
अक्सर यह कहा जाता है कि धूम्रपान करने वालों में फेफड़ों के कैंसर का खतरा बेहद ज्यादा होता है। बात सोलह आने सच है, लेकिन जो लोग बीड़ी, सिगरेट नहीं पीते उनमें भी फेफड़ों के कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसका खुलासा विश्व कैंसर दिवस के मौके पर अंतराष्ट्रीय जर्नल लैंसेट रेस्पिरेटरी मेडिसन में छपे एक नए अध्ययन में हुआ है।
अध्ययन में यह भी सामने आया है कि कैंसर के इन बढ़ते मामलों के लिए वायु प्रदूषण भी जिम्मेवार हो सकता है। यह भी पता चला है कि भारत, चीन, थाइलैंड जैसे दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के लोग और खासकर महिलाएं इससे विशेष रूप से प्रभावित हो रही हैं।
इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (आईएआरसी) सहित अन्य संगठनों से जुड़े शोधकर्ताओं ने अपने इस अध्ययन में राष्ट्रीय स्तर पर फेफड़ों के कैंसर के मामलों का अनुमान लगाने के लिए ‘ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी 2022' से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण किया है।
अध्ययन में शोधकर्ताओं ने फेफड़ों के कैंसर के चार प्रमुख प्रकारों एडेनोकार्सिनोमा, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा, स्मॉल-सेल कार्सिनोमा और लार्ज-सेल कार्सिनोमा का अध्ययन किया गया है।
इस अध्ययन के जो निष्कर्ष सामने आए हैं उनके मुताबिक 2022 में फेफड़ों के कैंसर करीब 25 लाख मामले सामने आए थे। इनमें से जहां 1572045 मामले पुरुषों में जबकि 908630 मामले महिलाओं में दर्ज किए गए। इस बात की भी पुष्टि हुआ है कि इनमें से करीब 51 फीसदी मामले एडेनोकार्सिनोमा के थे।
रिपोर्ट के मुताबिक पुरुषों में एडेनोकार्सिनोमा के 717,211 मामले सामने आए, वहीं महिलाओं में यह आंकड़ा 541,971 दर्ज किया गया। इसका मतलब है कि महिलाओं और पुरुषों में होने वाले फेफड़ों के कैंसर के 10 में से पांच मामलों के लिए एडेनोकार्सिनोमा ही जिम्मेवार था।
रिसर्च से पता चला है कि एडेनोकार्सिनोमा नामक फेफड़ों का कैंसर उन लोगों में सबसे ज्यादा पाया गया है जो धूम्रपान नहीं करते। अध्ययन से यह भी पता चला है कि 2022 के दौरान दुनिया भर में फेफड़ों के कैंसर के जितने भी मामले सामने आए, उनमें 53 से 70 फीसदी मामले ऐसे लोगों में दर्ज किए गए, जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया था।
महिलाओं में तेजी से बढ़ रहा फेफड़ों का कैंसर
देखा जाए तो 185 देशों में कैंसर का यह प्रकार महिलाओं में सबसे ज्यादा आम हो गया है। बता दें कि एडेनोकार्सिनोमा ग्लैंड्स में बनना शुरू होता है, जो बलगम जैसे तरल पदार्थ बनाता है।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि 2022 में पुरुषों में फेफड़ों के कैंसर के जितने मामले सामने आए थे उनमें से 45.6 फीसदी मामले एडेनोकार्सिनोमा के थे। इसी तरह महिलाओं में यह आंकड़ा 59.7 फीसदी रहा। वहीं यदि 2020 के आंकड़ों पर गौर करें तो पुरुषों में सामने आए फेफड़ों के कैंसर के मामलों में एडेनोकार्सिनोमा की हिस्सेदारी 39 फीसदी वहीं महिलाओं में 57.1 फीसदी थी।
आंकड़ों के मुताबिक हालांकि अभी भी पुरुषों में फेफड़ों के कैंसर के मामले ज्यादा हैं, लेकिन पुरुषों और महिलाओं के बीच का यह अंतर कम हो रहा है। 2022 में 900,000 से ज्यादा महिलाओं में फेफड़ों के कैंसर के मामले सामने आए थे।
वैज्ञानिकों के मुताबिक वायु प्रदूषण, खासतौर से पीएम2.5 जैसे प्रदूषण के महीन कणों के कारण दुनिया भर में फेफड़ों के कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। ये कण फेफड़ों के अंदर कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
हाल ही में अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने एक नए अध्ययन में खुलासा किया है कि हवा में मौजूद माइक्रोप्लास्टिक्स कोलन और फेफड़ों के कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की वजह बन सकते हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक लम्बे समय तक इन कणों का संपर्क फेफड़ों में सूजन पैदा कर सकते है, जिससे फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
कैंसर एक गंभीर बीमारी है, यही वजह है कि इसका नाम ही लोगों में खौफ पैदा करने के लिए काफी है। वैश्विक स्तर पर जिस तरह से कैंसर पीड़ितों की संख्या बढ़ रही है, वो पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है।
एक अध्ययन के मुताबिक जिस तरह से पुरुषों में कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं, उसके चलते अगले तीन दशकों में 2050 तक कैंसर से पीड़ित पुरुषों का आंकड़ा 1.9 करोड़ पर पहुंच जाएगा। गौरतलब है कि 2022 में 1.03 करोड़ पुरुष इस जानलेवा बीमारी के शिकार थे।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक हर साल दुनिया में कैंसर के 1.9 करोड़ से ज्यादा मामले सामने आते हैं। इतना ही नहीं यह बीमारी हर साल एक करोड़ से ज्यादा जिंदगियां निगल रही है। मतलब की दुनिया में होने वाली हर छठी मौत के लिए कैंसर जिम्मेवार है।