
दिल्ली के राजेंद्र नगर एक्सटेंशन इलाके में कचरे और गंदगी से भरे खुले नाले में डूबकर 13 साल के एक बच्चे की मौत के मामले पर 30 जुलाई 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सुनवाई की।
दिल्ली सरकार ने 26 जुलाई 2025 को दाखिल अपने जवाब में बताया कि मृतक के परिजनों को जिला मजिस्ट्रेट द्वारा स्वीकृत 5 लाख रुपये की सहायता राशि दी जा चुकी है। मामले में मुआवजे की राशि को बढ़ाने पर भी विचार चल रहा है और उच्च अधिकारियों के समक्ष यह मुद्दा लंबित है। सरकारी वकील ने भरोसा दिलाया कि अगले 4 से 8 हफ्तों में इस पर फैसला हो जाएगा।
इस मामले में नगर निगम आयुक्त ने भी आश्वासन दिया है कि जहां-जहां एमसीडी पक्षकार है, वहां उचित सहयोग किया जाएगा और समय पर जवाब दाखिल किए जाएंगे।
ग्रेटर नोएडा के हॉस्टल, पीजी की होगी दोबारा जांच, भूजल दोहन पर एनजीटी सख्त
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को भरोसा दिलाया है कि ग्रेटर नोएडा में चल रहे 27 हॉस्टल और पीजी की दोबारा जांच की जाएगी।
इस जांच में यह पता लगाया जाएगा कि इन संस्थानों में पानी का स्रोत क्या है और क्या वे भूजल का दोहन कर रहे हैं। जहां भी नियमों का उल्लंघन मिलेगा, वहां कार्रवाई की जाएगी और इसकी रिपोर्ट ट्रिब्यूनल को रिपोर्ट सौंपी जाएगी।
यह मामला याचिकाकर्ता निशांत सिंह द्वारा दायर याचिका से जुड़ा है, जिसमें 6 नवंबर 2023 को एनजीटी द्वारा दिए आदेश के अनुपालन की मांग की गई थी। उस आदेश में ट्रिब्यूनल ने उनके इस आरोप पर संज्ञान लिया था कि ग्रेटर नोएडा में कई हॉस्टल और पीजी बिना सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के चल रहे हैं और व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए भूजल का दोहन कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 29 जुलाई 2025 को दाखिल अपनी रिपोर्ट में बताया कि अब सभी हॉस्टल ग्रेटर नोएडा के सीवेज सिस्टम से जुड़े हैं।
जांच में यह भी सामने आया कि कई हॉस्टलों में अलग-अलग क्षमता के जनरेटर सेट लगे हैं, जिनमें कुछ ने 25 KVA से अधिक क्षमता वाले डीजी सेट का इस्तेमाल किया है, जो नियमों का उल्लंघन है। रिपोर्ट में बताया गया कि 41 हॉस्टलों में से तीन बंद हैं, 5 के पास डीजी सेट नहीं हैं और छह में 19 किलोवॉट से कम क्षमता वाले डीजी सेट हैं।
यह भी सामने आया कि वायु अधिनियम, 1981 के तहत 27 हॉस्टलों को नोटिस जारी किए गए हैं। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से पेश वकील ने बताया कि इन हॉस्टलों के जवाब का इंतजार है और जवाब मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
अदालत ने कहा कि प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में इन हॉस्टलों द्वारा भूजल के किए जा रहे दोहन के मुद्दे पर कोई जानकारी नहीं दी है।
गाजीपुर स्लॉटरहाउस में लगेगा इंजेस्टा प्लांट, एमसीडी ने एनजीटी को दी जानकारी
दिल्ली के गाजीपुर बूचड़खाने में इंजेस्टा प्लांट लगाने की मंजूरी मिल गई है। दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने 30 जुलाई 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को बताया कि उसकी स्थाई समिति ने 16 जुलाई 2025 को हुई बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस बारे में वर्क ऑर्डर अगले दो हफ्तों में जारी किया जाएगा और प्लांट लगाने का काम 3 से 6 महीने में पूरा हो जाएगा।
बता दें कि इंजेस्टा प्लांट में जानवरों के अपचित अवशेष और गोबर को प्रोसेस कर जैविक खाद में बदला जाता है। इससे कचरे के प्रबंधन के साथ-साथ पर्यावरण को भी फायदा होता है।
गौरतलब है कि गाजीपुर स्लॉटरहाउस, जो दिल्ली का एकमात्र कानूनी बूचड़खाना है, उसे 2022 में पर्यावरण मानकों के उल्लंघन करने के कारण अस्थाई रूप से बंद कर दिया गया था। इस इंजेस्टा प्लांट को लगाना इसके दोबारा खुलने की शर्तों में से एक है।
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली बेंच ने एमसीडी को निर्देश दिया कि वह बैठक की कार्यवाही, वर्क ऑर्डर और प्रगति रिपोर्ट 8 हफ्तों के भीतर प्रस्तुत करे।