हाथियों के संरक्षण में मददगार हो सकते हैं ड्रोन, नई रिसर्च में खुलासा, बिना परेशान करेंगे निगरानी

रिसर्च से पता चला है कि शोर से डरने वाले हाथी अब ड्रोन को अपनाने लगे हैं, और वैज्ञानिकों को उनके रात के व्यवहार, नींद की आदतों और सामाजिक संबंधों पर नए सुराग मिल रहे हैं
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सारांश
  • ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और सेव द एलीफेंट्स के वैज्ञानिकों ने पाया कि ड्रोन हाथियों की सुरक्षा और निगरानी में मददगार साबित हो सकते हैं।

  • ड्रोन की मौजूदगी को हाथी जल्दी अपना लेते हैं और इससे उन्हें कोई परेशानी नहीं होती। यह तकनीक हाथियों के व्यवहार को समझने में नई संभावनाएं खोल रही है।

  • वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि यह खोज वन्यजीवों की निगरानी के तौर-तरीके बदल सकती है।

  • हालांकि साथ ही शोधकर्ताओं ने इस बात पर भी जोर दिया है कि भले ही ड्रोन संरक्षण के लिए बेहद उपयोगी साबित हो रहे हों, लेकिन जंगलों और वन्यजीवों के आसपास उनका इस्तेमाल हमेशा नियंत्रित और जिम्मेदारी से होना चाहिए।

दशकों से वैज्ञानिक हाथियों के रहस्यमयी व्यवहार को समझने की कोशिश करते रहे हैं। अब ‘ड्रोन’ जैसी नई तकनीक उनके लिए उम्मीद की नई किरण बनकर सामने आई है।

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और सेव द एलीफेंट्स से जुड़े वैज्ञानिकों द्वारा इस बारे में किए एक नए अध्ययन में पता चला है कि ड्रोन हाथी परिवारों को देखने और उनकी सुरक्षा बढ़ाने का बेहद कारगर और सुरक्षित तरीका साबित हो सकते हैं। रिसर्च से पता चला है कि हाथी बहुत जल्द ड्रोन की मौजूदगी को अपना लेते हैं और एक ही उड़ान के दौरान और बार-बार ड्रोन देखने के बाद वे धीरे-धीरे उनसे परेशान होना बंद कर देते हैं।

इस अध्ययन के नतीजे अंतराष्ट्रीय जर्नल नेचर साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुए हैं।

एक समय था जब ड्रोन का शोर हाथियों को डराता था। पहले संरक्षण कार्यों में इन्हें अक्सर खेतों से हाथियों को भगाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था, क्योंकि ड्रोन का भिन भिनाता शोर मधुमक्खियों के झुंड जैसा लगता है और हाथी उससे दूर भागते हैं।

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लेकिन अब तस्वीर बदल रही है। नई तकनीक हाथियों को बिना परेशान किए उनके जीवन को बेहतर समझने का मौका दे रही है। अध्ययन और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से जुड़े शोधकर्ता प्रोफेसर फ्रिट्ज वोल्राथ का प्रेस विज्ञप्ति में कहना है, “तेजी से बदलती यह तकनीक हमें हाथियों की गुप्त और रोचक दुनिया को पहले से कहीं ज्यादा नजदीक से समझने का मौका दे रही है।“

कैसे हुए प्रयोग?

अपने इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने केन्या के उत्तरी हिस्से में स्थित सांबुरु और बफेलो स्प्रिंग्स नेशनल रिजर्व में 14 पहचाने हाथी परिवारों पर 35 ड्रोन परीक्षण किए।

शुरू में करीब आधे हाथियों ने हल्की प्रतिक्रिया दी, जैसे सूंड उठाना या चलना, रुकना जैसी, लेकिन ये प्रतिक्रियाएं जल्दी ही, केवल छह मिनट के भीतर, कम हो गईं। वहीं बार-बार उड़ानों में इस तरह की प्रतिक्रियाओं के दोहराए जाने की आशंका 70 फीसदी तक घट गई।

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रिसर्च में सामने आया है कि हाथी ड्रोन को नजरअंदाज करना सीख सकते हैं, खासकर तब, जब उन्हें इस तरह उड़ाया जाए कि कम से कम शोर और परेशानी हो। शोध के अनुसार, अगर ड्रोन 120 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई पर, हवा की दिशा में और स्थिर गति से उड़ाया जाए, तो हाथियों पर बहुत ही मामूली तनाव पड़ता है, और उनके व्यवहार में भी केवल अस्थाई बदलाव दिखाई देते हैं, वह भी कभी-कभी ही सामने आते हैं।

नया नजरिया, नई संभावनाएं

वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि यह खोज वन्यजीवों की निगरानी के तौर-तरीके बदल सकती है। 1960 के दशक में आयन डगलस-हैमिल्टन ने जब जंगली हाथियों के व्यवहार का वैज्ञानिक अध्ययन शुरू किया, तब से उनके आपसी व्यवहार को ज्यादातर जीप या प्लेटफॉर्म से, यानि पास से ही देखा जाता रहा है।

लेकिन अब ड्रोन वैज्ञानिकों के लिए एक नई, सुरक्षित और किफायती राह खोल रहे हैं। इनके कैमरे और सेंसर वह बारीक बदलाव भी पकड़ लेते हैं, जिन्हें इंसानी आंखें अक्सर नहीं देख पातीं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इन आंकड़ों का विश्लेषण कर हाथियों की आवाजाही, सामाजिक व्यवहार और पर्यावरणीय दबावों को समझने में एक नई दिशा दे सकती है।

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शोधकर्ताओं को रात के अंधेरे में हाथियों की नींद संबंधी आदतों को लेकर भी दिलचस्प सुराग मिले हैं। जल्द ही वे ऐसा डिजिटल टूल जारी करने वाले हैं जो ड्रोन फुटेज देखकर हाथियों की उम्र और लिंग की स्वतः पहचान कर सकेगा।

प्रकृति को समझने का नया तरीका

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में जीव विज्ञान के प्रोफेसर और ‘सेव द एलिफेंट्स’ के अध्यक्ष, प्रोफेसर फ्रिट्ज वोलरथ के मुताबिक यह शोध दर्शाता है कि तेजी से विकसित हो रही नई तकनीक कैसे हमें हाथियों की गुप्त दुनिया को और गहराई से समझने में मदद कर रही है। उनके अनुसार, ड्रोन में लगी थर्मल कैमरा तकनीक अंधेरे को भेदकर रात में हाथियों के व्यवहार और उनकी नींद के पैटर्न का बारीकी से समझना संभव बनाती है।

शोधकर्ताओं ने जोर देकर कहा है कि भले ही ड्रोन संरक्षण के लिए बेहद उपयोगी साबित हो रहे हों, लेकिन जंगलों और वन्यजीवों के आसपास उनका इस्तेमाल हमेशा नियंत्रित और जिम्मेदारी से होना चाहिए।

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