अवैध खनन से संकट में कासवती नदी, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने एनजीटी में सौंपी रिपोर्ट

मामला राजस्थान के नीम का थाना और हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले में कासवती नदी में हो रही अवैध खनन गतिविधियों से जुड़ा है, जो नदी के प्रवाह को प्रभावित कर रही हैं
अवैध खनन से संकट में कासवती नदी, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने एनजीटी में सौंपी रिपोर्ट
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  • राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने एनजीटी में कासवती नदी के अवैध खनन पर रिपोर्ट पेश की है।

  • आरोप है कि नदी तट पर बड़े पैमाने पर अवैध खनन हो रहा है, जिससे गहरी खाइयां बन रही हैं और नदी का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है।

  • इस अनियंत्रित खनन से क्षेत्र में पर्यावरण को गंभीर नुकसान हुआ है, भूजल का स्तर घट रहा है और नदी पर निर्भर स्थानीय लोगों की आजीविका प्रभावित हो रही है।

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) और जल शक्ति मंत्रालय ने कासवती नदी के संरक्षण के लिए उठाए कदमों पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में अपना जवाब पेश किया। यह हलफनामा जल संसाधन विभाग, नदी विकास और गंगा पुनर्जीवन विभाग की ओर से दाखिल किया गया।

यह पूरा मामला राजस्थान के नीम का थाना और हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले में कासवती नदी में हो रही अवैध खनन गतिविधियों से जुड़ा है, जो नदी के प्रवाह को प्रभावित कर रही हैं। गौरतलब है कि कासवती नदी को कंसवती, कृष्णावती और कसौंती के नाम से भी जाना जाता है।

शिकायतकर्ता का आरोप है कि नदी तट पर बड़े पैमाने पर अवैध खनन हो रहा है, जिससे गहरी खाइयां बन रही हैं और नदी का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। इसके अलावा, इस अनियंत्रित खनन से क्षेत्र में पर्यावरण को गंभीर नुकसान हुआ है, भूजल का स्तर घट रहा है और नदी पर निर्भर स्थानीय लोगों की आजीविका प्रभावित हो रही है।

शिकायत को ध्यान में रखते हुए जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग ने केंद्रीय भूजल प्राधिकरण और केंद्रीय जल आयोग सहित विभिन्न विभागों से मौजूदा स्थिति पर रिपोर्ट मांगी थी। केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) ने 27 मार्च 2025 को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। रिपोर्ट में आयोग ने कहा है कि कासवती नदी और राजपुर पाटन बांध से जुड़ी अवैध खनन, स्टोन क्रशर गतिविधियों और अतिक्रमण की पर्यावरणीय जांच के लिए पहले से ही उपयुक्त संस्थागत व्यवस्था मौजूद है।

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क्या कुछ जवाब में आया है सामने

जवाब में यह भी बताया गया है कि सभी राज्यों में प्रदूषित नदियों को बचाने के लिए नदी पुनर्जीवन समितियां (आरआरसी) बनाई गई हैं, जो तय समय सीमा में प्रदूषित नदी खंडों की बहाली के लिए कार्ययोजना तैयार कर उसे लागू करती हैं। इन योजनाओं को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) मंजूरी देता है। राज्य स्तर पर इनकी निगरानी पर्यावरण मुख्य सचिव करते हैं और केंद्र स्तर पर सेंट्रल मॉनिटरिंग कमेटी इसकी समीक्षा करती है।

जल शक्ति मंत्रालय भी नदियों को प्रदूषण और अवैध कब्जों से बचाने के लिए अलग-अलग नीतियों और दिशा-निर्देशों के जरिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है।

कासवती, साहिबी की एक सहायक नदी है, जो गंगा बेसिन का भी हिस्सा है। भारत सरकार ने 2016 में गंगा नदी (पुनर्जीवन, संरक्षण और प्रबंधन) प्राधिकरण आदेश जारी कर केंद्र, राज्य और जिला स्तर परअलग-अलग प्राधिकरण बनाए हैं, ताकि गंगा के पुनर्जीवन के लिए बेसिन-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाया जा सके। यह पूरी व्यवस्था नदी बेसिन को केंद्र में रखकर गंगा संरक्षण और प्रबंधन पर काम करती है।

इस अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि गंगा, उसकी सहायक नदियों और बाढ़ क्षेत्र के किनारों को निर्माण-मुक्त क्षेत्र घोषित किया गया है। यहां किसी भी तरह का आवासीय, वाणिज्यिक, औद्योगिक या अन्य निर्माण कार्य पूरी तरह प्रतिबंधित है।

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अदालत को यह भी जानकारी दी गई है कि खनन पट्टे देने और खनन कार्यों की निगरानी की जिम्मेदारी राज्य खनन और भूविज्ञान विभाग की है। इसे अवैध खनन पर कार्रवाई करने का भी अधिकार है।

इसके अलावा, खनन और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 के तहत राज्य सरकार नियम बनाकर अवैध खनन, खनिजों के परिवहन और भंडारण को नियंत्रित करने का अधिकार रखती है।

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