महिलाओं में 31 फीसदी अधिक होता है लॉन्ग कोविड का खतरा, वैज्ञानिकों ने किया खुलासा

लॉन्ग कोविड एक ऐसी स्थिति है जिसमें कोविड-19 के शिकार मरीज बीमारी से उबरने के हफ्तों, महीनों या वर्षों बाद भी उससे जुड़े लक्षणों को अनुभव करते हैं
कोविड-19 से उबरने के 90 दिनों बाद भी करीब एक तिहाई लोगों में पोस्ट एक्यूट सीक्वल यानी लॉन्ग कोविड की समस्या बनी रह सकती है; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
कोविड-19 से उबरने के 90 दिनों बाद भी करीब एक तिहाई लोगों में पोस्ट एक्यूट सीक्वल यानी लॉन्ग कोविड की समस्या बनी रह सकती है; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
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अमेरिका वैज्ञानिकों ने अपने एक नए अध्ययन में खुलासा किया है कि महिलाओं में पुरुषों की तुलना में लॉन्ग कोविड होने का खतरा 31 फीसदी अधिक होता है। इतना ही नहीं अध्ययन में यह भी सामने आया है कि इससे 40 से 55 वर्ष की आयु की महिलाएं सबसे अधिक प्रभावित होती हैं।

गौरतलब है कि लॉन्ग कोविड एक ऐसी स्थिति है जिसमें कोविड-19 के शिकार मरीज बीमारी से उबरने के हफ्तों, महीनों या वर्षों बाद भी उससे जुड़े लक्षणों को अनुभव करते हैं। इतना ही नहीं लॉन्ग कोविड की यह समस्या महामारी से उबरने के महीनों बाद भी मस्तिष्क, फेफड़ों और गुर्दे जैसे कई अंगों को नुकसान पहुंचा सकती है।

यह अध्ययन सैन एंटोनियो में टेक्सास विश्वविद्यालय के स्वास्थ्य विज्ञान केंद्र (यूटी हेल्थ सैन एंटोनियो) से जुड़े शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है। इसके नतीजे जर्नल ऑफ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (जेएएमए) नेटवर्क ओपन में प्रकाशित हुए हैं।

बता दें कि यह अध्ययन कोविड-19 के दीर्घकालिक प्रभावों को समझने के लिए नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ की एक राष्ट्रव्यापी पहल रिसर्चिंग कोविड टू एनहैंस रिकवरी (या रिकवर) का हिस्सा है।

इस अध्ययन में लंबे समय तक कोविड विकसित होने के जोखिम की पहचान के लिए 12,276 लोगों पर नजर रखी गई। इसमें पाया गया कि नस्ल, जातीयता, कोविड के विभिन्न प्रकार, संक्रमण की गंभीरता और स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले सामाजिक कारकों पर विचार करने के बाद भी महिलाओं में पुरुषों की तुलना में लॉन्ग कोविड का जोखिम 31 फीसदी अधिक था।

शोधकर्ताओं ने इस बात की भी पुष्टि की है कि महिलाओं में लॉन्ग कोविड का जोखिम उनकी आयु, गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति की स्थिति पर भी निर्भर करता है।

यूटी हेल्थ सैन एंटोनियो में सहायक प्रोफेसर डॉक्टर डिम्पी शाह ने इस बारे में प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि, "निष्कर्ष इस बात की आवश्यकता को उजागर करते हैं कि मरीजों और स्वास्थ्यकर्ताओ को लिंग के आधार पर लॉन्ग कोविड के जोखिम में मौजूद अंतर पर विचार करना चाहिए।"

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उनके मुताबिक इन अंतरों की बेहतर समझ हमें लॉन्ग कोविड की बेहतर पहचान करने और उसका इलाज करने में मददगार साबित हो सकती है।

महामारी जिसने पूरी मानवता को झकझोर दिया

अध्ययन के मुताबिक सार्स-कॉव-2 वायरस, जो कोविड-19 का कारण बनता है, उसने दुनिया भर में 70 करोड़ से अधिक लोगों को अपना शिकार बनाया है। इतना ही नहीं यह महामारी 70 लाख से ज्यादा जिंदगियों को लील चुकी है।

