राष्ट्रीय जैविक विज्ञान केंद्र के दस्तावेजों में बार-बार चेतावनी के बावजूद इस क्षेत्र में पिछले 60 से अधिक वर्षों से उत्खनन, खनन जैसी मानवीय गतिविधियां जारी रहीं और यही घटना का प्रमुख कारण बनी
2018 में केंद्र ने अपने 2013 के निर्देश में संशोधन करते हुए केरल की मांग के अनुसार पश्चिमी घाट के संरक्षित क्षेत्र से 3,115 वर्ग किमी क्षेत्र को बाहर कर दिया
प्रकृति के ऑरेंज अलर्ट से बचना है तो इसे हमें सामाजिक जिम्मेदारी मानना तथा स्थानीय स्तर पर लोगों को बाढ़ के समय किए जाने वाले उपायों के बारे में प्रशिक्षित करना होगा
कल, कच्छ में 11 सेमी, अगुम्बे में 11 सेमी, नलिया 10 सेमी, अय्याकन्नू में 10 सेमी, बनास कांथा में 7 सेमी, मैंगलोर और पनाम्बुर प्रत्येक जगह 7 सेमी तथा ऊना में 6 सेमी बारिश दर्ज की गई