
क्या आप जानते हैं कि बाढ़ जन्म से पहले भी अजन्मे के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। बात हैरान कर देने वाली, लेकिन सच है। एक नए अध्ययन से पता चला है कि बाढ़ के कारण कहीं ज्यादा बच्चे समय से पहले जन्म ले सकते हैं। इतना ही नहीं, इसकी वजह से जन्म के समय कमजोर बच्चों के पैदा होने की आशंका भी बढ़ जाती है।
दुनिया भर में किए 3,000 से अधिक शोधों के विश्लेषण के बाद वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि बाढ़ की वजह से तीन फीसदी अधिक बच्चे समय से पहले जन्म ले सकते हैं। इतना ही नहीं बाढ़ के दौरान गर्भ में पल रहे बच्चों के कमजोर पैदा होने की आशंका भी कहीं ज्यादा होती है।
ऐसे में समय से पहले या कम वजन वाले इन बच्चों में आगे चलकर अस्थमा या मधुमेह जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
हालांकि अध्ययन में उन कारणों का पता नहीं चल पाया है जिनकी वजह से बाढ़ के कारण बच्चे समय से पहले जन्म लेते हैं या जन्म के समय उनका वजन कम होता है। हालांकि, अन्य आपदाओं पर किए शोध से पता चला है कि तनाव, व्यवधान और स्वास्थ्य सेवाओं में देरी इसके संभावित कारण हो सकते हैं।
विश्लेषण से पता चला है कि बाढ़ के प्रभाव जीवन भर रह सकते हैं। दुनिया में जिस तरह जलवायु में बदलाव आ रहे हैं और वैश्विक तापमान में इजाफा हो रहा है, उसके चलते बाढ़ की घटनाएं भी बढ़ रही है। ऐसे में यह समझना जरूरी है कि इन आपदाओं की वजह से क्या कुछ दांव पर लगा है।
बाढ़ कई तरीकों से लोगों को नुकसान पहुंचा सकती है। इसकी वजह से चोट लग सकती है, मौतें हो सकती हैं, या बीमारियां फैल सकती हैं। इतना ही नहीं बाढ़ तनाव या आय में कमी जैसी समस्याओं को भी पैदा कर सकती है। हालांकि वैज्ञानिक अभी भी स्वास्थ्य पर पड़ते इनके प्रभावों को समझने का प्रयास कर रहे हैं।
कुछ शोधों से पता चला है कि बाढ़ की यह घटनाएं गर्भवती महिलाओं और उनके शिशुओं को नुकसान पहुंचा सकती है, लेकिन इसके परिणाम पूरी तरह स्पष्ट नहीं हैं।
बाढ़ गर्भावस्था को कैसे प्रभावित करती है, इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए, शोधकर्ताओं ने 3,177 शोधों का विश्लेषण किया है। इन शोधों में 1800 के दशक से लेकर आज तक गर्भावस्था की अवधि, जन्म के समय वजन और बाढ़ से जुड़े आंकड़ों को एकत्र किया गया है। इनमें से कुछ अध्ययनों में बाढ़ का कोई प्रभाव नहीं देखा गया, जबकि कुछ में इस बात के पुख्ता सबूत मिले कि बाढ़ से गर्भावस्था और जन्म के दौरान जटिलताओं का जोखिम बढ़ जाता है।
उदाहरण के लिए 2008 में किए एक अध्ययन में पाया गया है कि तूफान कैटरीना के बाद समय से पहले जन्म लेने की घटनाओं में करीब 230 फीसदी की वृद्धि हुई।
इस अध्ययन के जो निष्कर्ष सामने आए हैं उनके मुताबिक बाढ़ के कारण समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या उन क्षेत्रों की तुलना में तीन फीसदी अधिक होती है, जहां बाढ़ की स्थिति नहीं होती। इसी तरह बाढ़ के कारण करीब सात फीसदी अधिक बच्चे कमजोर पैदा पैदा हुए थे।
जीवन भर बना रह सकता है तनाव
इस बारे में प्रेस को जारी एक बयान में अध्ययन से जुड़ी प्रमुख शोधकर्ता डॉक्टर जूलिया गोहल्के का कहना है, "बाढ़ की वजह से कई कारणों से समय से पहले प्रसव और बच्चे कमजोर पैदा हो सकते हैं।" उनके मुताबिक तनाव के कारण समय से पहले प्रसव हो सकता है। उदाहरण के लिए लू की घटनाएं समय से पहले जन्म के मामलों से जुड़ी होती हैं। ऐसा संभवतः निर्जलीकरण के कारण होता है।
बाढ़ के दौरान भी ऐसी ही स्थिति बन सकती है। ऐसे में यदि पानी की पर्याप्त व्यवस्था न हो या लोगों को खतरों से बचने के लिए लम्बी दूरी तय करनी पड़े तो इस तरह का जोखिम बढ़ सकता है। ऐसा ही कुछ इस साल सितम्बर में उत्तरी कैरोलिना में आए तूफान हेलेन के दौरान हुआ था।
बाढ़ के दौरान भी समय से पहले जन्म लेने की घटनाएं बढ़ सकती हैं, क्योंकि लोग समय पर स्वास्थ्य सेवाओं तक नहीं पहुंच पाते। समय से पहले होने वाले प्रसव को चिकित्सा देखभाल से रोका जा सकता है, लेकिन बाढ़ या क्षतिग्रस्त सड़कों के कारण वहां पहुंचने में देरी हो सकती है।
कम वजन वाले अक्सर वो बच्चे होते हैं, जिनका जन्म समय से पहले हुआ होता है, लेकिन ऐसा हमेशा ऐसा नहीं होता। अगर गर्भवती महिलाओं को पर्याप्त पोषण या आहार न मिले तो बच्चों का वजन जन्म के समय कम हो सकता है, भले ही वे समय पर पैदा हुए हों।
बाढ़ की वजह से फसलें नष्ट हो सकती हैं या खाद्य आपूर्ति में बाधा आ सकती है, जिससे पर्याप्त भोजन तक पहुंच मुश्किल हो सकती है। ऐसे में बाढ़ के दौरान पैदा होने वाले बच्चों के कमजोर होने की आशंका बढ़ जाती है।
जूलिया के मुताबिक समय से पहले या कमजोर जन्में बच्चों में यह जरूरी नहीं की उनमें आगे चलकर मानसिक समस्याएं, मोटापा या मधुमेह जैसी परेशानियां हों, लेकिन यह उनके जोखिम को जरूर बढ़ा देते हैं।
ऐसे में जूलिया ने जोर दिया है कि बाढ़ आने से पहले आपातकालीन सेवाओं को गर्भवती महिलाओं को उस क्षेत्र से निकलने पर ध्यान देना चाहिए। उनके मुताबिक बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में रहने वाली गर्भवती महिलाओं के लिए मदद तक पहुंच होना महत्वपूर्ण है, भले ही उनके घर तक बाढ़ न आए।