क्या आप जानते हैं कि महिलाओं और पुरुषों का शरीर कोविड-19 से जुड़े संक्रमण के प्रति अलग-अलग प्रतिक्रिया करता है। इस बारे में ओपन-एक्सेस जर्नल प्लोस वन में प्रकाशित रिसर्च में सामने आया है कि कोविड-19 से गंभीर रूप से संक्रमित पुरुषों में महिलाओं की तुलना में शरीर का तापमान कहीं अधिक रहता है।
इसी तरह पुरुषों में सांस लेने की दर और हृदय गति भी संक्रमित महिलाओं से अधिक होती है। इसका मतलब है कि महिलाओं और पुरुषों में कोरोना के प्रति अलग-अलग शारीरिक प्रतिक्रियाएं होती हैं।
गौरतलब है कि कोविड-19 संक्रमण सांस लेने की दर, ह्रदय गति और त्वचा के तापमान जैसी शारीरिक गतिविधियों को प्रभावित करने के लिए जाना जाता है। ऐसे में यह प्रभाव महिलाओं और पुरुषों में कैसे अलग होते हैं, यह जानकारी कोविड-19 का शीघ्र पता लगाने के साथ-साथ इसके इलाज में भी मददगार साबित हो सकती है।
यह अध्ययन 1,163 पुरुषों और महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े आंकड़ों के विश्लेषण पर आधारित है, जिन्होंने अप्रैल 2020 से जनवरी 2022 के बीच सोते समय एवा का मेडिकल ट्रैकिंग ब्रेसलेट पहना था। इस अध्ययन में शामिल प्रतिभागियों की औसत आयु 44 वर्ष थी, साथ ही इनमें से 57 फीसदी महिलाएं थी।
अध्ययन के दौरान पहने गए ब्रेसलेट ने कोरोना संक्रमण और प्रतिक्रियाओं को ट्रैक करने के लिए 15 लाख घंटों से अधिक के बायोफिजिकल आंकड़ों को एकत्र किया था। इस दौरान हर 10 सेकंड में, सांस लेने की दर, हृदय गति और उसमें आने वाले बदलावों के साथ-साथ शरीर का तापमान भी मापा गया था।
अध्ययन के शुरूआत और आगे चलकर इन प्रतिभागियों को कोविड-19 है या नहीं, इस बात की भी जांच की गई थी। साथ ही उनके स्वास्थ्य से जुड़े दैनिक लक्षणों और प्रभावित करने वाले कारकों जैसे शराब या दवा के सेवन आदि के बारे में जानकारी हासिल की गई।
उनसे हर छह महीने में व्यक्तिगत विवरण जैसे धूम्रपान करते है या नहीं, क्या कोविड-19 के लक्षण सामने आए थे या अस्पताल में भर्ती हुए थे इस बारे में जानकारी देने को कहा गया था। वहीं शोधकर्ताओं ने लिंग के आधार पर शारीरिक प्रतिक्रियाओं और एंटीबॉडी के स्तर में अंतर का पता लगाने के लिए मल्टी-लेवल मॉडलिंग और टी-परीक्षणों की मदद ली थी।
इनमें से 127 प्रतिभागियों यानी 10.9 फीसदी के कोरोना से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी, जिनमें से 82 के पास से विश्लेषण के लिए पर्याप्त आंकड़े मिले थे।
क्या है इसके पीछे का विज्ञान
इस अध्ययन के जो नतीजे सामने आए थे उनके मुताबिक संक्रमण की शुरूआत में महिलाओं की तुलना में पुरुषों में सांस लेने किए दर और हृदय गति में अधिक वृद्धि देखी गई। इसी तरह उनकी त्वचा का तापमान भी कहीं अधिक था। साथ ही महिलाओं की तुलना में पुरुषों की ह्रदय गति कम स्थिर थी।
इसी तरह स्वस्थ होने के दौरान भी पुरुषों की हृदय गति और सांस की दर महिलाओं की तुलना में अधिक थी। शोधकर्ताओं को यह भी पता चला है कि वजन, उम्र, उच्च रक्तचाप, नशीली दवाओं या अल्कोहल के उपयोग जैसे संभावित भ्रमित करने वाले कारकों ने संक्रमण के दौरान महिलाओं और पुरुषों की शारीरिक प्रतिक्रिया के अंतर को प्रभावित नहीं किया था।
हालांकि महिला प्रतिभागियों में मासिक धर्म के दौरान होने वाले हार्मोनल बदलावों का हिसाब नहीं दे सके। ऐसे में शोधकर्ताओं ने इन लैंगिक भेदों के जैविक आधार को पूरी तरह से समझने के लिए और अधिक शोध करने पर जोर दिया है।
शोधकर्ताओं ने यह भी जानकारी दी है कि अध्ययन के दौरान पुरुषों और महिलाओं के बीच एंटीबॉडी का स्तर समान था, और डिवाइस की सटीकता दोनों समूहों के लिए समान थी। ऐसे में शोधकर्ताओं का सुझाव है कि यह इस बात एक संभावित कारण हो सकता है कि महामारी के दौरान पुरुषों के अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु की दर अधिक थी।
शोधकर्ताओं के मुताबिक महिलाओं और पुरुषों के शरीर कोविड-19 के प्रति अलग-अलग प्रतिक्रिया करते हैं, क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली अलग-अलग तरीके से काम करती है। उनका मानना है कि ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि स्वायत्त तंत्रिका तंत्र (ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम), जो सूजन को नियंत्रित करता है, पुरुषों और महिलाओं में अलग-अलग व्यवहार करता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक कोविड-19 वायरस अब तक दुनिया भर में 77,47,71,942 लोगों को संक्रमित कर चुका है। इनमें से 70,35,337 लोगों की मृत्यु हो चुकी है, जबकि बाकी इस महामारी से उबर चुके हैं। हालांकि इनमें से बहुत से लोग अभी भी लॉन्ग कोविड से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहे हैं।
यदि भारत से जुड़े आंकड़ों को देखें तो 12 मार्च 2024 को स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों से पता चला है कि देश में कोरोना के 1,058 मामले अभी भी सक्रिय हैं। वहीं साढ़े चार करोड़ से ज्यादा लोग अब तक देश में इस महामारी की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 5,33,512 संक्रमितों की मृत्यु हो चुकी है जबकि 4,44,97,327 लोग इस बीमारी से उबर चुके हैं।