रक्त वाहिकाओं को समय से पहले बूढ़ा बना रहा कोरोना, महिलाओं को ज्यादा खतरा

रिसर्च से पता चला है कि कोविड का हल्का संक्रमण भी खासकर महिलाओं में रक्त वाहिकाओं की उम्र को पांच साल तक बढ़ा सकता है
कोरोनावायरस; फोटो: आईस्टॉक
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कोरोना एक ऐसी महामारी जिसने मानवता को अंदर से झकझोर दिया। दुनिया का शायद ही कोई ऐसा देश हो जिसने इसका कोप न झेला हो। वैज्ञानिकों के लिए भी यह बीमारी किसी अबूझ पहेली से कम नहीं, जिसके बारे में लगातार कुछ न कुछ नई जानकारी सामने आती रहती है।

इसी कड़ी में एक अंतराष्ट्रीय अध्ययन से पता चला है कि कोविड-19 के संक्रमण के महीनों बाद भी, शरीर की प्रमुख रक्त वाहिकाओं में उम्र बढ़ने के संकेत दिखाई दे रहे हैं और यह असर सबसे ज्यादा महिलाओं में देखा गया है। यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित इस रिसर्च के मुताबिक कोविड संक्रमण, खासकर महिलाओं में, रक्त वाहिकाओं की उम्र को औसतन पांच साल तक बढ़ा सकता है।

गौरतलब है कि रक्त वाहिकाएं उम्र बढ़ने के के साथ धीरे-धीरे सख्त होती जाती हैं, लेकिन यह अध्ययन बताता है कि कोविड इस प्रक्रिया को तेज कर सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, सख्त रक्त वाहिकाएं हृदय रोग, स्ट्रोक और हार्ट अटैक के खतरे को बढ़ा देती हैं।

यह अध्ययन प्रोफेसर रोजा मारिया ब्रूनो के नेतृत्व में किया गया है। उनका प्रेस विज्ञप्ति में कहना है, “कोविड संक्रमण के बाद कई लोग महीनों या सालों तक उसके लक्षणों से परेशान रहते हैं। अब हम यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि शरीर में ऐसा क्या हो रहा है जो इन लक्षणों को पैदा कर रहा है।“

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उनके मुताबिक कोविड सीधे रक्त वाहिकाओं को प्रभावित कर सकता है। इससे ‘अर्ली वास्कुलर एजिंग’ यानी समय से पहले रक्त वाहिकाओं का बूढ़ा होना जैसी समस्या हो सकती है, जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने इस बात की भी पुष्टि की है कि कोविड-19 लंबे समय में खासकर महिलाओं में रक्त वाहिकाओं की समय से पहले उम्र बढ़ने से जुड़ा है।

यह अध्ययन सितंबर 2020 से फरवरी 2022 के बीच 16 देशों के 2,390 लोगों पर किया गया है। इसमें प्रतिभागियों को चार श्रेणियों में बांटा गया, जिनमें पहले वो लोग थे, जिन्हें कभी कोविड नहीं हुआ था। इसके बाद वो समूह था, जिन्हें कोविड तो हुआ, लेकिन उसके लिए अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया। तीसरा समूह उन लोगों का था जिन्हें संक्रमण के कारण अस्पताल के सामान्य वार्ड में भर्ती करना पड़ा, जबकि अंतिम समूह उन लोगों का था, जिनको आईसीयू में भर्ती करना पड़ा था।

कैसे मापी गई रक्त वाहिकाओं की उम्र?

इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पल्स वेव वेलोसिटी (पीडब्ल्यूवी) तकनीक का उपयोग किया है। यह धमनी की कठोरता को मापने का एक मानक है, जिसमें बिना चीरे के कठोरता को मापा जा सकता है। इसके तहत अगर रक्तचाप की तरंगें तेजी से दौड़ती हैं, तो इसका मतलब होता है कि धमनी ज्यादा सख्त है।

इस प्रक्रिया के दौरान देखा गया कि जिन लोगों को कोविड हुआ था, उनके पीडब्ल्यूवी स्तर उन लोगों की तुलना में अधिक थे जिन्हें कोविड नहीं हुआ। यह संकेत करता है कि उनकी रक्त वाहिकाएं अपेक्षाकृत “बूढ़ी” हो चुकी थीं।

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यहां तक की जिन लोगों में कोविड के हल्के लक्षण सामने आए थे, उनमें भी यह समस्या देखी गई। इसके साथ ही यह असर पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक देखा गया, खासकर उन महिलाओं में जो 'लॉन्ग कोविड' से जुड़ी परेशानियों जैसे सांस की तकलीफ और थकावट जैसे लक्षणों से जूझ रही थीं, उनमें यह समस्या कहीं ज्यादा थी।

