सिगरेट और तंबाकू से टाइप-2 डायबिटीज का जोखिम कई गुना बढ़ा: शोध

धूम्रपान केवल फेफड़ों ही नहीं, बल्कि इंसुलिन प्रतिरोध और आनुवंशिक कारणों के साथ मिलकर हर प्रकार की डायबिटीज का खतरा बढ़ाता है।
एक नए अध्ययन ने यह साफ किया है कि धूम्रपान टाइप-2 डायबिटीज के हर उप-प्रकार का खतरा बढ़ा देता है।
एक नए अध्ययन ने यह साफ किया है कि धूम्रपान टाइप-2 डायबिटीज के हर उप-प्रकार का खतरा बढ़ा देता है।प्रतीकात्मक फोटो, फोटो साभार: आईस्टॉक
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Summary
  • धूम्रपान से टाइप-2 डायबिटीज का हर रूप होता है खतरनाक

  • सिगरेट और डायबिटीज: सभी उप-प्रकारों में बढ़ा खतरा

  • शोध का खुलासा: धूम्रपान हर प्रकार की डायबिटीज को बढ़ाता है

  • इंसुलिन से लेकर मोटापा तक:धूम्रपान हर उप-प्रकार पर भारी

  • धूम्रपान और जेनेटिक जोखिम: डायबिटीज का खतरा कई गुना ज्यादा

टाइप-2 डायबिटीज (टी2डी) को लंबे समय से एक ही प्रकार की बीमारी माना जाता रहा है। लेकिन हाल के शोध बताते हैं कि यह रोग चार अलग-अलग उप-प्रकारों में बंटा हुआ है। हर उप-प्रकार के लक्षण, गंभीरता और जटिलताएं अलग-अलग हो सकती हैं।

इसी बीच, यूरोपियन एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ डायबिटीज (ईएएसडी) की सालाना बैठक में प्रस्तुत एक नए अध्ययन ने यह साफ किया है कि धूम्रपान टाइप-2 डायबिटीज के हर उप-प्रकार का खतरा बढ़ा देता है।

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एक नए अध्ययन ने यह साफ किया है कि धूम्रपान टाइप-2 डायबिटीज के हर उप-प्रकार का खतरा बढ़ा देता है।

टाइप-2 डायबिटीज के चार उप-प्रकार : वैज्ञानिकों ने इसे चार भागों में बांटा है:

गंभीर इंसुलिन प्रतिरोधी मधुमेह (एसआईआरडी) – यह उपप्रकार तब होता है जब शरीर इंसुलिन के प्रति संवेदनशील नहीं रह जाता।

गंभीर इंसुलिन की कमी वाला मधुमेह, गंभीर इंसुलिन की कमी वाला मधुमेह (एसआईडीडी) – इसमें शरीर में इंसुलिन की भारी कमी होती है।

हल्का मोटापा-संबंधी मधुमेह (एमओडी) – यह मोटापे और अपेक्षाकृत कम उम्र में डायबिटीज से जुड़ा उपप्रकार है।

हल्का आयु-संबंधी मधुमेह (एमएआरडी) – यह उम्र बढ़ने पर धीरे-धीरे विकसित होने वाला उप-प्रकार है।

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कैसे किया गया अध्ययन?

यह शोध स्वीडन, नॉर्वे और फिनलैंड के वैज्ञानिकों ने किया है। इसमें 3,325 डायबिटीज रोगियों (495 एसआईडीडी, 477 एसआईआरडी, 693 एमओडी और 1660 एमएआरडी) और 3,897 स्वस्थ लोगों के आंकड़े शामिल किए गए। नॉर्वे में चल रहे एक लंबे अध्ययन (जिसका औसतन 17 साल का फॉलो-अप किया गया) और स्वीडन के मामलों के अध्ययन के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया।

इसका उद्देश्य यह जानना था कि धूम्रपान और अन्य तंबाकू उत्पाद (जैसे स्वीडन में लोकप्रिय स्नस) इन उप-प्रकारों को अलग-अलग तरह से प्रभावित करते हैं या नहीं।

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क्या है धूम्रपान और डायबिटीज का रिश्ता?

