
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने जम्मू-कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण समिति (जेएंडकेपीसीसी) के सदस्य सचिव को विशव नदी के किनारे चल रहे 19 खनन ब्लॉकों की जांच के आदेश दिए हैं। 23 अप्रैल, 2025 को ट्रिब्यूनल ने कहा कि यह देखा जाए कि क्या ये खनन ब्लॉक पर्यावरणीय मंजूरी और नियमों का पालन कर रहे हैं।
साथ ही अगली रिपोर्ट में इनके पर्यावरणीय अनुपालन की स्थिति का भी खुलासा किया जाए। गौरतलब है कि विशव, झेलम नदी की एक धारा है।
इस मामले पर ट्रिब्यूनल ने स्वतः संज्ञान लिया है। बता दें कि अदालत विशव नदी में प्रदूषण और अनियंत्रित खनन के कारण ट्राउट मछलियों की आबादी में आती गिरावट से जुड़ी शिकायत की जांच कर रही थी।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने 21 अप्रैल 2025 को एक रिपोर्ट अदालत में पेश की थी। इसमें जम्मू-कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण समिति की निरीक्षण रिपोर्ट को भी शामिल किया गया है। इस रिपोर्ट में विशव नदी में हो रहे अवैध खनन की स्थिति और प्रभावों का खुलासा किया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, कुलगाम जिले में विशव नदी के किनारे 19 खनन ब्लॉक चलते पाए गए। इनमें से 11 ब्लॉक बिना वैध अनुमति के चल रहे हैं, जिनके पास वायु अधिनियम 1981 और जल अधिनियम 1974 के तहत जरूरी अनुमति नहीं है।
जांच में पाया गया कि इन खनन क्षेत्रों में जेसीबी मशीनों, ट्रैक्टरों और टिप्परों की मदद से बड़े पैमाने पर पत्थर और अन्य सामग्री निकाली जा रही है। पट्टे पर दिए गए खनन क्षेत्रों की सीमाओं को भी चिन्हित भी नहीं किया गया है। नदी की तलहटी में खनिजों के बड़े-बड़े ढेर और गहरे गड्ढे देखे गए हैं, जिससे नदी के प्राकृतिक बहाव में बाधा आई है और कई जगहों पर पानी का रास्ता बदल गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि "अवैध और अवैज्ञानिक तरीके से हो रहा खनन नदी के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए हानिकारक है और इससे जलीय जीवों के विकास के लिए उपयुक्त स्थिति नहीं रह गई है।"
रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि विशव नदी के अलग-अलग हिस्सों से लिए गए पानी के नमूनों की जांच में खतरनाक संकेत मिले हैं।
नदी के निचले हिस्से, जैसे कुड़वान (पुल के पास) और नयना से लिए गए पानी के नमूनों की जांच में पाया गया कि वहां पानी की गुणवत्ता ऊपरी हिस्से की तुलना में खराब है। इसका कारण खेतों से बहकर आने वाला पानी, बिना साफ किया गया गंदा पानी और ठोस कचरे का नदी में मिलना है।
दिल्ली: किला राय पिथौरा के पास अवैध निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, तीन महीने में मांगी रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने 16 अप्रैल, 2025 को अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे दिल्ली के सैयदुलाजाब गांव में स्थित संरक्षित स्मारक 'किला राय पिथौरा' का दौरा करें और जांच करें कि क्या स्मारक के पास अवैध निर्माण हुआ है।
अगर जांच में अवैध निर्माण पाया जाता है, तो अधिकारियों को कानून के अनुसार तुरंत कार्रवाई करते हुए निर्माण हटाने की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया गया है। साथ ही, दौरे के दौरान अधिकारियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए दिल्ली पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिया गया है।
कोर्ट ने जांच पूरी करने, अवैध निर्माण को हटाने और की गई कार्रवाई पर व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए अगले तीन महीनों का समय दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि 'किला राय पिथौरा' को 4 मार्च, 1918 को अधिसूचना जारी कर संरक्षित स्मारक घोषित किया गया था। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि 'प्राचीन स्मारक एवं पुरातात्त्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम, 1958' की धारा 20ए के तहत स्मारक से 100 मीटर की दूरी तक का क्षेत्र 'निषिद्ध क्षेत्र' होता है, जहां किसी भी तरह का निर्माण पूरी तरह से प्रतिबंधित है।
इसके अलावा, धारा 20बी के अनुसार, 'निषिद्ध क्षेत्र' की बाहरी सीमा से शुरू होकर 200 मीटर तक का क्षेत्र 'नियंत्रित क्षेत्र' माना जाता है, जहां निजी निर्माण पर सख्त पाबंदी है। सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को इन कानूनी प्रावधानों का ध्यान रखते हुए कार्रवाई करने को कहा है।