पुरुषों से ज्यादा महिलाओं में स्पष्ट था असर

जब उम्र, धूम्रपान, रक्तचाप जैसे अन्य कारकों को ध्यान में रखते हुए विश्लेषण किया गया, तब भी महिलाओं में कोविड के बाद धमनी के सख्त होने का प्रभाव बना रहा।

हल्के कोविड से उबर चुकी महिलाओं में रक्त वाहिकाएं औसतन 5 साल ज्यादा बूढ़ी दिखीं। वहीं कोरोना की वजह से आईसीयू में भर्ती रही महिलाओं में यह बदलाव 7 से 8 साल तक दर्ज किया गया। दूसरी ओर, पुरुषों में ऐसा कोई स्पष्ट पैटर्न नहीं देखा गया।

रिसर्च से पता चला है कि जिन महिलाओं को हल्का कोविड हुआ था, उनमें पल्स वेव वेलॉसिटी औसतन 0.55 मीटर प्रति सेकंड बढ़ गई। वहीं अस्पताल में भर्ती महिलाओं में यह बढ़त 0.6 रही, जबकि आईसीयू में इलाज पाने वाली महिलाओं में यह 1.09 तक पहुंच गई।

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शोधकर्ताओं के मुताबिक कि पीडब्ल्यूवी में करीब 0.5 मीटर प्रति सेकंड की बढ़त "चिकित्सकीय रूप से महत्वपूर्ण" मानी जाती है, जो सामान्य रूप से उम्र के 5 साल बढ़ने के बराबर मानी जाती है। यह 60 साल की महिलाओं में दिल की बीमारी का खतरा 3 फीसदी तक बढ़ा सकती है।

रिसर्च में इस बात की भी पुष्टि की गई है कि जिन लोगों को कोविड का टीका लगा था, उनकी रक्त वाहिकाएं अपेक्षाकृत कम सख्त थीं। लंबे समय में, यह सख्तता कुछ हद तक स्थिर होती या कम हो सकती है। यह इस बात का संकेत है कि टीकाकरण रक्त वाहिकाओं को आंशिक सुरक्षा दे सकता है।

कोविड क्यों करता है ऐसा?

शोधकर्ताओं के मुताबिक कोविड के कारण रक्त वाहिकाओं पर असर पड़ने के कई कारण हो सकते हैं। यह वायरस शरीर के खास रिसेप्टर्स (एसीई2 रिसेप्टर्स) पर हमला करता है, जो रक्त वाहिकाओं की भीतरी परत में मौजूद होते हैं।

वायरस इन्हीं रिसेप्टर्स के जरिए शरीर की कोशिकाओं में घुसता है और उन्हें संक्रमित करता है। इससे रक्त वाहिकाओं की कार्यप्रणाली गड़बड़ा सकती है और उनमें उम्र बढ़ने की प्रक्रिया तेज हो सकती है। इसके अलावा, शरीर की प्रतिरक्षा और सूजन संबंधी प्रतिक्रियाएं, जो संक्रमण से लड़ती हैं, वे भी इस प्रक्रिया में भूमिका निभा सकती हैं।

अब सवाल यह है कि कोविड महिलाओं की रक्त वाहिकाओं पर क्या ज्यादा असर डालता है? अध्ययन के मुताबिक इसका जवाब महिलाओं और पुरुषों की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) में अंतर हो सकता है। महिलाओं की इम्यून प्रतिक्रिया आमतौर पर तेज होती है, जो वायरस से बचाव में मदद करती है, लेकिन इसी वजह से उन्हें ज्यादा नुकसान भी हो सकता है।

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क्या है समाधान?

प्रोफेसर ब्रूनो का कहना है, “वाहिकाओं की बढ़ती उम्र को मापा और नियंत्रित किया जा सकता है। जीवनशैली में बदलाव, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल की दवाएं इसमें मदद कर सकती हैं। हालांकि जिन लोगों में रक्त वाहिकाएं समय से पहले बूढ़ी हो रही हैं, उन्हें हार्ट अटैक और स्ट्रोक से बचाव के लिए सतर्क रहना चाहिए।”

अध्ययन में पुष्टि की है कि प्रोफेसर ब्रूनो और उनकी टीम आने वाले वर्षों में प्रतिभागियों की निगरानी करती रहेंगी, ताकि यह पता चल सके कि क्या समय से पहले बूढ़ी होती रक्त वाहिकाएं भविष्य में दिल की बीमारियों और स्ट्रोक के खतरे को किस हद तक बढ़ा सकती हैं।

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