माइक्रोप्लास्टिक और रोगाणुरोधी प्रतिरोध: समुद्र और मानव स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा

माइक्रोप्लास्टिक समुद्र व नदियों में रोगजनक और रोगाणुरोधी प्रतिरोध बैक्टीरिया को फैलाता है, मानव और पर्यावरण के स्वास्थ्य के लिए खतरा
माइक्रोप्लास्टिक पर रोगजनक और एएमआर बैक्टीरिया पाए गए, सभी प्रकार के प्लास्टिक सतहों पर रोगजनक और रोगाणुरोधी प्रतिरोध बैक्टीरिया पाए गए।
माइक्रोप्लास्टिक पर रोगजनक और एएमआर बैक्टीरिया पाए गए, सभी प्रकार के प्लास्टिक सतहों पर रोगजनक और रोगाणुरोधी प्रतिरोध बैक्टीरिया पाए गए।फोटो साभार: आईस्टॉक
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सारांश
  • माइक्रोप्लास्टिक पर रोगजनक और एएमआर बैक्टीरिया पाए गए, सभी प्रकार के प्लास्टिक सतहों पर रोगजनक और रोगाणुरोधी प्रतिरोध बैक्टीरिया पाए गए।

  • पॉलिस्ट्रीन और नर्डल्स सबसे अधिक खतरे वाले, ये सतहें एंटीबायोटिक्स को बेअसर करती हैं और बायोफिल्म निर्माण बढ़ाती हैं।

  • 100 से अधिक अनोखे एएमआर जीन की पहचान, माइक्रोप्लास्टिक पर प्राकृतिक या निष्क्रिय सतहों से अधिक जीन पाए गए।

  • नीचे की ओर प्रवाह में बैक्टीरिया का बढ़ना, कुछ रोगजनक पानी के नीचे जाते समय और भी अधिक बढ़ गए।

  • सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरणीय खतरा, माइक्रोप्लास्टिक एएमआर बैक्टीरिया फैलाने वाले वाहक बन सकते हैं, खासकर तटीय और एक्वाकल्चर क्षेत्रों में।

आज हमारे पर्यावरण में माइक्रोप्लास्टिक का फैलाव एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। माइक्रोप्लास्टिक ऐसे प्लास्टिक के छोटे कण होते हैं, जिनका आकार पांच मिलीमीटर से कम होता है। ये न केवल महासागरों और नदियों में पाए जाते हैं, बल्कि मिट्टी, जलीय जीव, पशु-पक्षी और यहां तक कि मानव शरीर में भी उनके अवशेष मिल चुके हैं।

हाल ही में किए गए एक अध्ययन ने यह साबित किया है कि ये माइक्रोप्लास्टिक सिर्फ प्रदूषण का कारण नहीं हैं, बल्कि रोगजनक और रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंट-एएमआर) बैक्टीरिया को भी आकर्षित कर सकते हैं।

इस अध्ययन का शीर्षक “सीवर से समुद्र तक: अस्पताल के गंदे पानी से लेकर समुद्री वातावरण तक माइक्रोप्लास्टिक पर पैथोजन्स और एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस की खोज” है। इसकी अगुवाई प्लायमाउथ मरीन लैबोरेटरी और यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर के शोधकर्ताओं ने किया।

इस अध्ययन का मुख्य उद्देश्य यह समझना था कि कैसे माइक्रोप्लास्टिक और अन्य जलीय प्रदूषक रोगाणुरोधी प्रतिरोध बैक्टीरिया और रोगजनक जीवाणुओं के फैलने में योगदान कर सकते हैं।

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कैसे किया गया अध्ययन?

अध्ययन में पांच प्रकार के सतह वाले पदार्थों का चयन किया गया

  • बायो-बीड्स – छोटे प्लास्टिक के कण, जो अपशिष्ट ट्रीटमेंट में बैक्टीरिया को पोषण देने और कचरे को तोड़ने के लिए उपयोग होते हैं।

  • नर्डल्स – प्लास्टिक बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले छोटे कण, जैसे बोतल, कपड़े, कार पार्ट्स।

  • पॉलिस्टिरिन – सामान्य प्लास्टिक सामग्री।

  • लकड़ी – प्राकृतिक सतह।

  • कांच – निष्क्रिय सतह।

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टीम ने इन सतहों को एक विशेष संरचना में स्थापित किया और दो महीने के लिए नदी और समुद्री पानी में रखा। इसके बाद इन सतहों पर बने बैक्टीरियल बायोफिल्म का मेटाजेनॉमिक्स के जरिए विश्लेषण किया गया। मेटाजेनॉमिक्स तकनीक पूरी जैविक समुदाय के जीनोमिक सामग्री का विश्लेषण करती है, जिससे बैक्टीरिया और उनके एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोधी जीनों की पहचान संभव हो पाती है।