शोध में यह पाया गया कि जो लोग कभी भी धूम्रपान कर चुके थे (चाहे वर्तमान या अतीत में), उनमें डायबिटीज के हर उप-प्रकार का खतरा बढ़ा हुआ था।एसआईआरडी के मामले में खतरे सबसे ज्यादा पाया गया।

शोध में कहा गया है कि एसआईआरडी का 2.15 गुना अधिक खतरा देखा गया। एसआईडीडी का 20 फीसदी से अधिक खतरा, एमओडी का 29 फीसदी अधिक खतरा था जबकि एमएआरडी 27 फीसदी अधिक खतरा दर्ज किया गया। इससे यह साफ है कि धूम्रपान करने वालों में इंसुलिन प्रतिरोध से जुड़ी डायबिटीज का खतरा सबसे ज्यादा होता है।

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क्या होता है बहुत ज्यादा धूम्रपान करने का असर?

अगर कोई व्यक्ति लंबे समय तक और अधिक मात्रा में धूम्रपान करता है (15 पैक हर साल यानी प्रतिदिन 20 सिगरेट 15 साल तक), तो खतरा और भी बढ़ जाता है। एसआईआरडी का 2.35 गुना अधिक खतरा, एसआईडीडी का 52 फीसदी अधिक, एमओडी के 57 फीसदी ज्यादा जबकि एमएआरडी का 45 फीसदी अधिक खतरा बढ़ जाता है।

अन्य तंबाकू उत्पाद का असर

स्वीडन के पुरुषों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि स्नस (एक प्रकार का चबाने वाला तंबाकू) का अधिक उपयोग भी खतरे को बढ़ाता है। जहां एसआईडीडी का खतरा 19 फीसदी ज्यादा और एसआईआरडी के खतरा 13 फीसदी अधिक हो जाता है। यह दर्शाता है कि केवल सिगरेट ही नहीं, बल्कि अन्य तंबाकू उत्पाद भी डायबिटीज पर असर डालते हैं।

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एक नए अध्ययन ने यह साफ किया है कि धूम्रपान टाइप-2 डायबिटीज के हर उप-प्रकार का खतरा बढ़ा देता है।

आनुवंशिक प्रवृत्ति और धूम्रपान

शोधकर्ताओं ने इस बात की भी जांच की कि क्या जिन लोगों में डायबिटीज का जेनेटिक खतरा पहले से मौजूद है, वे धूम्रपान से और ज्यादा प्रभावित होते हैं।इसके परिणाम चौंकाने वाले थे। बहुत ज्यादा धूम्रपान करने वाले और जिनमें इंसुलिन स्राव की आनुवंशिक कमजोरी थी, उनमें एसआईआरडी का खतरा 3.52 गुना अधिक पाया गया। इसका मतलब है कि आनुवंशिक प्रवृत्ति और धूम्रपान मिलकर बीमारी का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ा देते हैं।

अध्ययन से स्पष्ट है कि धूम्रपान टाइप-2 डायबिटीज के सभी उप-प्रकारों के खतरों को बढ़ाता है। सबसे अधिक असर इंसुलिन प्रतिरोध वाली डायबिटीज (एसआईआरडी) पर होता है। धूम्रपान शरीर की इंसुलिन को सही से पहचानने और उपयोग करने की क्षमता को और कमजोर कर देता है। आनुवंशिक रूप से कमजोर लोग सबसे ज्यादा संवेदनशील होते हैं।

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यह शोध एक कड़ा सबक है कि धूम्रपान सिर्फ फेफड़ों या दिल के लिए ही नहीं, बल्कि डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों के लिए भी जिम्मेदार है। अगर आप धूम्रपान छोड़ देते हैं, तो न केवल डायबिटीज बल्कि उससे जुड़ी जटिलताओं (हृदय रोग, गुर्दे की बीमारी आदि) से भी बच सकते हैं। जिन लोगों में डायबिटीज का पारिवारिक इतिहास है या जेनेटिक जोखिम है, उन्हें धूम्रपान से पूरी तरह बचना चाहिए।

टाइप-2 डायबिटीज आज के दौर की सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक है। इसमें कोई संदेह नहीं कि जीवनशैली, खानपान और आनुवंशिक कारण महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेकिन यह अध्ययन हमें यह भी बताता है कि धूम्रपान छोड़ना डायबिटीज रोकने का सबसे सरल और असरदार कदम हो सकता है।

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