पुरुषों में बढ़ते कैंसर के मामले, 84 फीसदी की वृद्धि के साथ 2050 तक दो करोड़ बन सकते हैं शिकार

अमेरिकन कैंसर सोसायटी ने अपने नए अध्ययन में चेताया है कि 2050 तक पुरुषों में कैंसर के मामले 84 फीसदी तक बढ़ सकते हैं। वहीं मौतों में भी 93 फीसदी का इजाफा हो सकता है
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कैंसर एक गंभीर बीमारी है, यही वजह है कि इसका नाम ही लोगों में खौफ पैदा करने के लिए काफी है। वैश्विक स्तर पर जिस तरह से कैंसर पीड़ितों की संख्या बढ़ रही है, वो पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है। इस बीच पुरुषों में कैंसर के बढ़ते मामलों को लेकर किए एक नए अध्ययन ने लोगों की चिंताएं और बढ़ा दी हैं।

इस अध्ययन के मुताबिक जिस तरह से पुरुषों में कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं, उसके चलते अगले तीन दशकों में 2050 तक कैंसर से पीड़ित पुरुषों का आंकड़ा 1.9 करोड़ पर पहुंच जाएगा। गौरतलब है कि 2022 में 1.03 करोड़ पुरुष इस जानलेवा बीमारी के शिकार थे।

इसका मतलब है कि 2050 तक पुरुषों में होने वाले कैंसर के मामले 84.3 फीसदी तक बढ़ सकते हैं। इसी तरह कैंसर की वजह से अपनी जान से हाथ धोने वाले पुरुषों की संख्या भी बढ़कर दोगुनी हो सकती है। आशंका जताई जा रही है कि कैंसर की वजह से मरने वाले पुरुषों की संख्या में अगले 26 वर्षों में 93.2 फीसदी की वृद्धि हो सकती है।

आंकड़ों के मुताबिक जहां 2022 में 54.3 लाख पुरुषों को कैंसर की वजह से अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था, वहीं अंदेशा जताया जा रहा है 2050 तक यह आंकड़ा बढ़कर 1.05 करोड़ तक पहुंच सकता है। रिसर्च के मुताबिक 2022 में कैंसर के करीब दो तिहाई मामले और मौतें बुजुर्गों (65 वर्ष और उससे अधिक आयु) में सामने आई थी। बता दें कि इस अध्ययन के नतीजे 12 अगस्त, 2024 को अमेरिकन कैंसर सोसाइटी से जुड़े जर्नल ‘कैंसर’ में प्रकाशित हुए हैं।

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इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पुरुषों में होने वाले 30 प्रकार के कैंसर और उनसे जुड़ी मौतों के आंकड़ों का विश्लेषण किया है। दुनिया के अलग-अलग क्षेत्रों और विभिन्न आयु वर्ग के पुरुषों में कैंसर के बोझ का आकलन करने के लिए शोधकर्ताओं ने ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी से जुड़े आंकड़ों की मदद ली है। यह आंकड़े 185 देशों से जुटाए गए हैं।

किन वजहों से पुरुषों में बढ़ सकता है कैंसर

2022 के इन आंकड़ों की मदद से शोधकर्ताओं ने अलग-अलग उम्र के पुरुषों में 2050 तक सामने आने वाले कैंसर के मामलों और मौतों का अनुमान लगाया है। इस विश्लेषण के नतीजे दर्शाते हैं कि वैश्विक स्तर पर आयु और देशों की आर्थिक स्थिति के आधार पर कैंसर के मामलों और उनसे होने वाली मौतों में काफी असमानताएं हैं। अंदेशा है कि यह असमानताएं 2050 तक और बढ़ सकती हैं।

अध्ययन के मुताबिक पुरुषों में कैंसर और उससे संबंधित मृत्यु दर महिलाओं की तुलना में अधिक है। शोधकर्ताओं ने इसके लिए कई कारकों को जिम्मेवार माना है जैसे कैंसर की रोकथाम गतिविधियों में पुरुषों कम भागीदारी, जांच और उपचार पर ध्यान न देना शामिल हैं। इसके साथ ही धूम्रपान और शराब का सेवन भी कैंसर के बढ़ते मामलों के लिए जिम्मेवार है।

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शोधकर्ताओं के मुताबिक जिस तरह से पुरुष अपने काम धंधों के दौरान कैंसर पैदा करने वाले हानिकारक पदार्थों के संपर्क में आते हैं वो भी उनमें कैंसर के बढ़ते मामलों की एक वजह हो सकता है। इसी तरह महिलाओं और पुरुषों में मौजूद जैविक अंतर भी पुरुषों में कहीं ज्यादा मामले सामने आने की एक वजह हो सकता है। इसी तरह जो देश शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक तौर पर संघर्ष कर रहे हैं उन देशों में स्थिति कहीं ज्यादा गंभीर है।  

अध्ययन में इस बात की भी पुष्टि हुई है कि 2022 में 65 वर्ष या उससे अधिक आयु के 34.4 लाख वृद्ध पुरुषों की मृत्यु कैंसर से हुई थी। अंदेशा है कि यह आंकड़ा 2050 तक 125 फीसदी बढ़कर 77.3 लाख पर पहुंच जाएगा।

इसी तरह 2022 में इस आयु वर्ग के लोगों में कैंसर के 60.5 लाख मामले सामने आए थे, जो 2050 तक बढ़कर दोगुने हो सकते हैं। आशंका है कि 2050 तक 1.3 करोड़ बुजुर्ग पुरुष कैंसर का शिकार बन सकते हैं।

आंकड़ों के मुताबिक कामकाजी आयु वर्ग के पुरुषों में 2050 तक कैंसर पीड़ितों का आंकड़ा 39.1 फीसदी बढ़ सकता है। अंदेशा है कि इस आयु वर्ग का पुरुषों में कैंसर के मामले 41.4 लाख से बढ़कर 57.6 लाख पर पहुंच सकते हैं। इसी तरह इस आयु वर्ग के पुरुषों में कैंसर की वजह से होने वाली मौतों में करीब 40 फीसदी का इजाफा हो सकता है।

रिसर्च में इस बात का भी अंदेशा जताया गया है कि 2022 से 2050 के बीच प्रोस्टेट कैंसर से होने वाली मौतों में 136 फीसदी की वृद्धि होगी। साथ ही इस दौरान त्वचा और ब्लैडर कैंसर से होने वाली मौतों में भी इजाफा होने का अंदेशा है।

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