अध्ययन के निष्कर्ष

सभी सतहों पर रोगजनक और एएमआर बैक्टीरिया पाए गए।

पॉलिस्टिरिन और नर्डल्स पर एएमआर जीन सबसे अधिक थे। इसका कारण यह हो सकता है कि ये सतहें एंटीबायोटिक को अधिक करती हैं और बायोफिल्म निर्माण को बढ़ावा देती हैं।

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माइक्रोप्लास्टिक पर 100 से अधिक अनोखे एएमआर जीन पाए गए, जो प्राकृतिक (लकड़ी) और निष्क्रिय (कांच) सतहों से कहीं अधिक हैं।

बायो-बीड्स पर प्रमुख एंटीबायोटिक जैसे अमिनोग्लाइकोसाइड, मैक्रोलाइड और टेट्रासाइक्लिन के प्रतिरोधी जीन पाए गए।

कुछ रोगजनक बैक्टीरिया नीचे की ओर बढ़ने पर और अधिक बढ़ गए।

पर्यावरणीय स्थान का बैक्टीरियल समुदाय और एएमआर जीनों पर बड़े प्रभाव है।

एक्वाकल्चर क्षेत्रों में खतरा: फिल्टर-फीडिंग जीव माइक्रोप्लास्टिक निगल सकते हैं, जिससे रोगजनक और एएमआर बैक्टीरिया खाने के माध्यम से प्रसारित हो सकते हैं।

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एनवायरमेंट इंटरनेशनल पत्रिका में प्रकाशित शोध पत्र में कहा गया है कि हाल ही में ससेक्स में बायो-बीड्स के रिसाव ने यह स्पष्ट कर दिया है कि माइक्रोप्लास्टिक समुद्र और तटीय क्षेत्रों में रोगजनक और अध्ययन के विशेषज्ञों की राय बैक्टीरिया के लिए खतरा हैं।

हमारी संरचना ने परंपरागत अध्ययन विधियों से होने वाले पूर्वाग्रह को कम किया और दिखाया कि ये बैक्टीरिया केवल अत्यधिक प्रदूषित क्षेत्रों में ही नहीं, बल्कि अन्य सतही जल स्रोतों में भी पनप सकते हैं।

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शोध में कहा गया है कि माइक्रोप्लास्टिक रोगजनक और एएमआर बैक्टीरिया के लिए वाहक का काम करता है। ये जीवाणु अपनी बायोफिल्म के भीतर सुरक्षित रहते हैं और मल से समुद्र और तटीय क्षेत्रों तक पहुंच सकते हैं।

माइक्रोप्लास्टिक सिर्फ पर्यावरणीय समस्या नहीं है, बल्कि एएमआर के फैलने में भी भूमिका निभा सकता है। इसके लिए हमें एकीकृत रणनीति अपनानी होगी, जो पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य दोनों की सुरक्षा करे।

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सुझाव और भविष्य की दिशा

बेहतर कचरा प्रबंधन: माइक्रोप्लास्टिक और वेस्टवाटर से एएमआर बैक्टीरिया के फैलने को रोकना।

अधिकतर खतरे वाले प्लास्टिक की निगरानी और विकल्प: पॉलिस्ट्रीन, नर्डल्स और बायो-बीड्स की जगह सुरक्षित विकल्प।

सुरक्षा उपाय: समुद्र तट की सफाई करने वाले स्वयंसेवक हमेशा दस्ताने पहनें और हाथ धोएं।

शोधकर्ताओं ने इस विषय पर और अधिक शोध करने की बात कही है, माइक्रोप्लास्टिक और अन्य प्रदूषक की बातचीत, एक्वाकल्चर और खाद्य सुरक्षा पर प्रभाव इसमें शामिल किया जाना चाहिए।

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यह अध्ययन स्पष्ट करता है कि माइक्रोप्लास्टिक केवल प्रदूषण का कारण नहीं हैं। ये छोटे प्लास्टिक के कण रोगजनक और रोगाणुरोधी प्रतिरोध बैक्टीरिया के लिए “वाहक” का काम कर सकते हैं। उनका बायोफिल्म निर्माण उन्हें सुरक्षित रखता है और लंबी दूरी तक फैलने में मदद करता है।

पर्यावरणीय और सार्वजनिक स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से यह गंभीर चिंता का विषय है। इसलिए सख्त कचरा प्रबंधन, अधिक खतरे वाले प्लास्टिक का विकल्प और सार्वजनिक जागरूकता बेहद आवश्यक है।

माइक्रोप्लास्टिक केवल समुद्र और तटों की सफाई का विषय नहीं है, बल्कि यह मानव स्वास्थ्य के लिए भी सीधा खतरा बनता जा रहा है। हमें अब समय रहते इस समस्या से निपटना होगा, वरना छोटे प्लास्टिक के ये कण हमारे स्वास्थ्य और भविष्य दोनों के लिए बड़े खतरे का कारण बन सकते हैं।

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