपुर, जलना, झालावाड़, झांसी, जोधपुर, कलबुर्गी, कन्नूर, कानपुर, करूर, क्योंझर, कोहिमा, कुंजेमुरा, लातूर, मंगलौर, मिलुपारा, मैसूर, नयागढ़, पलवल, पंपोर, पंचगांव, पेरुंदुरई, प्रतापगढ़, पुडुचेरी, रायपुर, ऋषिकेश, सागर, सतना, शिवमोगा, सिलचर, सिरोही, शिवसागर, श्रीनगर, सुआकाती, टेन्सा, थूथुकुडी, त्रिशूर, विजयवाड़ा, वृंदावन आदि 60 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।
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सांसों पर संकट: पंचकुला में 400 के पार पहुंचा एक्यूआई, दिल्ली में वायु गुणवत्ता फिर 'बेहद खराब'