हालांकि कई लोग गंभीर कोविड होने के बावजूद ठीक हो गए, लेकिन उन लोगो का एक बड़ा हिस्सा इस महामारी के दीर्घकालिक प्रभावों जिसे लॉन्ग या पोस्ट-कोविड के रूप में जाना जाता है, उससे जूझ रहा था।

देखा जाए तो कई पोस्ट-वायरल और ऑटोइम्यून समस्याएं महिलाओं में अधिक आम होती हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि क्या यह लॉन्ग कोविड के मामले में विशेषकर विभिन्न समूहों में भी लागू होता है।

पिछले कई शोधों से पता चला है कि पुरुषों में कोविड-19 संक्रमण अधिक गंभीर होता है और उनमें मृत्यु दर भी अधिक होती है। हालांकि, हाल ही में किए शोध से पता चला है कि महिलाओं में संक्रमण के बाद भी इसके लक्षणों के बने रहने की आशंका अधिक होती है।

हालांकि अध्ययनों में अभी तक उन कारकों पर पूरी तरह से विचार नहीं किया गया जो महिला-पुरुष के बीच वास्तविक जोखिम से जुड़े अंतर को प्रभावित कर सकते हैं। इन कारकों में आयु, मासिक धर्म की स्थिति, अन्य स्वास्थ्य स्थितियां, टीकाकरण, कोविड का प्रकार, बीमारी की गंभीरता या स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच शामिल हैं। वहीं कुछ में बेहद छोटे नमूने लिए गए हैं।

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ऐसे में रिकवर शोधकर्ताओं का उद्देश्य सार्स-कॉव-2 संक्रमण वाले वयस्कों में लॉन्ग कोविड विकसित होने के जोखिम में लिंग संबंधी अंतर का अध्ययन करना था। उन्होंने उन कारकों पर विचार किया जो परिणामों को प्रभावित कर सकते थे। इसके साथ ही शोधकर्ताओं ने लॉन्ग कोविड के लिए अध्ययन किए गए लोगों के अब तक के सबसे बड़े समूह का उपयोग किया गया। इसमें अमेरिका के 33 राज्यों के लोग शामिल थे।

इस अध्ययन में उन लोगों को शामिल किया गया जो 29 अक्टूबर, 2021 से पांच जुलाई, 2024 के बीच शामिल हुए और उन्होंने कोविड-19 होने के कम से कम छह महीने बाद अपनी जांच कराई थी। यह लोग महिला थे या पुरुष इस बात का भी ध्यान रखा गया।

इस अध्ययन के जो निष्कर्ष सामने आए हैं वो दर्शाते हैं कि महिलाओं में लॉन्ग कोविड का जोखिम 31 फीसदी अथिक था। संक्रमित होने के समय की उनकी औसत आयु 46 वर्ष थी। वहीं 40 से 54 वर्ष की महिलाओं में कहीं अधिक जोखिम देखा गया।

बता दें कि अमेरिका में किए एक अन्य शोध से पता चला है कि कोविड-19 से उबरने के 90 दिनों के बाद भी करीब एक तिहाई (30 फीसदी) लोगों में पोस्ट एक्यूट सीक्वल यानी लॉन्ग कोविड की समस्या बनी रह सकती है।

इस शोध में 31 फीसदी मरीजों में थकान, जबकि 16 फीसदी में गंध और सूंघने की कमी सम्बन्धी लक्षण पाए गए। वहीं 15 फीसदी मरीजों ने सांस सम्बन्धी तकलीफों के बारे में जानकारी दी थी।

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भले ही हम आज इस बीमारी को हल्के में ले रहे हैं, लेकिन यह एक ऐसी महामारी है जिसने मानवता को पूरी तरह झकझोर दिया।

आज भी वो मंजर भूले नहीं भूलता जहां अस्पताल मरीजों से पट गए, लाखों काल के गाल में समा गए और जो बचे वो अपने घरों में बंद इस महामारी के जाने की दुआएं मांग रहे थे। महामारी का वो दौर करीब-करीब थम चुका है और जिंदगी पटरी पर लौट चुकी है। हालांकि बीच-बीच में महामारी के दोबारा सिर उठाने की सूचनाएं सामने आती रही हैं।

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