नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (डीपीसीसी) को दिल्ली के गाजीपुर स्लॉटर हाउस को सशर्त चलाए जाने पर विचार करने को कहा है। दिल्ली में एकमात्र कानूनी तौर पर वैध गाजीपुर स्लॉटर हाउस पर्यावरण मानकों का पालन न करने के लिए डीपीसीसी के आदेश पर 30 मई, 2022 से बंद है।
सीएसआईआर-एनईईआरआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भू-जल उपलब्धता मामले में दिल्ली के सेमी क्रिटिकल क्षेत्र में मौजूद गाजीपुर स्लॉटर हाउस बंद होने के कारण दिल्ली की 70 फीसदी मीट शॉप बंद हैं। इस कारण से 60 से 70 हजार वर्कर्स और ट्रेडर्स और इस काम से जुड़े लोगों का जनजीवन प्रभावित हो गया है।
वहीं, 10 जुलाई, 2022 को बकरीद के मौके पर कई लोग घरों में कुर्बानी के बजाए स्लॉटर हाउस का ही सहारा लेते हैं। सीएसआईआर-एनईईआरआई ने रिपोर्ट में कहा गया है कि स्लॉटर हाउस के बंद होने से घरों में ज्यादा कुर्बानी दिए जाने से पर्यावरण और ज्यादा प्रदूषित हो सकता है।
एनजीटी ने इस मामले में गठित संयुक्त समिति (डीपीसीसी और सीपीसीबी) को जल्द से जल्द बैठक कर गाजीपुर स्लॉटर हाउस को संशोधित संचालन अनुमति के आधार पर संचालित कराने पर विचार करने को कहा है।
इस मामले में डीपीसीसी ने एनजीटी के आदेश बाद गाजीपुर स्लाटर हाउस का कंसेट टू ऑपरेट रद्द कर दिया था। पीठ ने कहा था कि इस प्लांट को तब तक न चलने की अनुमति दें जब तक यह पर्यावरणीय नियमों और मानकों पर पूरी तरह खरा उतरने लायक न हो जाए।
पीठ ने अपने आदेश में बूचडखाने को 100 फीसदी पानी दोबारा इस्तेमाल करने और मीट प्रोसेसिंग में आरओ सिस्टम का इस्तेमाल करते हुए कम से कम पानी उपभोग करने को कहा है। पीठ ने कहा कि सीपीसीबी ने जो गाइडलाइन तैयार की है उसका पूरा ख्याल रखा जाए। इसके अलावा डीजेबी के जरिए 180 एमएलडी प्रति बोर से पानी निकासी की अनुमति है, इसे भी कम करने पर पूरा ध्यान देना चाहिए।
पर्यावरणीय नियमों और मानकों का पालन न करने के लिए बूचड़खाने पर 50 लाख रुपए का जुर्माना भी एमसीडी की ओर से लगाया गया था।